जमशेद जी टाटा लोहे की फैक्टरी लगाने की इजाजत मांगने के लिए इंग्लैंड गए हुए थे | क्वीन एलिजाबेथ से इजाजत मिली कि आप चाहें तो फैक्टरी लगा सकते हैं l अब वे इस तलाश में जुट गये कि लोहा , कोयला और पानी तीनो एक जगह मिल जाएँ तो बड़ी फैक्टरी लगा सकते हैं l जमशेद जी एक दिन स्वामी विवेकानन्द जी के पास पहुंचे और अपने मन की बात कही कि आप कृपा कर के हमें हिन्दुस्तान में ऐसी जगह बताइये जहाँ लोहा , कोयला और पानी तीनो एक जगह मिल जाएँ , लोहा होगा तो देश आगे बढ़ेगा l उस समय तक लोहे पर विदेशियों का आधिपत्य था l स्वामीजी ध्यान सिद्ध योगी थे l उन्होंने बताया ---- बिहार के सिंहभूमि जिले का एक छोटा सा गाँव है , उन दिनों वह वीरान जंगल था , पचासों मील की पथरीली और झाड़ियों वाली जगह में फैला हुआ था वहां कोई आदमी नहीं रहता था l विवेकानंदजी ने कहा कि आप उस इलाके को ले लें वहां पर तीनो चीजें मिल जाएँगी l जमशेद जी ने उस भूमि का पता लगाया और उसे खरीद लिया l आज भी वहां तीनो चीजें पर्याप्त मात्रा में हैं l
जमशेद जी ने अपने गुरु के नाम पर बेलूर मठ, संगमरमर का बनवाया l इसके लिए उन्होंने न चंदा लिया , न रसीदें छपवायीं l दान - दक्षिणा कुछ नहीं माँगा और हर दिन , हर महीने करोड़ों रूपये खर्च किये l उन्होंने सारे हिंदुस्तान में कितनी जल्दी और कितने सारे मठ बनवा दिए l
जमशेद जी ने अपने गुरु के नाम पर बेलूर मठ, संगमरमर का बनवाया l इसके लिए उन्होंने न चंदा लिया , न रसीदें छपवायीं l दान - दक्षिणा कुछ नहीं माँगा और हर दिन , हर महीने करोड़ों रूपये खर्च किये l उन्होंने सारे हिंदुस्तान में कितनी जल्दी और कितने सारे मठ बनवा दिए l