22 September 2018

WISDOM ----- अनीति का प्रतिकार मानवीय गरिमा है

  जब  समाज  पर  दुर्बुद्धि  का  प्रकोप  होता  है  तब  अत्याचार  और  अन्याय  छूत  की  बीमारी  की  तरह  फैलने  लगता  है  I   समस्या  तब  विकट  हो  जाती  है  जब  समर्थ  लोग  गिरोह बद्ध  होकर  अपनी  शक्ति  का  दुरूपयोग  करने  में  कहीं  कोई  कसर  नहीं  रहने  देते    और  पीड़ित   कोई  प्रतिरोध  नहीं  करते  I
    ईश्वर  का  , प्रकृति  का  आक्रोश  तब  उभरता  है  जब  अनाचारी  अपनी  दुष्टता  से  बाज  नहीं  आते  और  सताए  जाने  वाले  कायरता , भीरुता  अपनाकर  टकराने  के  लिए  कटिबद्ध  नहीं  होते  I
  संसार  में  अनाचार  का  अस्तित्व  तो  है  ,  पर  उसके  साथ  ही  यह  भी  विधान  है  कि  सताए  जाने  वाले   बिना   हार - जीत  का  विचार  किये   प्रतिकार  के  लिए  , प्रतिशोध  के  लिए  तैयार  तो   रहें   I  दया , क्षमा  आदि  के  नाम  पर   अनीति  को  बढ़ावा  देते  चलना   सदा  से  अवांछनीय  माना  जाता  रहा  है   I  अनीति  के  प्रतिकार  को  मानवीय  गरिमा  के  साथ  जोड़ा  जाता  रहा  है   I  
  वर्तमान   युग   में   अनीति  और   अत्याचार  से   निपटने  के  लिए    संगठित  होकर   विवेकपूर्ण   ढंग  से   कार्य  करने  की   आवश्यकता  है    I