26 November 2018

WISDOM ----- वर्तमान अध्यात्म

  पं. श्रीराम शर्मा  आचार्य जी  ने    अपनी  क्रांतिधर्मी पुस्तिका  ' परिवर्तन  के  महान  क्षण  ' में  लिखा  है --- " जो  लोग  धर्म  और अध्यात्म   को   चर्चा - प्रसंगों   में  मान्यता  देते  हैं  ,  वे भी निजी  जीवन   में  प्राय:  वैसे  ही  आचरण    करते  देखे  जाते  हैं  ,  जैसे कि  अधर्मी  और  नास्तिक  करते  देखे  जाते  हैं  l   धर्मोपदेशकों  से  लेकर  धर्म ध्वजियों   के  निजी  जीवन  का   निरीक्षण - परीक्षण     करने   पर   प्रतीत  होता  है   कि  अधिकांश  लोग   उस   स्वार्थपरता   को  ही  अपनाये  रहते  हैं  ,  जो  अधार्मिकता  की  परिधि  में  आती  है   l  आडम्बर , पाखण्ड   और  प्रपंच  एक  प्रकार  से  नास्तिकता  ही  है  , अन्यथा  जो   आस्तिकता   और  धार्मिकता  की  महत्ता  भी  बखानते  हैं   ,  उन्हें  स्वयं  तो  बाहर - भीतर  से  एकरस  होना  चाहिए  था   l  जब  उनकी  स्थिति    आडम्बर  भरी  होती  दीखती  है    तो  प्रतीत  होता  है   कि  लोगों  की  आँखों  में    धूल  झोंकने   या  उनसे  अनुचित  लाभ   उठाने  के लिए  ही   धर्म  का  ढकोसला   गले  से  बाँधा   जा  रहा  है  l ----------  यह  स्थिति भयानक  है   l        ( पृष्ठ  6 एवं 7 )  
  आचार्यजी  का  कहना  है   कि   विज्ञान  की  पराकाष्ठा   के  इस  युग  में   जितनी  तेजी  से  पाखंड  और  आडम्बर  बढ़ा  है  ,  वह  आश्चर्यजनक  ही  नहीं ,  समाज  विज्ञानियों  के  लिए  एक  शोध  का  विषय  भी  हो  गया  है   l