29 July 2019

WISDOM ------

 दुनिया के  कट्टर  और  खूंखार  बादशाहों  में  तैमूरलंग  का  नाम  भी  आता  है   l  वह  व्यक्तिगत  महत्वाकांक्षा ,  अहंकार  और  जवाहरात  की  तृष्णा  से  पीड़ित  था  l  एक  समय  की  बात  है  बहुत  से  गुलाम  पकड़कर  उसके  सामने  लाये  गए  l  तुर्किस्तान  का  विख्यात   कवि  अहमदी  भी    दुर्भाग्य  से  पकड़ा  गया  l  जब  वह  तैमूर  के  सामने  उपस्थित  हुआ  तो    तैमूर  ने  उससे  कहा --- सुना  है  कवि  बड़े  पारखी  होते  हैं  ,  दो  गुलामों  की  ओर  इशारा  करते  हुए  उसने  पूछा -- बता  सकते  हो कि  इनकी  कीमत  क्या  होगी  ? '     अहमदी  ने  सरल  और  स्पष्ट  शब्दों  में  कहा  --- "  इनमे  से  कोई  भी   चार  हजार  अशर्फियों  से   कम  कीमत  का  नहीं  है  l "
तैमूर  ने  अभिमान  से  पूछा  --- "  मेरी  कीमत  क्या  होगी  l "
निश्चिन्त भाव  से  अहमदी  ने उत्तर  दिया ---- "  यही  कोई  24 अशर्फी  l  "
तैमूर क्रोध  से  आगबबूला  हो  गया  l  चिल्लाकर  बोला --- "  बदमाश  !  इतने  में  तो  मेरी  सदरी  भी  नहीं  बन  सकती  ,  तू  यह  कैसे  कह  सकता  कि  मेरा मूल्य  कुल  24 अशर्फी  है  l  "
अहमदी  ने  बिना  किसी  आवेश   के  उत्तर  दिया  ---- " बस  यह  कीमत  तो  उस  सदरी  की  है  , आपकी  तो कुछ  नहीं  l   जो  मनुष्य  पीड़ितों  की   सेवा    नहीं कर  सकता ,  बड़े  होकर  छोटों  की  रक्षा  नहीं  कर  सकता  , असहायों  और अनाथों   की  जो   सेवा   नहीं  कर  सकता   , मनुष्यता  से  बढ़कर   जिसे  अपनी  अहमियत  प्यारी  हो  , उस  इनसान  का  मूल्य  चार  कौड़ी  भी  नहीं ,  उससे  अच्छे  तो  यह  गुलाम  ही  हैं  जो  किसी  के  काम  तो  आते  हैं  l  " 
  फिर   अहमदी  का  क्या  हुआ  यह  सर्वविदित  है  l  सत्य  कहने  का  उसमे  साहस  था  l