13 September 2019

WISDOM ------

 एक  राजा  को  असाध्य  रोग  हो  गया  l  वैद्यों  ने  उपचार  बताया  कि  राजहंसों  का मांस  खाना  चाहिए  l  हंस  मानसरोवर  पर  रहते  थे  l  साधु - संत  ही  वहां  जाते  थे  ,  लेकिन  कोई  संत  इस  पाप  कर्म  के  लिए  तैयार  नहीं  हुआ  l  एक  बहेलिया  पैसे  के  लालच  में   संत  का  बाना  पहनकर   वहां  जाकर  हंसों  को  पकड़  कर  लाने  के  लिए  तैयार  हो  गया  l  मानसरोवर  के  राजहंस  साधु - संतों  से  हिले - मिले  थे  l  उन्हें  देखकर  उड़ते  नहीं  थे   l  संत  वेशधारी  बहेलिये  ने  उन्हें  पकड़  लिया   और  राजा  के  सामने  प्रस्तुत  किया   l                      राजा  ग्लानि  में   पड़    गया   l  संत - श्रद्धा  से  पकड़े  गए  और  छल  वश  लाए  गए    इन  हंसों  का  स्वार्थवश  वध  अनुचित  है   l  यह  सोचकर  उसने  सभी  हंसों  को  मुक्त  कर  दिया  l  सोचा , भगवान  को  ठीक  करना  होगा   तो  करेंगे   l
  बहेलिये  पर  इस  घटना  का  सर्वाधिक  प्रभाव  पड़ा  l  उसने  सोचा  जिस  संत  वेश  के  लिए  हंसों  तक में  श्रद्धा  है  ,  उसे  कलंकित  नहीं  करना  चाहिए  l  उसने  संन्यास  ले  लिया  और  संत  बन  गया  l  उधर  राजा  भी  चमत्कारी  ढंग  से  ठीक  हो  गया  l
  वेश  की  जब  इतनी  महत्ता  है  ,  तो  उस  चोले  को  धारण  करने  वाले  लोग    कर्म  भी  श्रेष्ठ करें  ,  तो  ही  सार्थकता  है   l  आज  तो  ऐसे  वेशधारी  बहेलिये  बने   बैठे  हैं    l