10 April 2020

WISDOM -------

  कमजोर  पर  सब  अत्याचार  करते  हैं  ,  फिर  चाहे  वह  महामारी  ही  क्यों  न  हो  l   इसकी  दादागर्दी  के  आगे  सभी  बीमारियों  ने  घुटने   टेक    दिए  ,  भेदभाव  मिट  गए  सब  एक  हो  गईं   l  मनुष्य    के  लिए  शिक्षा  है  कि   वह  भी  जाति  , धर्म ,  नस्ल ,  अमीर - गरीब   के  सारे  भेदभाव  भूलकर  एक  हो  जाये   और  हर  विपत्ति  का  संगठित  होकर  मुकाबला  करे  l
 मनुष्य  अपने  जीवन  में  जो  भी  कार्य  करता  है  ,  सुख - दुःख , हानि - लाभ  जो  भी  सहन  करना  है  वह  सब  इसी  शरीर  से  संभव  है  l   यदि  हम  स्वस्थ  नहीं  हैं  तो  हमारे  पास  संसार  के  सारे  सुख  हों  तब  भी  हम  उनका  उपभोग  नहीं  कर  पाएंगे  l   जीवन  में  कृत्रिमता  का  अंश  घुल  जाने  से  मनुष्य  बीमारियों   से  घिरता  जा  रहा  है  l   मनुष्य  का  आहार - विहार  भी  प्राकृतिक  नहीं  रहा  l   खेतों  में  रासायनिक  खादें   डालने , कीटनाशक   से  लेकर , फल , सब्जी  आदि  की  उपज  बढ़ाने  और    खाद्य पदार्थों  को  सुरक्षित  रखने  आदि  में  जिन  रसायनों  का  प्रयोग  होता  है  वह  सब  किसी  न  किसी  रूप  में  हमारे  शरीर  में  जाते  हैं  l   एक  ओर   बाहरी   प्रदूषण   और  दूसरी  ओर   खाद्य  पदार्थों  के  साथ  शरीर  में  जाने  वाला  ये  जहर  l   इन  दोनों  ने  मिलकर  मनुष्य  की  प्रतिरोधक  शक्ति  को  कम    कर  दिया  है  l   स्वास्थ्य  संबंधी   सभी  नियमों  का  पालन  करने  वाले  भी  किसी  न  किसी  बीमारी   से  पीड़ित  हो  जाता  है  l
 स्वस्थ  रहने  का  एक  ही  तरीका  है --- प्रकृति  की  ओर   लौट  चलो  l 

WISDOM ----- ' मन के हारे हार है , मन के जीते जीत '

  दो  पड़ोसी   राजा   थे ,  दोनों  ही  सत्यनिष्ठ  और  माता  भगवती  के  उपासक  थे  l   एक  दिन  दोनों  में   इस  विषय    पर  बहस  छिड़  गई   कि   दुनिया  में  सबसे  शक्तिशाली  कौन  ?
  कुछ   निर्णय  न  होता  देख    दोनों  ऋषि   सुक्षीण   के  पास  पहुंचे  l  ऋषि  ने  दोनों  का  सत्कार  किया   और  उनकी  जिज्ञासा  सुनी   l   उनका  प्रश्न  सुनकर  ऋषि  बोले ---- "  राजन  !  दुनिया  में  सबसे  शक्तिशाली   और  सबसे  कमजोर   ' मन '  ही  है   l   जिसका  अपने  मन  पर  सम्पूर्ण  अधिकार  हो  जाता  है  ,  उसके  आगे  शक्ति - सामर्थ्य  के  सारे  मार्ग  खुल  जाते  हैं   और  जो  अपने  मन  को  ही   काबू  में  नहीं  कर  पाता   वो  दीन - दुर्बल   और  असहाय  बना  रहता  l  "
  पं. श्रीराम   शर्मा  आचार्य जी  ने  लिखा  है ---- प्रकृति  की  छाँव  में  रहने  वाले  जानवर  कभी  बीमार  नहीं  पड़ते  ,  लेकिन  आदमी  बीमार  पड़ता  है  और  उसके   साथ  रहने  वाले  जानवर  भी  बीमार  पड़ते  हैं  l
वे  कहते  हैं --- अस्पताल  में   टी. बी.  के  मरीजों  के  कपड़े  धोने  वाले  सब  धोबियों  को  यह  बीमारी  होती  ही  नहीं  l   तब  वायरस  कहाँ  चले  जाते  हैं  ? 
  आचार्य श्री  अपने  उद्बोधन  में  कहते  हैं ---- ' ये  सारे  कीटाणु  असंयम  से  आते  हैं  l   मनुष्य  अपनी  जीभ  की  नोंक  से    अपनी  कब्र  तैयार  करता  है  l   मनुष्य  संयम - नियम  का  पालन  न  कर  के  अपनी  ऊर्जा  गंवाता  है  l  प्रतिरोधक  शक्ति  न  होने  से  वायरस व  कीटाणु  उसको  जकड़  लेते  हैं  l   भीष्म पितामह , श्रीहनुमानजी ,  स्वामी  दयानन्द  सरस्वती  आदि  अनेकों  महापुरुषों  ने  संयम  से  ही  शक्ति  प्राप्त  की   और  महान  कार्य  किये  l 

WISDOM ------

 भगवान   जिसकी  रक्षा  करते  हैं  वह  व्यक्ति   बिना  किसी  रक्षा  के  साधनों   के  भी  जीवित  रहता  है  ,
  और  उसके  द्वारा  अरक्षित   व्यक्ति   सारी   सुरक्षा  के  बाद  भी  जीवित  नहीं  रहता  l   तभी  तो  वन  में  छोड़ा  हुआ  अनाथ  भी  जीवित  रहता  है  ,  जबकि  घर  पर  हर  प्रकार  की  देख - रेख  एवं   बचाव  के  प्रयत्नों  के  उपरांत  भी  व्यक्ति  मृत्यु  को  प्राप्त  होता  है  l