23 April 2020

WISDOM ------ प्रतिशोध

पुराणों  की  कथाएं    प्राचीन   हैं , लेकिन    वे  हर  युग   में  प्रासंगिक  हैं  l   एक  कथा  है  -----   राजा  परीक्षित  की  एक  बड़ी  गलती  की  वजह  से  ऋषि  ने  उन्हें    शाप   दिया  था  कि   उस  दिन  से  ठीक  सांतवे  दिन  उन्हें  तक्षक  नाग  डस   लेगा  l   मृत्यु  को  समीप  जानकर  उन्होंने   भागवद पुराण  सुना   और  शाप  के  अनुसार  तक्षक  नाग  द्वारा  डस   जाने  से  उनकी  मृत्यु  हो  गई  l 
  परीक्षित  के  पुत्र  जन्मेजय   को  जब  यह  पता  चला  तो  उन्हें  बहुत  क्रोध  आया   और  उनके  ह्रदय   में  बदले  की  आग  पैदा  हो  गई  l   उन्होंने  निश्चय  किया  कि   ' सर्प  यज्ञ  ' करेंगे    जिससे  संसार  में  सर्प  की  प्रजाति  ही  समाप्त  हो  जाएगी   l   संकल्प  के  अनुरूप  यज्ञ  की  व्यवस्था  हुई ,   सर्प  यज्ञ  आरम्भ  हुआ   ,  आहुतियों  के  साथ  ही    दूर - दूर  से  सर्प  आकर  उस  यज्ञ  की  प्रज्ज्वलित  अग्नि  में  गिरकर  समाप्त  होने  लगे  l   तक्षक  नाग  को  जब  इसकी  खबर  मिली  तो  वह   भाग  कर  अपने  मित्र  देवराज  इंद्र  के  पास  गया  --' त्राहिमाम '  --- रक्षा  करो  '  l   इंद्र  ने  उसकी  बात  सुनी  और  उसे  शरण  दी  l   वह  इंद्र  के  सिंहासन  से  लिपट  कर  बैठ  गया  l
  जन्मेजय  के  यज्ञ  में  तीव्र  अग्नि  प्रज्ज्वलित  थी  ,  तक्षक  नाग  के  नाम  से  आहुति  डालते  ही  तक्षक  सहित     देवराज  इंद्र   का  सिंहासन  आकाश  में  मंडराने  लगा  क्योंकि  इंद्र  सिंहासन  पर  बैठे  थे   और  उन्होंने  उसे  शरण  दी  थी  l   यह  देख  सब  देवता  आ  गए  ,  उन्होंने  जनमेजय   को  समझाया  ,  उसका  क्रोध  शांत  हुआ  ,  सर्प  यज्ञ  को  बंद  कराया  l   तक्षक  और  इंद्र  वापस  लौटे  ,  शेष  सर्पों  की  रक्षा  हुई  l
    ऋषियों  ने  समझाया  -- इस  तरह  परस्पर  बदले  की  भावना  का  कोई  अंत  नहीं  है  l   बदला  लेने  में  अपनी  शक्ति  को  गंवाने  से   अच्छा  है  उसे  लोक कल्याण  में    लगाकर  अपना  जीवन  सार्थक  करो  l   

WISDOM ------

मनुष्य  जीवन  अनेक  समस्याओं  से  घिरा  है  l   समस्याएं  सबके  जीवन  में  आती  हैं  l   ईश्वर  ने   धरती  पर  मनुष्य  के  रूप  में  अवतार  लेकर  अपने  आचरण   से   लोगों  को  समझाया   कि   कैसे  धैर्य  और  विवेक  से   समस्याओं  पर  विजय  पाई  जा  सकती  है  ---- 
  रावण   बहुत   शक्तिशाली   था ,  कूटनीतिज्ञ  था  l  उस  ने  सीता  का  हरण  किया  l   देखने  में  लगता  है  रावण  एक  था   लेकिन  उसके  दस   सिर   थे   अर्थात     दस   अलग - अलग  क्षेत्रों  के  सर्वश्रेष्ठ  बुद्धिमान  उसके  नियंत्रण  में  थे  l   उसका  स्वयं  का  परिवार  बहुत  बड़ा  था  ,   उसके  पास  राक्षसों  की  विशाल  सेना  थी   जो  सब  मायावी  विद्दा  जानते  थे   और  रावण  के  एक  आदेश  पर  अदृश्य  होकर  संसार  में  उत्पात  मचाते  थे   l   कहते  हैं   उसने    राहु , शनि  सबकी  कैद  कर  लिया  था  l   उसके  पास  अथाह  सम्पति  थी ,  सोने  की  लंका  थी  l   इन  सबके  साथ  उसके  पास  एक  अमूल्य  खजाना  था   जो  उसकी  नाभि  में  छुपा  था  ,  वह  था----  अमृत  l    रावण  स्वयं  को  अमर  समझता  था  l  इन  सब  कारणों  से  उसका  अहंकार  बहुत  बढ़ा - चढ़ा  था  l 
  रावण  एक  विचार  ,  आज  भी  व्यक्ति  शक्ति - सम्पन्नता   एकत्र   कर  स्वयं  को  अमर  समझता  है  ,  अहंकारी  हो  जाता  है   और  फिर  अपनी  ताकत  से  सबको  अपने  अधीन   कर   अपने  इशारों  पर  चलाना  चाहता  है  l   सबको  अपने   नियंत्रण  में  रखना ,  अत्याचार  करना  ,  चैन  से  जीने  न  देना  , यह  सब  मानसिक  विकृति  है  l   भगवान   राम  ने   एक - एक  कर  के   उसके  सिर   काटे  ,  उसके  मजबूत  आधार  को  समाप्त  किया   फिर  अंत  में  उसकी  नाभि  में  बाण   मार कर    उसके  अहंकार  को  मिटा  डाला  l