26 May 2020

WISDOM -----

  यदि  मानसिकता  दूषित  है  तो  उसके  परिणाम  हमेशा  हमेशा  घातक  होंगे   l   आसुरी  प्रवृति  के   जो  लोग  हैं  उन्हें  हमेशा  दूसरों  को  सताने  में  आनंद  आता  है  l   एक  बात  महत्वपूर्ण  है  कि   बिच्छू   की  प्रवृति  डंक    मारने    की  है   तो  वह  सबको  डंक  मारेगा   l   ऐसा  नहीं  है  कि   गरीब , कमजोर  को  मारे  और  अमीर  को  छोड़  दे   l   रावण  ने  यदि  सामान्य  जनता  पर  ,  ऋषियों  आदि  पर  अत्याचार  किया   तो  इतने  बलशाली  शनि  और  राहु  को  भी   अपनी  कैद  में  रख  लिया  l
  आसुरी  प्रवृति  के  लोगों  की  बुद्धि  भ्रष्ट  हो  जाती  है   l   नियंत्रण  करना  और  लूटपाट  करना  इनके  प्रमुख  अस्त्र  हैं   l   कम  लोगों    पर   नियंत्रण  रखना  आसान  है    ,  इसलिए  इनकी  संहार  करने  में  रूचि  होती  है   l    लूटपाट  के  लिए  अब  पहले  जैसे     घोड़े  पर  सेना  सहित  नहीं  आते  अब  तो  यह  सब  सभ्य  तरीके  से  होता  है   l    विज्ञापन,  प्रचार ,  भय,   लालच  ,  छल - छद्म   आदि  से  लोग  इतने  अमीर  हो  जाना  चाहते  हैं  कि   दुनिया  पर  राज  कर  सकें   l
  जागरूक  न  होने  के  कारण  ही  व्यक्ति  अन्याय  सहता  है   l   एक  छोटा  सा  परिवार  ही  यदि  जागरूक  और  संगठित  नहीं  है  तो  गैर  लोग   मौके  का  फायदा  उठा  लेंगे  l   जिनकी  नियत  फायदा  उठाने  की  होती  है  वे  हमेशा  घात  लगाए  बैठे  रहते  हैं  ,  फिर  चाहे  बात  परिवार  की  हो  या  देश  की  l   हम  जागरूक  और  संगठित  होकर  ही   अपने  अस्तित्व  की  रक्षा  कर  सकते  हैं  l 

WISDOM ------ मारने वाला नहीं , बचाने वाला बड़ा होता है

     राजकुमार  सिद्धार्थ   और  मंत्री पुत्र  देवदत्त   दोनों  साथ - साथ  बाग़  में  घूमने  जा  रहे  थे  l   सहसा  सिद्धार्थ   ने  देखा   दो  सुन्दर  राजहंस  आकाश  में  जा  रहे  हैं  l   उन्हें  देखकर  वह  प्रसन्न  हो   उठा  और  बोला  ---- देवदत्त  !  देखो  ये  कितने  सुन्दर  पक्षी  जा  रहे  हैं  l   देवदत्त  ने  ऊपर  देखा   और  अपना  धनुष - बाण  उठाया  ,  एक  पक्षी  को  मार  गिराया  l   सिद्धार्थ   की  प्रसन्नता  , व्याकुलता  में  परिणत  हो  गई  l   सिद्दार्थ  दौड़े ,  और  रक्त  से  सने   राजहंस  को  गोदी  में  उठा  लिया  और  रोने  लगे  l
देवदत्त  ने  कहा --- इस  पक्षी  पर  मेरा  अधिकार  है   सिद्धार्थ  l   देखते  नहीं  हो  इसे  मैंने  बाण  से  मारा  है  l   सिद्दार्थ  बिना  कुछ  कहे - सुने  पक्षी  को  लेकर  भवन  चले  गए  l   वहां  उसको  पानी  पिलाया  और  बड़े  प्यार  से  उसकी  सेवा  करने  लगे   l   देवदत्त  ने  उस  समय  राजकुमार  समझकर  कुछ  झगड़ा  नहीं  किया  ,  लेकिन  फिर  न्याय  प्राप्ति  के  लिए  महाराज  के  पास  जाकर  शिकायत  की  l
महाराज  ने  दोनों  को  राजदरबार  में  उपस्थित  होने  की  आज्ञा  दी  l   एक  और  देवदत्त  खड़े  थे  और  दूसरी  ओर   सिद्धार्थ   अपनी  गोद   में  पक्षी  को  लिए  खड़े  थे  l   देवदत्त  ने  अपना  तर्क  प्रस्तुत  किया  --- महाराज  मैंने   पक्षी  को  बाण  मारा  ,  इसलिए  इस  पर  मेरा  अधिकार  है  l   सिद्धार्थ   ने  कहा --- मैंने  इसे  बचाया  , इसलिए  इस  पर  मेरा  अधिकार  होना  चाहिए  l   महाराज  ने  पक्षी  को  दोनों  के  बीच  छुड़वा  दिया  ,  वह  राजहंस  स्वयं  ही   तेजी  से  सिद्धार्थ   के  पास  चला  गया  l   मूक  पक्षी  ने  स्वयं  ही  सिद्ध  कर  दिया  कि   मारने  वाला  नहीं ,  बचाने   वाला  बड़ा  होता  है  l
अंत:करण   की  यह  करुणा  की  भावना   ही  विस्तार पाकर   व्यक्ति  को   विश्वमानव  बना  देती  है  l   सिद्धार्थ    ही   करुणावतार   भगवान  बुद्ध  कहलाए ,  जिन्हे  संसार  नमन  करता  है   l