लालच ---- चाहे धन का हो , सत्ता का हो ,सम्पूर्ण समाज को जर्जर कर देता है क्योंकि इसकी पूर्ति के लिए व्यक्ति समाज का शोषण करता है l लालच का कोई अंत नहीं है , यदि ये दुर्गुण उच्च पद पर बैठे व्यक्ति से लेकर एक सामान्य व्यक्ति में भी हो तब इस श्रंखला को तोड़ना बड़ा कठिन है और तब इसका परिणाम ऐसा घातक होता है कि चारों ओर हाहाकार मच जाता है l लालच का सबसे पहला आक्रमण स्वाभिमान पर होता है l मनुष्य अपनी असीमित कामनाओं और वासना की पूर्ति के लिए दूसरों की गुलामी को भी स्वीकार कर कर लेता है l
30 April 2021
29 April 2021
WISDOM -----
यह कथा है उस समय की जब भगवान श्रीराम ने स्वयं भोलेनाथ भगवान शंकर जी से अनुरोध किया था कि आप कृपा कर के भविष्य में अनुत्तरदायी व्यक्तियों तक शक्ति और सत्ता न पहुँचने दें l उससे उलटा परिणाम निकलता है , क्योंकि शक्ति और सत्ता जब अनाधिकारी व्यक्ति के हाथों में चली जाती है , तो उसका दुरूपयोग ही होता है l ' कथा है ----- ' मधु ' नामक दैत्य था l दैत्य होते हुए भी वह बहुत दयालु , भगवद्भक्त और अहिंसक था , उसने शिवजी को प्रसन्न कर के वरदान में त्रिशूल प्राप्त कर लिया l उसने भगवान से प्रार्थना की कि यह त्रिशूल सदा उसके वंश में रहे l शंकर जी बोले --- ' ऐसा नहीं होगा , यह त्रिशूल तुम्हारे केवल एक पुत्र के पास रहेगा l ' मधु दैत्य का पुत्र लवणासुर बहुत क्रोधी , निर्दयी , अत्याचारी , दुराचारी था l जब दुष्ट व्यक्तियों के हाथ में सत्ता और शक्ति आ जाती है तो वे इसका दुरूपयोग करते हैं l लवणासुर भी सत्ता पाकर अन्य राज्यों में लूट , क़त्ल व अन्याय करने लगा l इससे प्रजा , ऋषि -मुनि सब बहुत दुःखी हो गए l उन दिनों अयोध्या में भगवान श्रीराम का राज्य था l सभी लोग भगवान की शरण में गए और सब व्यथा कही l भगवान ने कहा --- ' अनाधिकारी व्यक्ति यदि अपनी शक्ति व सत्ता का दुरूपयोग करता है तो किसी भी तरह उसे रोकने में संकोच नहीं करना चाहिए l ' उन्होंने अपने छोटे भाई शत्रुध्न को लवणासुर का वध करने के लिए भेजा और सचेत किया कि जब लवणासुर के हाथ में त्रिशूल नहीं होगा तभी उसका वध संभव है l ऋषियों ने बताया कि जब प्रात:काल वह आहार के लिए जाता है तब उसके हाथ में त्रिशूल नहीं होता है l षत्रुधन जी ने सही वक्त पर लवणासुर पर आक्रमण कर उसका वध कर दिया l शिवजी का त्रिशूल भी उनके पास चला गया l किसी के पास भगवान की दी हुई शक्ति ही क्यों न हो , यदि वह उसका दुरूपयोग करेगा तो उसका अंत भी निश्चित है l
23 April 2021
WISDOM ------
कहते हैं ---- किसी को सुख न दे सको तो कोई बात नहीं , लेकिन किसी को दुःखी न करो l ' और आज निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों के जीवन में जो दुःख है वह किसी से छिपा नहीं है l बीमारी तो हमेशा से ही संसार में रहीं हैं --- डाइबिटीज , टी. बी. , ------ अनगिनत बीमारियाँ हैं l सबसे बड़ी महामारी है ---' अमीरी ' l उनके खजाने में कमी न आ जाये इसलिए बीमारी के बहाने से लोगों को काम से ही हटा दिया l युवा जिनके जीवन के अनेक सपने हैं , वे कमरे में बंद हैं l बच्चे जो देश के कर्णधार हैं , उनका भविष्य भी खतरे में है l संसार के कुछ गिने - चुने लोगों ने अपने सुख , अपनी महत्वाकांक्षा के लिए एक बहुत बड़े मानव समुदाय को दुःखी कर दिया l जब मनुष्य संवेदनहीन हो जाता है तब ऐसी आपदा कुछ को बहुत अमीर बना देती है , कुछ का जीवन कठिन हो जाता है l मुसीबतों का वर्गीकरण किया जाए तो कुछ तो प्राकृतिक होती हैं लेकिन कुछ ऐसी भी होती हैं जिन्हे शक्ति संपन्न व्यक्ति कमजोर पर थोप देते हैं l
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22 April 2021
WISDOM ----
मनुष्य जब अपने अहंकार , अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए प्रकृति से छेड़छाड़ करता है तो उसकी प्रतिक्रियास्वरूप विभिन्न समस्याएं आती हैं l संसार के धन - वैभव और शक्ति संपन्न व्यक्ति जब प्रकृति पर नियंत्रण करने के लिए विभिन्न योजनाएं बनाते हैं और उन्हें इसी उद्देश्य से लागू करते हैं कि अब वे ही इस संसार के कर्ता -धर्ता हैं तो संसार में ऐसी आपदाएं आना स्वाभाविक है l प्रकृति स्वयं में संतुलित है l ऐसे पदार्थ जो प्राणीमात्र के लिए , पर्यावरण के लिए घातक हैं , वे धरती में बहुत गहराई में छिपे हैं लेकिन स्वयं को ज्ञानी समझने वाले मनुष्य ने उनको उतनी गहराई से बाहर निकाल लिया l एक कहावत है ---जब कोई काम न हो तो ' आओ पड़ोसन लड़ें ' l और लड़ने के लिए हथियार चाहिए --- घातक हथियार बनाना , उनका प्रयोग करना , पूरे वातावरण को जहरीला बना देता है l इसी तरह विकास की दौड़ एक सीमा तक ही उचित है , विज्ञान ने पूरे आकाश को सेटेलाइट से भर दिया l धरती से आसमान तक सब प्रदूषित हो गया l यह चिंतन का विषय है आखिर यह आपदा किसकी देन है l मनुष्य ने स्वयं को विकसित नहीं किया केवल साधनों को ही विकसित किया l पहले ' मन की शक्ति ' से संदेश दूर - दूर तक पहुँच जाते थे , लेकिन अब मन , भावनाएं सब मर चुकी हैं l हमारा सूचना और संचार तंत्र कितना शक्तिशाली हो जाये , इसने अनेक पक्षियों को लुप्त कर दिया l पक्षियों की लुप्त होती प्रजातियाँ हमें एक संदेश दे रही हैं , जिसे समझना जरुरी है l
21 April 2021
WISDOM ----
आज संसार में धनपतियों में संसार का सबसे अधिक अमीर बनने की होड़ है l इस अंधी प्रतियोगिता के कारण ही वे सब तरीके अपनाये जाते हैं जो मानव जाति के लिए हानिकारक हैं l कर्मफल को माने या न मानें लेकिन यह तो सच है कि उम्र ढलने पर अपने कमरे (ROOM ) में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना कठिन होता है , बड़े - बड़े महल का कोई अर्थ ही नहीं रहता , छप्पन व्यंजन भी हों तो शरीर में उनको हजम करने की शक्ति नहीं रहती l सुख के सब साथी दुःख में न कोय l इतना शोषण , इतना अन्याय किसके लिए करते हैं l दान भी करते हैं , तो उसके पीछे अपने स्वार्थ को पूरा करते हैं या अपने अनैतिक , अमर्यादित कार्यों पर कोई ऊँगली न उठाए , इसलिए सबका मुंह बंद करने के लिए l यह सत्य व्यक्ति स्वयं जानता है कि उसे चैन की नींद आती भी है या नहीं l
20 April 2021
WISDOM -----
' मनुष्य की एक मुट्ठी में स्वर्ग और दूसरी में नरक है l वह अपने लिए इन दोनों में से किसी को भी खोल सकने के लिए स्वतंत्र है l ' हम क्या चुनते हैं यह हमारे विवेक पर निर्भर है l या तो हम आधुनिक सुख - सुविधाओं में जीवन व्यतीत करें , जिसमे विज्ञानं द्वारा प्रदत्त साधनों से निकलने वाली तरंगे हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं और हमारी प्रतिरोधक शक्ति को कम करती हैं ,---- या हम सीमित मात्रा में सुविधाओं का उपभोग करते हुए प्राकृतिक जीवन जिएं l आज की स्वास्थ्य संबंधी अधिकांश समस्याएं विज्ञान की देन l जब संसार के बुद्धिजीवी , विचारशील व्यक्ति आगे बढ़कर वैज्ञानिक प्रगति की सीमा , एक मर्यादा निर्धारित कर देंगे तभी संसार विभिन्न आपदाओं से सुरक्षित रह पायेगा l
19 April 2021
WISDOM ------
संसार का इतिहास युद्धों का इतिहास है l युद्ध के हथियार बदलते गए लेकिन परिणाम होता है --- जन - धन की हानि l इसलिए जब भी विशाल पैमाने पर जन - धन की हानि हो तो वह युद्ध का ही एक रूप है l वर्तमान स्थिति में सभी देश इस महामारी से ग्रस्त हैं तो यह एक प्रकार का विश्व युद्ध है l यह युद्ध छद्म युद्ध है , इसमें न तो वार करने वाला दिखाई देता है और न ही कोई हथियार दिखाई देता है l बस ! मनुष्य भयग्रस्त होकर इधर से उधर भाग रहा है l पहले युद्ध होने पर ' ब्लैक आउट ' होता था , सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था , लोग बम के भय से घरों में दुबके रहते थे l ठीक वही स्थिति आज भी है l भयभीत होना एक प्रकार की मृत्यु ही है l भयग्रस्त व्यक्ति की चेतना मूर्छित हो जाती है और वह सही निर्णय नहीं ले पाता , अपने जीवन को बचाने की चाह में वह मृत्यु को आमंत्रित कर लेता है l भय के कारण जब सोचने - समझने की शक्ति नहीं रहती तब वह ' भेड़ - चाल ' चलता है और अपने हाथों अपना अहित करता है l' भय ' भी एक प्रकार का हथियार है --- मनुष्य अपनी बुद्धि का दुरूपयोग करता है तब अपने लालच , स्वार्थ और अहंकार के कारण वह रावण की तरह भय का कारोबार करता है l रावण का भय दसों दिशाओं में व्याप्त था l यह मानव जाति का दुर्भाग्य है कि हमने रावण की बुराइयों को अपना लिया और उसके गुणों को नहीं अपनाया l ऐसा कर के मनुष्य ने अपने ही अस्तित्व पर संकट उपस्थित कर लिया l
18 April 2021
WISDOM -------
मनुष्य की मुसीबतों का सबसे बड़ा कारण है कि आज मनुष्य नास्तिक हो गया है l विज्ञानं ने जो प्रगति की है उसका अहंकार मनुष्य को हो गया है और वह स्वयं को भगवान समझने लगा है l यही कारण है आज समाज में तनाव , आत्महत्या , आतंक , अपराध , अकाल मृत्यु , बीमारी , महामारी , आपदाएं बढ़ गई हैं l ' भगवान ' का अर्थ है ---- सद्गुणों का सम्मुच्य ' l लेकिन वैज्ञानिक आविष्कार यदि मानव समाज को नुकसान पहुंचा रहे हैं , तो हमें यह समझना होगा कि हम अब भगवान किसे माने क्योंकि ईश्वर की प्रत्येक देन पवित्र है l ईश्वर ने हमें शुद्ध हवा दी है यदि हम उसे न लेकर मानव निर्मित किसी डिब्बे से हवा लेंगे तो यह हमारा कुसूर है l माँ , चाहे वह इनसान हो या पशु - पक्षी , जब वह बच्चे को अपना दूध जो ईश्वरीय देन है , पिलाती है तभी बच्चा स्वस्थ रहता है l यदि मानव निर्मित डिब्बे का दूध पिलायेंगे तो बच्चा उतना स्वस्थ नहीं होगा l ईश्वर की यह देन कितनी आश्चर्यजनक है कि एक से एक गरीब , भूखी - प्यासी रहने वाली माताओं के स्तन में बच्चे को पिलाने के लिए दूध आ जाता है लेकिन अनेक ऐसी माताएं भी हैं जो बहुत अमीर हैं , खाने - पीने की कोई कमी नहीं है , वे ईश्वर की इस देन से वंचित रह जाती हैं फिर उन्हें अन्य उपायों का सहारा लेना पड़ता है l संसार में आज जितनी समस्याएं हैं उसका कारण अमीरों की तृष्णा है जो कभी पूरी नहीं होती --- नशा बेचने वाला चाहेगा कि उसका ज्यादा से ज्यादा माल बिक जाये जिससे उसकी अमीरी बढ़ जाए , हथियार का व्यापारी चाहेगा कि खूब दंगे - फसाद हो , युद्ध का खतरा रहे ताकि माल बिके , दवा विक्रेता चाहेगा अधिक से अधिक लोग बीमार पड़ें ताकि दवाई बिकेँ , फिल्म वाले चाहेंगे कि कितने अपराध के और अश्लील दृश्य डालें कि करोड़ों की आमदनी हो जाये , रासायनिक खाद वाले चाहेंगे कि चाहे लोगों का शरीर जहरीला हो जाये उनकी खाद और कीटनाशक बिक जाएँ l यह सब इसलिए है क्योंकि आम जनता जागरूक नहीं है और चतुर लोग मनुष्य की कमजोरी का फायदा उठाना जानते हैं l सुख - शांति से जीवन जीने का एक ही रास्ता है कि हम ईश्वरविश्वासी ( आत्मविश्वासी ) बनें और सद्बुद्धि की प्रार्थना करें l
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उउउउप['
एक गाँव की कहानी है --- वहां एक सूदखोर जो लोगों को धन उधार देता रहता था l वह चाहता बहुत धनवान हो जाये जिससे बहुत बड़े क्षेत्र में धन उधार दे सके और उसका ब्याज इतना अधिक आए कि वह उससे फिर और उधार दे l इस क्षेत्र में उसका खूब नाम हो l वह चाहता था कि कोई ऐसा तरीका हो जिससे वह शीघ्र धनवान हो जाये l इसके लिए उसने बहुत साहित्य का , धर्मग्रंथों का अध्ययन किया l वह मनुष्य की कोई ऐसी कमजोरी जानना चाहता था जो सम्पूर्ण मानव समाज की हो l बहुत अध्ययन के बाद समझ में आया कि प्रत्येक मनुष्य चाहे वह अमीर हो या गरीब , ऊंच हो या नीच , सब जीना चाहते हैं l बहुत बड़ी आयु तक भी सुख -भोग भोगना चाहते हैं l अब उसे रास्ता मिल गया l उसने साधु का वेश धरा और अपने अनेक चतुर साथियों को गाँव - गाँव में भेजा l उन्होंने प्रचार - प्रसार किया कि हमारे साधु बाबा के पास ' अक्षय पात्र ' है उसमे से उनके दिए जल को पीने से व्यक्ति की आयु सौ वर्ष और बढ़ जाएगी तथा वह स्वस्थ होकर दीर्घ अवधि तक आनंद से रहेगा l अब उसके दरवाजे पर भीड़ लगने लगी l उस सूदखोर साधु के साथ एक छोटा लड़का था , वह लोगों के सामने उस छोटे लड़के के हाथ , गर्दन या माथे पर एक कीप लगाकर कुछ बुदबुदाता तो कीप में पता नहीं कहाँ से पानी गिरने लगता जिसे वह अक्षय पात्र में रखता और इच्छुक लोगों को पिलाता l अब क्या था धंधा चल निकला l वह कहता ---सौ वर्ष आयु में वृद्धि करनी है तो कुछ कष्ट तो सहन करना ही पड़ेगा , इसके लिए वह तरह - तरह की दवाइयां देता l वह धनवान होता गया और लोग बीमार , बुझे हुए चेहरे और अमानवीय लक्षणों से ग्रस्त होने लगे l अपनी अज्ञानता के कारण और दवाइयां उससे लेते और अपने शरीर को गलाकर उस सूदखोर को और अमीर बनाने में अपना भरपूर योगदान देते l उसी गाँव का एक नवयुवक जो अध्ययन के लिए दूर किसी नगर में गया था , जब लौटा तो उसने देखा चारों ओर मौत का सन्नाटा है , खुशियां जैसे ख़त्म हो गईं , लोगों के चेहरे अजीब से हो गए l लोगों से पूछा तो उन अज्ञानी लोगों ने उस बाबा की बहुत तारीफ की कि वह हमें दवाई भी देता है , धन उधार भी देता है , इस गाँव पर कोई प्रकोप हो गया
WISDOM ------- मन से दुर्भावनाएं दूर न हुईं तो फिर गंगा स्नान किस काम का ?
कबीर दास जी के जीवन का प्रसंग है ---- प्रात: का समय था l भक्त लोग स्नान कर रहे थे l कुछ ब्राह्मण भी गंगा स्नान करने आए l पानी काफी गहरा था इसलिए घुसकर स्नान करने का साहस नहीं हो रहा था l एक किनारे पर संत कबीर स्नान कर रहे थे l उन्होंने देखा तो अपना लोटा मांज - धोकर एक व्यक्ति को दिया और कहा कि जाओ , ब्राह्मणों को दे आओ ताकि वे भी सुविधा से स्नान कर सकें l कबीर का लोटा देखकर ब्राह्मण चिल्ला उठे --- " अरे ! जुलाहे के लोटे को दूर रखो l " कबीर बोले --- " इस लोटे को कई बार मांजा और गंगाजल से धोया फिर भी पवित्र नहीं हुआ , तो यह मानव शरीर जो दुर्भावनाओं से भरा है , गंगाजी में स्नान करने से कैसे पवित्र होगा ? " कबीर के ये शब्द सुनकर ब्राह्मण बड़े लज्जित हुए और एक दूसरे का मुंह ताकने लगे l
15 April 2021
WISDOM -----
एक बार की बात है सब बीमारियों में बहुत लड़ाई हुई , प्रत्येक बीमारी अपने आपको बड़ा कह रही थी और अपना महत्व बता रही थी कि वो जिसके लग जाये उसका क्या हाल हो जाता है l आपसे के भेदभाव , ऊंच - नीच के कारण वे सभी परेशान थीं l अपनी समस्या के समाधान के लिए वे पहाड़ के पास गईं l पहाड़ ( पर्वत ) पहाड़ उनकी समस्या सुनकर हँसने लगा l उसने कहा --- ' तुम मूर्ख हो l मनुष्य इसी भेदभाव और ऊंच - नीच के दुर्गुण से आपस में लड़कर अपनी ऊर्जा गँवा देता है , इस कारण तुम मनुष्य पर हावी होकर , उनको चूसकर अपना भोजन प्राप्त करती हो और चतुर लोग तुम्हारे माध्यम से अपना खजाना भरते हैं l अब यदि तुम आपस में लड़ोगी तो कमजोर हो जाओगी , और मनुष्य यदि जागरूक हो गया और मेरे पास छाई इस हरियाली के संरक्षण में आ गया तो तुम्हे कहीं ठिकाना नहीं मिलेगा l " यह सुनकर बीमारियों को बात तो समझ में आ गई वे बोलीं --- लेकिन हम क्या करें , किसी का ऊँचा नाम और महत्व देखकर हमें ईर्ष्या होती है , इस ईर्ष्या को कैसे दूर करें ? ' पहाड़ ने बहुत सोच - विचार कर कहा --- ' समस्या का मूल कारण नाम और उपनाम है l अब तुम सब एक ही नाम से मनुष्य पर लग जाओ l मनुष्य अपनी गलत आदतों से अपनी प्रतिरोधक शक्ति गँवा देता है और अनजाने ही तुम्हे आमंत्रित करता है इसलिए आपस में लड़कर अपने अस्तित्व को मत मिटाओ l '
14 April 2021
WISDOM -----
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी का कहना है ---- ' अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध प्राणों की बाजी लगा देने वाले को परमात्मा अपनी शक्ति दे देता है l ' जो अत्याचारी है , निर्दयी है उसे कमजोर को सताने में ही आनंद आता है लेकिन यह भी सत्य है कि यदि हम चुपचाप अत्याचार को सहन करते जाएंगे तो अत्याचारी की हिम्मत और बढ़ जाएगी , असुरता और प्रबल होगी l धर्म - कर्म रुक जाने असुरता और अधिक मजबूत होती है l अत्याचार तो हर युग में होता है l समय के साथ उसका रूप बदल जाता है l जो वीर होते हैं वो सामने से और चुनौती देकर ही वार करते हैं लेकिन जब संसार में कायरता बढ़ जाती है तब छुपकर वार होते हैं और हम जागरूक और निर्भय होकर ही समझ सकेंगे की बाह्य रूप से सबके हित की बात करने वाला वास्तव में हितैषी है या उसकी मंशा कुछ और है ? महाभारत में एक कथा है ----- जब पांचों पांडव माता कुंती समेत वनवास में थे , तब उन्होंने एक ब्राह्मण परिवार के घर में आश्रय लिया था l एक दिन उन्हें ब्राह्मण परिवार के रोने की आवाज आई l तब माता कुंती ने भीम से कहा कि जाओ पता करो कि यह ब्राह्मण परिवार इतना दुःखी क्यों है ? माता कुंती भी भीम के साथ गईं और ब्राह्मण परिवार को सांत्वना दी तथा दुःख का कारण पूछा l तब ब्राह्मण ने कहा ---- माता ! इस क्षेत्र में एक बहुत भयानक दैत्य का आतंक है l वह पहले प्रतिदिन जहाँ से जिसको चाहता था खाने के लिए पकड़ ले जाता था l जिससे सम्पूर्ण क्षेत्र में , प्रत्येक घर में भय व्याप्त था l शिक्षा , चिकित्सा , धर्म - कर्म , सामान्य जीवन क्रम , सामाजिक जीवन सभी कुछ अस्त - व्यस्त हो गया था l इसलिए जनता ने पंचायत कर के दैत्य से यह समझौता कर लिया कि वह बस्ती में न आये , प्रतिदिन क्रम से एक घर से एक आदमी और भोजन का सामान उसके पास पहुँच जाया करेगा l इसी क्रम में आज उसके परिवार की बारी है l हम पुत्र वियोग का दुःख सहन नहीं कर सकते इसलिए हम सबने एक साथ दैत्य के पास जाकर मरने का निश्चय किया है l " कुंती ने उन्हें सांत्वना दी और कहा कि ---- आप निश्चिन्त रहें , आपने अपने घर में हमें आश्रय दिया है , आपकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है l आज मेरा पुत्र भीम जायेगा l भीम बहुत बलवान थे , फिर सत्प्रयासों में बहुत शक्ति होती है l भीम ने दैत्य का वध कर दिया और वह क्षेत्र दैत्य के आतंक से मुक्त हो गया l
13 April 2021
WISDOM ------
विचारों में परिवर्तन और परिमार्जन होते ही जीवन कैसे बदल जाता है , इसके उदाहरण हैं --- महात्मा टालस्टाय l टालस्टाय जन्मजात महात्मा नहीं थे l वे एक सामन्तवंशी राजकुमार थे l रुसी सेना में सेना नायक के पद पर कार्य करते रहे l सामंत सेनापतियों की सारी बुराइयां उनमे भरी पड़ी थीं l जीवन के कई वर्ष उन्होंने मद्दपान , क्रूरता , हत्या तथा भोग - विलास में बिताये l जब वे रुसी तोपखाने में थे तब युद्ध में जाकर हजारों मनुष्यों का वध किया करते थे , गांव और नगर वीरान कर देते थे l तब उन्हें अनाथ हुए बच्चों , विधवाओं और पुत्रहीन माताओं का क्रंदन और घायलों की कराह सुखद लगती थी l खेत और खलिहानों को जलाती हुई आग की लपटें सुहावनी लगती थीं l टालस्टाय के जीवन की यह अंधकार की स्थिति बहुत समय तक न चल सकी l उन्होंने महात्माओं , संतों और सज्जनों के जीवन से अपनी तुलना की तो उन्होंने अनुभव किया कि वे मानों मनुष्य हैं ही नहीं , वे पशु हैं l व्यसन और विलासिता के दास हैं l ऐसे विचार आते ही उन्हें अपने जीवन पर ग्लानि होने लगी l वे जब सेना में थे , उन दिनों को याद कर के रो देते थे l सत्य का प्रकाश आते ही उन्होंने अपने जीवन की धारा बदल दी और अब वे बुरे से अच्छे बनकर प्रेम , करुणा , सहृदयता , सहानुभूति तथा त्याग - तपस्या की मूर्ति बन गए l आत्म ग्लानि की वेदना को कम करने के लिए उन्होंने कलम का सहारा लिया और ' बचपन ' नामक उपन्यास लिखा , जिसकी बहुत प्रशंसा हुई l उन्होंने रूस में विद्द्या प्रसार का बहुमूल्य कार्य किया l
12 April 2021
WISDOM -----
रवीन्द्रनाथ टैगोर सागर की तरह धीर और गंभीर व्यक्ति थे l वे असामान्य व्यक्ति थे , उनको न लाभ का लोभ था और न घाटे में अप्रसन्नता l बात उन दिनों की है जब उनके जूट के व्यवसाय में कई लाख रूपये का घाटा हो गया था l कोई सामान्य व्यक्ति होता तो रोते , कलपते , बीमार पड़ते , -भाग दौड़ मचाकर घाटे को पूरा करने का प्रयत्न करता लेकिन ऐसी विषम घड़ी में वह एक ऐसे प्रतिष्ठान की स्थापना की बात सोच रहे थे जो अपनी भारतीय कला व संस्कृति को सुरक्षित व ज्योतिर्मय रख सके l कई लाख रूपये की प्रस्तावित योजना थी l किसी ने पूछा --- प्रारूप तो तैयार है पर पैसा कहाँ से आएगा ? उन्होंने बोलपुर में शांतिनिकेतन की स्थापना के लिए अपनी सारी सम्पति , जगन्नाथपुरी वाला मकान , पत्नी के आभूषण , अपने पास की कई कीमती वस्तुएं , पुस्तकों का स्टॉक आदि बेच डाला अपनी बहुमूल्य रचना ' गीतांजलि ' के लिए नोबेल पुरस्कार में मिले सवा लाख रूपये भी खर्चा चलाने के लिए संस्था को दे दिए l फिर जब धन की कमी पड़ी तो वे एक ' अभिनय मंडली ' बनाकर भ्रमण करने के लिए निकले और अनेक बड़े नगरों में प्रदर्शन कर के संस्था के लिए धन एकत्रित किया l महाकवि के परिश्रम एवं त्याग भावना से इस संस्था की निरंतर उन्नति होती गई l फिर इसी के अंतर्गत एक और शाखा ' विश्व भारती ' की स्थापना की गई , जिसमें संसार भर के विभिन्न देशों के विद्दार्थी आकर उसी प्रकार ज्ञान प्राप्त करने लगे जिस प्रकार प्रकार प्राचीन काल में नालंदा और तक्षशिला आदि विद्दालयों में विद्दार्थी ज्ञान प्राप्ति के लिए आया करते थे l पं. जवाहरलाल नेहरू ने इस शिक्षा संस्था के संबंध में कहा था ----- " जिसने शान्ति - निकेतन नहीं देखा उसने हिंदुस्तान नहीं देखा l "
11 April 2021
WISDOM -----
विश्व प्रसिद्ध संत खलील जिब्रान धनाढ्य और प्रतिभा संपन्न थे l उन्होंने गरीब और असभ्य लोगों तथा समाज के पीड़ित शोषित वर्ग में चेतना जाग्रत की , सामाजिक क्रांति का बिगुल बजाया इसके फलस्वरूप उन्हें जागीरदारों और शासक वर्ग का कोपभाजन बनना पड़ा l इन स्वार्थपरायण लोगों ने उन्हें स्वदेश से निष्कासित करा दिया , उस वक्त उन्होंने कहा था ---- ' लोग मुझे पागल समझते हैं कि मैं अपने जीवन को उनके सोने - चांदी के कुछ टुकड़ों के बदले नहीं बेचता l और मैं इन्हे पागल समझता हूँ कि वे , मेरे जीवन को बिक्री की एक वस्तु समझते हैं l ' उन्होंने धार्मिक कर्मकांड , आडंबर आदि का विरोध किया l वे कहते थे जो धार्मिक सिद्धांत , कर्मकांड , आचार - व्यवहार मनुष्यता से परे है , जिसने मानवता को विकसित होने के द्वार बंद कर दिए , वह धर्म नहीं पाखंड है l
10 April 2021
WISDOM --------
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- ' दीन - दुर्बल वे नहीं जो गरीब अथवा कमजोर हैं वरन वे हैं जो कौड़ियों के मोल अपने अनमोल ईमान को बेचते हैं , प्रलोभनों में फँसकर अपने व्यक्तित्व का वजन गिराते हैं l तात्कालिक लाभ देखने वाले व्यक्ति उस अदूरदर्शी मक्खी की तरह हैं , जो चासनी के लोभ को संवरण न कर पाने के कारण उसके भीतर जा गिरती है तथा बेमौत मरती है l मृत्यु शरीर की ही नहीं व्यक्तित्व की भी होती है l गिरावट भी मृत्यु है l ' लोभ , लालच , तृष्णा आदि दुर्गुणों से ग्रस्त व्यक्ति कितना ही धन , वैभव और शक्ति संपन्न हो , वह मन का दरिद्र होता है और अपनी असीमित इच्छाओं को पूरा करने के लिए वह अपना स्वाभिमान , आत्मविश्वास , अपना चरित्र सब कुछ खो देता है l
WISDOM -----
प्राचीन समय की बात है , जब धरती विभिन्न सीमाओं में नहीं बँटी थी और सुविधानुसार योग्य व्यक्ति अपने साधनों और समझ के अनुसार एक भूभाग की देखभाल किया करते थे l प्रजा सुखी व संपन्न थी , कोई अपराध नहीं थे l वक्त बीतता गया , उस योग्य व्यक्ति को . राजा ' नाम दे दिया गया , खुशियां तब भी थीं l प्रत्येक भूभाग के धन - संपन्न व्यक्ति विभिन्न प्रशासकीय कार्यों के लिए मदद करते थे और प्रजा के हित के लिए शिक्षण संस्थाएं , अस्पताल , कुएं व पशुओं के लिए चारागाह आदि विभिन्न लोक कल्याण के कार्य करते थे l सब दिन एक से नहीं होते l विभिन्न भूभागों में से एक में एक व्यक्ति बहुत संपन्न था , उसका व्यापार दूर - दूर तक था , वह विभिन्न क्षेत्रों में लोगों की , और राजा की मदद भी करता था l इस बात का उसे बड़ा अहंकार था , वह सोचने लगा कि जब हम इतना धन सब की मदद में देते हैं तो हुकूमत भी हमारी चलनी चाहिए l उसने विभिन्न भूभाग के धनिकों से संपर्क किया और संगठन बनाकर यह निश्चय किया कि प्रत्येक भूभाग में सभी नियम - कानून उनकी सहमति और स्वीकृति से ही लागू होंगे l ऐसा करने के लिए उन्होंने अपने भूभाग के राजा को आश्वासन दिया कि यदि वे उनकी कठपुतली बन कर रहेंगे तो हमेशा गद्दी पर बने रहेंगे l एक कहावत है ---- ' तेली का काम तमोली नहीं कर सकता ' l जब व्यापार करने वाले प्रशासनिक कार्य में दखल करने लगे तब सभी नियम - कानून में उनका स्वार्थ प्रमुख हो गया l ऐसे नियम बने कि उनकी अमीरी में कमी न आए और जनता गरीब और मजबूर हो जाये ताकि उसमे विद्रोह की हिम्मत ही न रहे l अपने अस्तित्व को बचाने के लिए बड़ी मछली ने छोटी मछली को निगल लिया l जो श्रम का महत्त्व समझते थे उन्हें भी आलसी बना दिया l विभिन्न भूभागों के राजा जिन्होंने सत्ता और धन के लालच में अपना स्वाभिमान गिरवी रख दिया था , धरती से उनके भी जाने के दिन आ गए लेकिन तब तक बहुत देर हो गई थी l श्रम से दूरी के कारण लोग आलसी और भिखारी हो गए और पेट की आग के कारण आपस में ही लड़ मरे l अराजकता और अव्यवस्था ने सब को निगल लिया और अनेक गुणों की खान वह सभ्यता और संस्कृति विभिन्न आपदाओं को सह न सकी और धूल में मिल गई l
8 April 2021
WISDOM ------
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने लिखा है ---- " सच्ची राजनीति वही है जिसमे दुष्टों के दमन के साथ - साथ शिष्टों के रक्षण और पालन का पूरा -पूरा ध्यान रखा जाए l ' महात्मा ईसा ने भी लिखा है ---- जो तलवार की धार पर रहते हैं ,उनका अंत भी तलवार से ही होता है l " समर्थ गुरु रामदास ने अपने अनुयायिओं को उस राजनीति की शिक्षा दी जो विवेक , सूझबूझ और सावधानी पर आधारित होती है l उनका कहना था कि ---- ' सांसारिक व्यवहार में भी हमको अकारण किसी का अहित नहीं करना चाहिए , यथासंभव समझौते तथा मेलमिलाप की नीति से ही काम लेना चाहिए l लड़ना तभी चाहिए जब कोई नीच या स्वार्थी व्यक्ति दुष्टता करने पर उतारू हो l " श्री समर्थ के सभी विचार उनके ग्रन्थ ' दासबोध ' में हैं , उनका कहना था ---- " हमें दूसरों के मन की बात को समझना चाहिए l सदैव किसी के अवगुणो को कहते रहना अच्छा काम नहीं है l छत्रपति शिवाजी महाराज ने इसी नीति पर चलकर महाराष्ट्र में अद्भुत एकता और संगठन शक्ति उत्पन्न कर दी और औरंगजेब जैसे साम्राज्यवादी के छक्के छुड़ा दिए l
7 April 2021
WISDOM -------
श्री महादेव गोविन्द रानाडे के जीवन का प्रसंग है --- जब वे कुछ समय के लिए कोल्हापुर में जज के पद पर थे l उनके पिता के अनेक परिचित उन दिनों घर आने लगे कि वे उनके मुकदमे में सिफारिश कर दें l एक बार उनके दूर का कोई संबंधी जो प्रतिष्ठित व्यक्ति था , किसी बड़े झगड़े में फँस गया था , उसने उनके पिता से कहा कि वे रानाडे से सिफारिश करें कि वे उनके कागजात अच्छी तरह देख लें , तब मुकदमे का फैसला करें l उसके बार - बार अनुनय - विनय करने पर रानाडे के पिता को उस पर दया आ गई और उन्होंने अपने बेटे से कहा कि वे उसकी बात सुन लें l रानाडे बड़े पितृभक्त थे उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया l तब उस व्यक्ति ने कहा --- ' मैं आपको अपने कागज - पत्र दिखाना चाहता हूँ , जब आपको अवसर हो तो दिखाऊं l ' रानाडे ने बड़ी नम्रता से उत्तर दिया ---- जी नहीं , आज तो मुझे बहुत काम है , जब अवसर होगा तब आपको सूचना दे दूंगा l " जब वह सज्जन चले गए तब बहुत विनय के साथ किन्तु स्पष्ट शब्दों में उन्होंने अपने पिता से कहा ---- " मैं जानता हूँ कोल्हापुर के सभी लोग आपके परिचित हैं l वे सभी अपने मुकदमे में आपसे सिफारिश कराना चाहेंगे आप किस प्रकार सबके मन की बात पूरी कर सकेंगे ? इसलिए इस संबंध में अच्छी तरह विचार कर लीजिए , अन्यथा विवश होकर मुझे यहाँ से बदली करा लेनी पड़ेगी l "
6 April 2021
WISDOM -----
प्रसिद्ध मानवतावादी विद्वान रोमारोलाँ ने लिखा है ---- ' लेनिन वर्तमान शताब्दी के सबसे कर्मठ और साथ ही स्वार्थ त्यागी व्यक्ति थे l उनने आजीवन घोर परिश्रम किया पर अपने लिए कभी किसी प्रकार के लाभ की इच्छा नहीं की l ' लेनिन 17 वर्ष की अवस्था में ही जन क्रांति के महत्त्व और शक्ति को समझते थे l वे जारशाही के तो दुश्मन थे लेकिन वे कहते थे ---' षड्यंत्र और गुप्त हत्याओं का मार्ग सही नहीं है , हम इस पर चलकर सफलता नहीं पा सकते l जब उन्हें जारशाही ने साइबेरिया में निष्कासित कर दिया तो वे शुसेनिस्क नमक गाँव में नजरबंदी का जीवन बिताना पड़ा l वहां के कष्ट और कठिनाइयों के कारण कितने ही कैदी पागल हो जाते थे , भूखों रहकर मर जाते थे लेकिन लेनिन मनस्वी और कर्मठ थे , उन्होंने समय का सदुपयोग किया , वहां के किसानों , मजदूरों को मुकदमे आदि के संबंध सलाह देते थे l उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी --' कहाँ से कार्य आरम्भ करें ' l इसे लोग रूस की राज्य क्रांति का प्राइमर कहने लगे थे l
5 April 2021
WISDOM -------
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- " किसी भी देश के स्वाधीनता आंदोलन में उचित मार्ग चुनने का भी बड़ा महत्व है l यदि ऐसा न किया जाए तो प्रकट में बड़ा परिश्रम , त्याग , कष्ट सहन करते हुए भी हम अपनी शक्ति को बर्बाद करते रहते हैं और प्रगति मार्ग पर बहुत ही कम अग्रसर हो पाते हैं l सभी राजनीतिक कार्यकर्ता अपने - अपने रास्ते को सही और प्रभावशाली बतलाते हैं पर लेनिन के समान व्यक्ति समस्त राष्ट्र में दो - चार ही होते हैं जो समय की गति को बिलकुल ठीक समझ सकते हैं और उसके अनुकूल विधान बना सकते हैं l हमारे देश में महात्मा गाँधी इसी श्रेणी में थे और इसलिए उन्होंने असंभव को संभव कर के दिखा दिया l
4 April 2021
WISDOM ------- शौर्य और धर्म - निष्ठा के प्रतीक ----- छत्रपति महाराज शिवाजी
गुणी की विशेषताएं प्रकट होते देर नहीं लगती l वीर शिवाजी के गुणों और योग्यताओं के विषय में सुनकर बीजापुर का सुल्तान आदिलशाह उन्हें देखने के लिए उत्सुक था l उसने उनके पिता शाहजी से उन्हें दरबार में लाने के लिए कहा l शाहजी ने उन्हें दरबार में चलने की आज्ञा दी l शिवाजी स्वाभिमानी थे , उन्होंने इस अनुचित आज्ञा को मानने से इनकार कर दिया l शाहजी और मुरार पंत ने शिवाजी को समझाया ---' दरबार में चलने से बड़ा लाभ होगा , बादशाह खुश हो जायेगा तो ख़िताब और ओहदा देगा , जागीर बख्शेगा l अपने बड़े लाभ के लिए बादशाह को एक बार सलाम कर लेने में क्या हर्ज है ? ' मुरार पंत की बात सुनकर किशोर शिवा बड़ी देर तक उनका मुंह देखते रहे फिर बोले -- " देश और धर्म पर होते अत्याचार पर दृष्टिपात न कर केवल अपने स्वार्थ की और देखते रहना अमानवीय प्रवृति है , जो स्वाभिमानी आदमी को शोभा नहीं देती ये बादशाह रोटी के टुकड़ों की तरह जागीरें सामने डालकर स्वानवृत्ति जगाते और भाई से भाई का गला कटवाते हैं l दुनिया में हेय तथा हीन बनकर काम नहीं चलता l यह तो मनुष्यों की अपनी कमजोरी और सोचने का ढंग है कि अन्यायियों के तलवे चाटने से ही काम चलता है l ईश्वर ऐसे अत्याचारी लोगों को सत्तावन देखने की इच्छा नहीं कर सकता l '
1 April 2021
WISDOM -------
श्री महादेव गोविन्द रानाडे के जीवन का एक प्रसंग है ---- जिन दिनों वे बम्बई के एलफिंस्टन कॉलेज में पढ़ते थे , वहां के प्रिंसिपल श्री ग्रांट ने ' अंग्रेजी और मराठा शासन की तुलना ' पर एक निबंध लिखने को कहा l अन्य सब लोगों ने तो उस समय की हवा के अनुसार अंग्रेजी राज्य की अच्छाइयों का ही गुणगान किया , पर रानाडे उस श्रेणी से बहुत ऊपर थे l उन्होंने अनेक प्रमाण देकर यह प्रमाणित किया कि मराठों का शासन अधिक प्रशंसनीय था l इस पर ग्रांट साहब बहुत नाराज हुए और रानाडे को बुलाकर कहा --- ---' तुम्हे उस सरकार की निंदा नहीं करनी चाहिए जो तुम्हे शिक्षित कर रही है और तुम्हारी जाति के साथ इतना उपकार कर रही है l " ग्रांट साहब बहुत सज्जन और विद्वान् थे लेकिन इस घटना से वे इतने नाराज हुए कि उन्होंने छः महीने के लिए रानाडे की छात्रवृत्ति बंद कर दी l रानाडे ने भी इस हानि को सहन करना स्वीकार कर लिया पर वे अपने विचारों को बदलने के लिए तैयार न हुए l हानि होने पर भी वे अपने सिद्धांत पर दृढ़ रहे , इसी गुण ने और ऐसे ही अनेक गुणों ने उन्हें महान बनाया l