13 June 2021

WISDOM ----- विपत्तियां भी जिन्हें आदर्शों से डिगा नहीं सकीं

  महाराणा  प्रताप  का  स्वातंत्र्य  प्रेम  का  उच्च  आदर्श   भारतीय  इतिहास  की  अनमोल  थाती  है   l  कवि   बाँकीदास   ने  उनके  लिए  लिखा  है   जिसका  भावार्थ  है  ---- ' अकबर  रूपी  घोर  अंधकार   भरी  रात्रि  में   सब  भारतीय  सो  गए  हैं   किन्तु  इस  संसार    के  रचने  वाले   ईश्वर  के  महानतम  अंश    को   स्वयं  में  जगाये  हुए    राणा  प्रताप   प्रहरी  बने    जागकर   राष्ट्र  और  संस्कृति  की   रक्षा  कर  रहे  हैं   l  '                                                           पं. श्रीराम  शर्मा   आचार्य  जी  लिखते  हैं   ------ 'आज   जब  सारा  संसार  अनैतिकता  के  अंधकार  में  डूबा  हुआ  है   ,  तब  इस  अनैतिकता  को   मिटाने   की   शक्ति  भर  प्रयास  करने  वाले   थोड़े  से  नैतिक  लोगों  के  लिए    उनका  यह  साहस   एक  सम्बल  है   l '  महाराणा  प्रताप  के   एक - एक  कर  के  सभी  किले  मुगलों  के  अधिकार  में  चले  गए   l  उन्हें  वर्षों  तक  बीहड़  वनों  में    अपने  परिवार  और  मुट्ठी  भर   साथियों  के  साथ    घोर  अभाव   और  कष्टों  भरा  जीवन  व्यतीत  करना  पड़ा  l   उनकी  प्रतिज्ञा  थी  कि   उनका  मस्तक  केवल   ईश्वर  के  सामने  झुक  सकता  है  l   इस  प्रतिज्ञा  में  उनका  अहम्  नहीं  था  ,  वरन  उनकी   ईश्वर  निष्ठां ,  संस्कृति  निष्ठा   और  राष्ट्र  निष्ठा    बोल  रही  थी   l  वे  अपने  देश  की  स्वतंत्रता  को  व्यक्तिगत   सुखों  के  लिए  बेचने  को  तैयार   नहीं  हुए   l  महाराणा  प्रताप  की  नैतिक  विजय  का  लोहा  उन   हिन्दू  राजाओं  ने  भी  माना   जिन्होंने  स्वार्थ  और  सुख  के  लिए   अपनी  स्वतंत्रता  व  अपने  राष्ट्रीय   गौरव  को  बेच  दिया  था  l   स्वयं   अकबर  ने  भी  माना   कि   कोई  व्यक्ति  बिना     राज्य   और  बिना  किसी  सम्पदा  के  भी  महान  हो  सकता  है   l