23 July 2021

WISDOM -----

   लोकमान्य  तिलक  भारतीय  स्वाधीनता  के  सच्चे  उपासक  थे  ,  उन्हें    भारतीय     स्वाधीनता  का  मंत्रदाता   कहा  जाता  है  l   जिस  समय  लोग   स्वतंत्रता  का  नाम  लेने  का  भी  साहस  नहीं  कर  पाते  थे  , उस  समय  तिलक  महाराज  ने   उच्च  स्वर  से  घोषणा  की  कि ----- " स्वराज्य  हमारा  जन्म  सिद्ध  अधिकार  है   और  हम  उसे  लेकर  रहेंगे   l  "  जिस  समय   वर्ष  1908   में   उन  पर  राजद्रोह  का  प्रसिद्द  मुकदमा  चल  रहा  था  ,  उस  मुकदमे  में   उन्होंने  अपने  कार्य  और  विचारों   को  न्याययुक्त   सिद्ध  करने  के  लिए  स्वयं  ही  पैरवी  की    और  21  घंटे  तक  सिंह  की  तरह  गरज  कर   भाषण  करते  रहे   l   उनके  विचारों  से  भारत  की  जनता  जाग  न  जाए   इसलिए  उनको   देश  निकाले   का  दंड  देकर  बर्मा  की  मांडले   जेल  में  रखा  गया   l   वहां  उनकी  भाषा  को  समझने  वाला  कोई  नहीं  था   और  न  ही  कोई  परिचित  था  l   उन  छह  वर्षों  में  उन्होंने  ' गीता  रहस्य '  लिख  डाला   l   उनके  जेल  से  छुटकारे   के  बाद   ' गीता  रहस्य  ' प्रकाशित  हुआ   तो  यह  इतना  अधिक   प्रसिद्ध  हुआ  कि     दस  हजार  प्रतियाँ   कुछ  सप्ताह  में  ही  बिक   गईं  l   तिलक  महाराज  ने   इस  ग्रन्थ  के  द्वारा  सुशिक्षित  व्यक्तियों  का  ध्यान    कर्तव्य  पालन ,   समाज  म सेवा  और  जन कल्याण  की  और  आकर्षित  किया   l