31 December 2023
WISDOM ------
29 December 2023
WISDOM ------
यदि हम पुनर्जन्म को माने तो हमारा वर्तमान जीवन पिछले कई जन्मों में किए गए हमारे कर्मों का ही परिणाम है l जिन रिश्तों में हम उलझे हैं , वे हमारे भूतकाल में किए गए भले -बुरे कर्मों का ही परिणाम है l भूतकाल के हमारे कर्म अच्छे होंगे तो उन रिश्तों से हमें सुख मिलता है लेकिन यदि हमने जाने -अनजाने अनेक गलतियाँ की होंगी तो उन रिश्तों के माध्यम से हमें उनका हिसाब चुकाना पड़ता है l पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- भूतकाल तो बीत गया , अब उस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है l हमारे हाथ में केवल वर्तमान है l वर्तमान में सत्कर्म कर के हम पिछले पापों के बोझ को कुछ हल्का कर सकते हैं , प्रारब्ध को टालना तो संभव नहीं है लेकिन सत्कर्म की तीव्रता से उन कष्टों की चुभन कम हो जाती है और सुनहरे भविष्य का द्वार खुल जाता है l आचार्य श्री कहते हैं ---सत्कर्म का कोई भी मौका हाथ से जाने न दें l सत्कर्म की पूंजी बड़ी मुसीबतों से हमारी रक्षा करती है l
28 December 2023
WISDOM ----- जिस तरह व्यक्ति अपने कार्यों को बाद में करने के लिए टाल देता है , उसी प्रकार व्यक्ति को अपने गुस्से को भी टालना सीखना चाहिए
सूफी फकीर जुन्नैद के जीवन का प्रसंग है --- जुन्नैद बहुत ही शांत स्वभाव के थे l लोग उनके पास अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आते थे l उनके पास आने वालों में कुछ तो बेहद गुस्से में आते और कहते ---- " जिस शख्स के कारण मैं गुस्से में हूँ , उसे सबक सिखाने का कोई नुस्खा जल्दी से बता दीजिए , ताकि आगे से वो मेरे साथ वैसी हरकत न कर सके l " जुन्नैद ने उसे शांत करने की बहुत कोशिश की लेकिन उसका गुस्सा कम नहीं हुआ तब वे बोले ---- " मैं तुम्हे क्रोध करने को मना नहीं करता हूँ , बल्कि ये कहता हूँ कि तुम आराम से गुस्सा करना , पर चौबीस घंटे बाद करना l " अगले दिन जब लोग उनके पास आते तो उनका गुस्सा शांत हो गया होता था l एक दिन जुन्नैद से उनके एक शिष्य ने पूछा ---- " आखिर क्रोध करने वाले इन लोगों को आप चौबीस घंटे का समय ही क्यों देते हैं ? " जुन्नैद बोले ---- " बेटा ! क्रोध के आवेश में यदि तुरंत जवाब दिया जाए तो आदमी बेकाबू हो जाता है l वह दोस्ती , रिश्ते -नाते भी भुला देता है l उस समय उसे कुछ भी समझा पाना संभव नहीं होता l " इस पर शिष्य बोला ---- " फिर चौबीस घंटे का वक्त ही क्यों ? दो -तीन दिन का समय क्यों नहीं ? " इसका जवाब देते हुए जुन्नैद बोले ---- " चौबीस घंटे तक कोई लगातार गुस्से में नहीं रह सकता , इस दौरान उसे अपने आप अपनी गलती का एहसास होने लगता है l वहीँ दो -तीन दिन बाद वह और कामों में व्यस्त हो जाता है और अपनी गलती भूल जाता है l इसलिए चौबीस घंटे के अन्दर कोई भी व्यक्ति यदि अपने गुस्से पर सोच -विचार कर ले , तो वह उसे न सिर्फ काबू कर सकता है , बल्कि दूसरों को भी उनकी गलती का एहसास करा सकता है l " इसलिए क्रोध आने पर हमें स्वयं को समय देना चाहिए और किसी का नुकसान करने का मन हो तो उस पर एक दिन बाद पुन: विचार करना चाहिए l
12 December 2023
WISDOM -----
एक मच्छर शहद की मक्खियों के छत्ते पर पहुंचा और बोला ---- " वह बड़ा संगीतज्ञ है l मक्खियों के बच्चों को संगीत सिखाना चाहता है l बदले में थोडा सा शहद लिया करेगा l रानी मक्खी तक समाचार पहुंचा , तो उन्होंने स्पष्ट इनकार कर दिया और कहा ---- " जिस प्रकार संगीत का ज्ञाता बनकर मच्छर हमारे दरवाजे पर भीख मांगने आया है l उसी प्रकार हमारे बच्चे भी परिश्रम छोड़कर भीख मांगने लगेंगे l मैं नही चाहती कि संस्कारों के स्थान पर सस्ते में कुछ पाने का लालच भरा शिक्षण इन्हें मिले l इन्हें अपने आप ही सब कुछ सीखने दो , तभी ये जीवन साधना में खरे उतरेंगे l
4 December 2023
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यक्ष ने युधिष्ठिर से पूछा ---- ' इस संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ? ' युधिष्ठिर ने उत्तर दिया --- ' हर रोज आँखों के सामने कितने ही प्राणियों को मृत्यु के मुख में जाते देखकर भी शेष मनुष्य यही सोचते हैं कि वे अमर हैं , यही सबसे बड़ा आश्चर्य है l " मृत्यु तो सब की निश्चित है लेकिन सांसारिक आकर्षण इतना तीव्र है , कामना , वासना , तृष्णा , स्वाद , भय , भोग -विलास , इन सब में मनुष्य इतना बंधा हुआ है कि वह मृत्यु को भुला देता है l एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि यदि मृत्यु को याद रखा जाए तो हर कदम फूंक -फूंक कर रखना होगा , जो सबसे कठिन कार्य है l इसलिए मनुष्य मृत्यु का विस्मरण कर बेहोशी का जीवन जीता है l एक लघु कथा है -------------- एक पेड़ पर दो बाज रहते थे l एक दिन दोनों शिकार पकड़कर लौटे तो एक की चोंच में चूहा था और दूसरे की चोंच में सांप और अभी जीवित थे l दोनों बाज शाम को मिल बैठकर खाते थे l अपना शिकार लेकर जब दोनों पेड़ पर बैठे , उस समय सांप और चूहा जीवित थे l सांप स्वयं तो मृत्यु के मुख में था लेकिन चूहे को देखकर वह अपनी मृत्यु भूल गया , और चूहे को खाने के लिए उसकी जीभ लपलपाने लगी l इधर चूहा मृत्यु शैया पर पड़ा था , बाज की चोंच से घायल अंतिम साँस गिन रहा था लेकिन अपनी जान बचाने के लिए बाज के ही पैरों में छुपने की कोशिश करने लगा l यही हाल मनुष्य का है l
WISDOM -----
लघु कथा ---- खडाऊं पहन कर पंडित जी मंदिर की ओर चले l कदम बढ़ने के साथ खडाऊं से भी खट -खट का स्वर निकल रहा था l पंडित जी को यह आवाज पसंद न आई l वह एक स्थान पर खड़े होकर खडाऊं से पूछने लगे ----" अच्छा यह तो बताओ कि पैरों के नीचे इतनी दबी रहने पर भी तुम्हारे स्वर में कोई अंतर क्यों नहीं आया ? " खडाऊं ने पैरों के नीचे दबे -दबे ही पंडित जी की जिज्ञासा शांत करते हुए कहा ---- " मैं तो जीने की इच्छुक हूँ पंडित जी , इस संसार में ऐसे लोगों की कमी नहीं जो दूसरों के दबाव में आकर अपना स्वर मंद कर लेते हैं , उन्हें तो जीवित अवस्था में भी मैं मरा हुआ मानती हूँ l "