27 February 2020

WISDOM ------

  चरित्र  मनुष्य  की  श्रेष्ठता  का  बहुत  बड़ा  प्रमाण  है  l   चन्द्रशेखर   आजाद  का  सबसे  बड़ा  सम्बल  उनका  चरित्र  था  l   इसको  उन्होंने  सदा  महत्व   दिया   और  इस  धारणा  पर  जीवन  के  अंत  तक  दृढ़   रहे  l   चरित्रहीन  व्यक्ति  से  वे   सदा  घृणा  करते  थे  l   उनके  इस  महान  गुण   की  कुछ  स्वार्थी  तत्वों  ने  खिल्ली  उड़ाई  ,  उसे  आजाद  की  भूल  बतलाया  ,  परन्तु  स्वार्थियों  का  यह  प्रयत्न   अपने  अवगुण  छिपाने  का  प्रयास  मात्र  था  l
   चन्द्रशेखर   आजाद  कहा  करते  थे --- "     ' अपने  प्रति  कठोरता  , दूसरों  के  प्रति  उदारता '   की  नीति   के  अनुरूप    संगठन  के  जिम्मेदार   लोग    व्यवहार   करते  हैं  तभी  तक  संगठन   जीवित  रहता    है   l   सामूहिकता    तभी   बरकरार   रह  सकेगी   जब  तक  किफायतशारी  को  अपनाया   और  महत्वाकांक्षाओं  को  ठुकराया  जाता  रहेगा  l   बड़प्पन  सुविधा  संवर्द्धन  का  नहीं   सद्गुण  संवर्द्धन  का  नाम  है  l   अच्छाई  का  महत्व   समझो  ,  देश  को  हम  लोगों  से  कितनी  आशा  है  l   हम  क्रांतिकारी   माने  जाते  हैं  ,  एक  बड़े  परिवर्तन  के  लिए  प्रयत्नशील  हैं  l  "
  आजाद  अपने  साथियों  से  कह  रहे  थे --- "  क्रान्तिकारी   का  मतलब  जानते  हो   ?  कुछ  चुप  रहकर  वे  बोले ---  जो  वर्तमान  में  भी   भविष्य  में  होने  वाले  परिवर्तन  के  अनुरूप   जी  रहा  हो  l  जिसकी  जिंदगी  के  छोटे - छोटे   क्रियाकलाप  को  देखकर   हर  कोई  कह  सके  ,  अहा  !  ऐसा  होगा  स्वर्णिम  भविष्य   जिसके  लिए  वे  लोग  प्रयासरत  हैं  l  "
   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  वाङ्मय ' महापुरुषों  के  अविस्मरणीय  जीवन  प्रसंग '  में  लिखा  है -----
 "  गुणों  को  हृदय  में  धारण  कर  के   आपत्तिकालीन  धर्म  के  रूप  में   तोड़ - फोड़  भी  स्वीकार  करने  वाले   क्रांतिकारी   देश  के  निर्माण  में  कभी  बाधक  नहीं  बने   और  शान्ति   की  दुहाई  देने  वाले   अंत:करण   के  हीन   व्यक्तित्वों  के  कारनामे   हमारे  सामने  रोज  आया  करते  हैं  ,   फिर  भी  नयी  पीढ़ी  को  बनाने  ढालने  में   हम  उनके   आंतरिक  गठन  की  उपेक्षा  कर  के    अपने  मानसिक  दिवालियेपन  का  नमूना   प्रस्तुत  किये  जा  रहे  हैं   l   "