7 November 2017

WISDOM ---- दुष्कर्म और अहंकार का परिणाम भीषण और भयावह होता है l

  ' सत्ता  होती  ही  ऐसी  है  कि  व्यक्ति  को  यथार्थ  से  परे   सांतवें  आसमान  में  पहुंचा  देती  है  , परन्तु  जब  वह  वहां  से  गिरता  है   तो  उसके  अस्तित्व  का  भी  पता  नहीं   चलता  है   l '
  औरंगजेब  के  क्रूर  अत्याचार  से  सर्वत्र  हाहाकार  मचा  हुआ  था  l  वह  स्वयं  खुदा  बन  बैठा  था  l  जो  कोई  उसकी  खुदाई  को  सलाम  न  करे , उसके  सामने  न  झुके  , वह  उसका  समूल  नाश  कर  देता  था  l  वह  अपने  बड़े  भाई  दाराशिकोह  को  अपना  सबसे  बड़ा  दुश्मन  समझता  था  l  उसने  दाराशिकोह  तथा  उससे  संबंधित  सभी  फकीरों  को  मृत्यु  या  भीषण  दंड  दिया  था  l  अब  इसी  क्रम  में  वह   लाल  बाबा  के  पास  आया  और  अपने  अहंकार  में  चूर  होकर  बोला ---- " बाबा ! तुम  तो  अपने  आप  को  बड़ा  महान  कहते  हो  , देखो  मैंने  दाराशिकोह  और  उसके  बेटे  की  हत्या  कर  दी  ,  उसके  गुरु  शरमन  को  भी  मार  गिराया   l  सुना  है  शर्मन  के  पास  अपार  शक्ति  थी  फिर  भी  वह  मेरा  बाल  बांका  भी  नहीं  कर  सका  l  अब  तुम्हारी  बारी  है   l "
  लाल  बाबा  फ़क़ीर  थे  और  भगवान  के  भक्त  थे   l  अति  निडर  थे ,  उन्होंने  औरंगजेब  के  सिर  पर  एक  छड़ी   मारी  जिससे  वह  कुछ  क्षणों  के  लिए  दिव्य  और  सतरंगी  दुनिया  में  चला  गया  l  उसने  देखा  कि  दाराशिकोह  एक  ऊँचे  सिंहासन  पर बैठा  है, उसके  चेहरे  पर  दिव्य  प्रकाश  है  l     जन्नत  की  पवित्र  आत्माएं    उसकी (औरंगजेब )  की  और  इशारा  कर  कह  रहीं  हैं  कि  यह  कौन  सा  घिनौना , बदबूदार  इन्सान  यहाँ  आ  गया ,  इसे  यहाँ  से  रुखसत  करो   l  दाराशिकोह  के  सामने  उसे  उपेक्षा ,  अपमान  और   तिरस्कार  की  द्रष्टि  से  देखा  जा  रहा  है  l " बाबा  ने   यह    सब  औरंगजेब   के  गरूर  और  दंभ  को  तोड़ने  तथा  दाराशिकोह  के  सत्कर्मों  के  प्रभाव  को  दिखाने  के  लिए  किया  था  l  यह  सब  देख  औरंगजेब  छटपटाने  लगा   l  बाबा  ने  उससे  कहा --- तुम  षड्यंत्र  रचते  हो ,  हत्या  करते  हो  ,  तुम्हे  दोजख  की  आग  में  जलने  से  कोई  नहीं  रोक  सकता  l