30 April 2018

WISDOM -----मनुष्य जन्म से नहीं , कर्म से महान होता है l

  भगवान  बुद्ध  ने  कहा  था  --- " जिस  तरह  दुष्कर्म  का  दंड  भुगतने  के  लिए  हर  प्राणी  प्रकृति  का  दास  है  ,  उसी  तरह  सत्कर्म  के   पारितोषिक   का  भी  अधिकार   हर  प्राणी  को  है ,  फिर  चाहे  वह  किसी  भी  वर्ण  का  हो  l    न  तो  उपनयन  धारण  करने  से  कोई  संत   और  सज्जन  हो  सकता  है  ,  न  अग्निहोत्र  से  ------- यदि  मन  स्वच्छ  है  ,  अंत:करण  पवित्र  है   तो  ही  व्यक्ति   संत ,  सज्जन ,  त्यागी ,  तपस्वी  और  उदार  हो  सकता  है  l  यह  उत्तराधिकार  नहीं  साधना   है   l  इसलिए  आत्मोन्नति  का  अधिकार  हर  प्राणी  को  है   l  "