17 March 2024

WISDOM -----

   एक  साधक  जब  भी  पूजा  में  बैठता  , तभी  बुरे  विचार   उसके  मन  में  उठते  l  वह  गुरु  से  इसका  हल  पूछने  गया  l  गुरु  ने  उसे   एक  कुत्ते  की  सेवा  करने  का  आदेश  दिया  ,  दस  दिन  तक  वह   उनके  आश्रम  में  ही  ठहरा  l  शिष्य  कारण  तो  नहीं  समझ  सका  , पर  गुरु  के  आदेशानुसार  कुत्ते  की  सेवा  करने  लगा  l  दस  दिन  कुत्ते  को  साथ  रखने  से   वह  उसके  साथ  बहुत  हिल -मिल  गया  l   अब  गुरु  ने   आज्ञा    दी  कि  इसे  भगाकर  आओ  l   साधक  भगाने  जाता  ,  लेकिन  वह  कुत्ता   फिर  उसके  पीछे -पीछे  लौट  आता   l   तब  गुरु  ने  समझाया  कि  जिन  बुरे  विचारों  में   तुम  दिन  भर  डूबे  रहते  हो  ,  वे  पूजा  के  समय   तुम्हारा  साथ  क्यों  छोड़ने  लगे  ?   शिष्य  की  समझ  में  बात  आ  गई   और  उसने  दिन  भर   अच्छे  विचार  करते  रहने  की  साधना  शुरू  कर  दी  l  गुरु  ने  कहा --- ध्यान  का  अर्थ  मात्र  एकाग्रता  नहीं  ,  श्रेष्ठ  विचारों  की  तन्मयता  भी  है  l  श्रीमद् भगवद्गीता   में   भगवान  ने  कहा  है  कि  निष्काम  कर्म  से  मन  निर्मल  होता  है  ,  कर्म  कटते  हैं , जन्मों  के  पाप   धुल    जाते  हैं   और  धीरे -धीरे  एक  समय  ऐसा  आता  है  कि  बुरे  विचारों  का  आना  बंद  हो  जाता  है  l  अध्यात्म -पथ  पर  धैर्य  की  जरुरत  है  l