13 August 2020

WISDOM ----- सद्बुद्धि ही संसार के समस्त कार्यों में प्रकाशित है

  सद्बुद्धि   से  अभिप्राय  है  --- दूरदर्शी  विवेकशीलता   l   बुद्धि   तो सभी  मनुष्यों  के  पास  होती  है  ,  पर  यदि  मनुष्य  सद्बुद्धि  संपन्न  हो   तो  वह  अपना  निज  का  कल्याण  करने  के  साथ - साथ   समाज  को  भी  अपनी  विभूतियों  से  लाभान्वित  करता  है  l  भगवान  श्रीकृष्ण  ने   श्रीमद्भगवद्गीता  में    इस  सद्बुद्धि  को  ही   बुद्धिमानों  की  विभूति  और  अपना  स्वरुप  बताया  है   l   गायत्री  उपासना   का सर्वोपरि  लाभ  सद्बुद्धि  के  जाग्रत  होने  के  रूप  में  ही  साधक  को  मिलता  है  l  गायत्री  उपासना  का  प्रत्यक्ष  उपहार  --- सद्बुद्धि  है  l   सद्बुद्धि  जाग्रत  होने  पर  व्यक्ति  श्रेष्ठ   का चयन   करता है   l 

कहते  हैं    जिस  प्रकार  ग्वाला  लाठी  लेकर  पशुओं  की   रक्षा  करता  है  ,  उस  तरह  देवता  किसी  की  रक्षा  नहीं  करते   l   वे  जिसकी  रक्षा  करना  चाहते  हैं  ,  उसकी  बुद्धि  को  सन्मार्ग  पर  नियोजित  कर  देते  हैं   l  जब  व्यक्ति  सद्बुद्धि  से , विवेक  से  कार्य  करता  है  तो  उसका  परिणाम  भी  शुभ  होता  है  l   इसीलिए   चाणक्य  ने  भी  भगवान  से  प्रार्थना  की  कि   भले  ही  मेरा  सब  कुछ  चला  जाये  पर   सद्बुद्धि   बनी     रहे   l