जीवन के उत्थान और पतन का केन्द्र मन है । यह मन जिधर चलता है जिधर इच्छा और आकांक्षा करता है उधर ही उसकी अपनी एक दुनिया बनकर खड़ी हो जाती है । मन को कल्पवृक्ष की उपमा दी गई है , उसमे ईश्वर ने यह शक्ति विशाल परिणाम में भर दी है जैसा मनोरथ करें वैसे ही साधन जुट जायें और उसी पथ पर प्रगति होने लगे ।
बंगाल के संसार प्रसिद्ध वैज्ञानिक सर जगदीशचन्द्र बोस इस बात पर विश्वास करते थे कि बुरे से बुरे व्यक्ति को सद्व्यवहार द्वारा सुधारा जा सकता है । उनके पिता डिप्टी कलक्टर थे , चोर डाकुओं को पकड़वाने का कार्य भी उन्हें करना पड़ता था । एक बार एक खतरनाक डाकू को उन्होंने पकड़वाया , अदालत ने उसे जेलखाने की कड़ी सजा दी ।
जब यह डाकू जेल से छूटकर आया तो सर बोस के पास गया और कहने लगा --- " सुविधापूर्वक खर्च न चलने के कारण मुझे अपराध करने पड़ते हैं । यदि आप मेरा कोई काम लगवा दें तो मैं उत्तम जीवन व्यतीत कर सकूँगा । "
जगदीशचन्द्र बोस अपनी दयालुता के लिए प्रसिद्ध थे । उन्होंने उस डाकू को बिना अधिक पूछताछ किये अपने पास एक अच्छी नौकरी पर रख लिया । उस दिन से उस डाकू ने कोई अपराध नहीं किया और मालिक के कुटुम्ब पर आई हुई आपत्तियों के समय उसने अपने प्राणों को खतरे में डालकर भी उनकी रक्षा की ।
स्वभावत: कोई व्यक्ति बुरा नहीं है । बुरी परिस्थितियां मनुष्य को बुरा बनाती हैं , यदि उसकी परिस्थितियां बदल दी जाएँ तो बुरे से बुरे व्यक्ति को भी अच्छे मार्ग पर चलने वाला बनाया जा सकता है ।
बंगाल के संसार प्रसिद्ध वैज्ञानिक सर जगदीशचन्द्र बोस इस बात पर विश्वास करते थे कि बुरे से बुरे व्यक्ति को सद्व्यवहार द्वारा सुधारा जा सकता है । उनके पिता डिप्टी कलक्टर थे , चोर डाकुओं को पकड़वाने का कार्य भी उन्हें करना पड़ता था । एक बार एक खतरनाक डाकू को उन्होंने पकड़वाया , अदालत ने उसे जेलखाने की कड़ी सजा दी ।
जब यह डाकू जेल से छूटकर आया तो सर बोस के पास गया और कहने लगा --- " सुविधापूर्वक खर्च न चलने के कारण मुझे अपराध करने पड़ते हैं । यदि आप मेरा कोई काम लगवा दें तो मैं उत्तम जीवन व्यतीत कर सकूँगा । "
जगदीशचन्द्र बोस अपनी दयालुता के लिए प्रसिद्ध थे । उन्होंने उस डाकू को बिना अधिक पूछताछ किये अपने पास एक अच्छी नौकरी पर रख लिया । उस दिन से उस डाकू ने कोई अपराध नहीं किया और मालिक के कुटुम्ब पर आई हुई आपत्तियों के समय उसने अपने प्राणों को खतरे में डालकर भी उनकी रक्षा की ।
स्वभावत: कोई व्यक्ति बुरा नहीं है । बुरी परिस्थितियां मनुष्य को बुरा बनाती हैं , यदि उसकी परिस्थितियां बदल दी जाएँ तो बुरे से बुरे व्यक्ति को भी अच्छे मार्ग पर चलने वाला बनाया जा सकता है ।