30 July 2019

WISDOM ------ इतिहास से शिक्षा लें ! जब जागो तब सबेरा !

  जाति प्रथा  ,  छुआछूत  की  भावना  और  रूढ़िवादिता  से   हमारे  देश  का  कितना  अहित  हुआ  है  , इसकी  कल्पना  भी  नहीं  की  जा  सकती  -- इतिहास  की  यह   घटना  समाज  को  जागरूक  करने  के  लिए  है ----- 
     11 वीं  शताब्दी    दूसरे  दशक  की  घटना  है  --- सोमनाथ  पट्टन   निवासी  विजय  भट्ट  अपने  नित्य  कर्म  से  निपटकर  वेद  पाठ  करने  बैठता  था  l  उसकी  शूद्र  सेविका  का  आठ  वर्षीय   पुत्र  देवा   उसे  देखता  तो  उसका   मन    विद्वान्   बनने  के  सपने  देखने  लगा  l  एक  दिन  बालक  देवा  ने  डरते - डरते  विजय  भट्ट  से  उसे  भी  संस्कृत   पढ़ाने  का  निवेदन  किया  l  विजय  भट्ट  ने  उसे  कठोरता  से  कहा --- " तुम  शूद्र  हो  l  शूद्रों     को  देवभाषा  पढ़ने  और  सुनने  का  अधिकार  नहीं  l " 
 विजय  भट्ट  अपनी  कन्या  शोभना  को   जो  देवा  की  समवयस्क  थी  नित्य  प्रति  संस्कृत  पढ़ाते  थे  l  जब  विजय  भट्ट  अपनी  कन्या  को  संस्कृत  पढ़ाते  तो  देवा   मकान  के  एक  सूने  कोने  में   छिप जाता  और  बड़े  ध्यान  से  सब  पाठ  सुना  करता  l  कभी  कुछ  समझ में  नहीं  आता  तो  अवसर  देखकर  शोभना  से  पूछ  लेता  l  जिज्ञासु  और  सचेष्ट  देवा  इस  तरह  संस्कृत  पढ़  गया  और  धर्मशास्त्रों  को  समझने  लगा  l  अब  उसने  अपने  समाज  में  ज्ञान  का  प्रसार  करना  आरम्भ  किया  l
 एक  शूद्र  द्वारा  वेद  मन्त्रों  का  उच्चारण  और  संस्कृत  का  अध्यापन  करना  रूढ़िवादी  पंडितों  को  सहन  नहीं  हुआ  l  उन्होंने  देवा को  चेतावनी  दी  कि  धर्म  विरुद्ध  कार्य  न  करे  l  देवा  ने  उन्हें  शास्त्रों का प्रमाण  देकर  बताया  कि  शूद्र  जन्म  से  नहीं  कर्म  से  होते  हैं  l  इस  पर  कुछ दुराग्रही ब्राह्मणों  ने  उसे  बहुत  अपमानित  किया व बहुत  मारा पीटा  l   अकारण  इस  तरह  अपमानित  होने  व  अपने  स्वाभिमान  पर  चोट  पड़ने  से   देवा  के  ह्रदय  में  सोमनाथ  पट्टन  के  ब्राह्मण  वर्ग  से  प्रतिशोध  लेने   की   अग्नि  जल  उठी   l                  हर  क्रिया  की  प्रतिक्रिया  होती  है  l दुर्योग  से   अपमानित  और  तिरस्कृत  देवा  की  भेंट  महमूद  गजनवी  के  एक  गुप्तचर  से  हो  गई  l  उसने  अपने  साथ  हुए  हिन्दू  समाज  के  दुर्व्यवहार  की  चर्चा   उस  गुप्तचर  से  की  l  उस  गुप्तचर  ने  कहा --- "  तुम  इतने  विद्वान्  हो  ,  फिर  भी  इन  लोगों  ने  तुम्हे  इतना  तिरस्कृत  किया  ,  तुम  मुसलमान  क्यों  नहीं  बन  जाते  ?  हम  तुम्हारे  अपमान  का  बदला  लेंगे  l  "  देवा  अपने  अपमान  का  बदला  लेना  चाहता  था  , उसने  इस्लाम  धर्म  अपना  लिया   और  देवा  से  फतह  मुहम्मद  हो  गया  l  
 पाटन  नरेश   भीमदेव   चौलुक्य   ने  महमूद  गजनवी  के  आक्रमण  से   सोमनाथ  मंदिर  की  रक्षार्थ  अपनी  सेना  सजा  रखी  थी  l  अन्य  क्षत्रिय  नरेशों  ने  भी  उसकी  सहायता  की  l  महमूद  गजनवी  मंदिर  पर  अधिकार  करने  में  सफल  नहीं  हो  पा  रहा  था  l  फतह  मुहम्मद ( देवा )  सोमनाथ  पट्टन  के  सभी  रहस्य  जानता  था  l  उसने  गजनवी  से  कहा --- " निराश  होने  की  क्या  आवश्यकता  है  , कल  रात्रि को  मैं  आपके  साथ  चलूँगा  l "   दूसरे  दिन  पूर्व  योजना  के  अनुसार   वह  मंदिर  की  रक्षार्थ बने  प्राचीर पर  एक  गुप्त  स्थान  देखकर  चढ़  गया  l  थोड़े  से  सैनिक  उसके  पीछे  चढ़  गए  l  उन्होंने  भीतर  जाकर  प्रवेश  द्वार खोल  दिया  l  गजनवी  की  पूरी  सेना  मंदिर में  घुस गई  ,  सोमनाथ  की  मूर्ति  तोड़  दी  गई  ,  असीमित धन  सम्पदा , हीरे - जवाहरात महमूद  गजनवी  के  हाथ  लगे  l  विद्वानों  का  कहना है -- सोमनाथ  के  पतन , भीमदेव  चौलुक्य  की  पराजय   और  लुटेरे  महमूद  की  सफलता  में   तत्कालीन  रूढ़िवादिता ,  छुआछूत  व  संकीर्णता  सहायक  हुई  l