4 June 2016

अनासक्त भाव से कर्तव्य पालन किया -------- महारानी अहिल्याबाई

' गुणों  और  कर्तव्य निष्ठा  में  कितनी   शक्ति  होती  है  और   उसके  आधार  पर  मनुष्य  कहाँ  से  कहाँ  पहुँच  सकता  है   अहिल्याबाई  इसकी  एक  जीती - जागती  उदाहरण  हैं  । '
   इतिहास प्रसिद्ध  इन्दौर  की  महारानी  अहिल्याबाई  एक  निर्धन  किसान  की  बेटी  थीं  ,  किन्तु  अपने  गुणों  के   आधार  पर    उन्होंने   इतनी  बड़ी  पदवी  और   प्रतिष्ठा  पाई  ।  युवरानी , राज - वधू  और  स्वयं  महारानी  हो  जाने  पर  भी  अहिल्याबाईउसी  प्रकार  का  सामान्य  भोजन  करतीं  और  साधारण  कपड़े  पहनतीं  रहीं  जिस  प्रकार  का   भोजन , वस्त्र  अपने  प्रारम्भिक  जीवन  में  उपयोग  किया  करती  थीं  । राज - वैभव , राज - सुख   और  राजमद  उन्हें  प्रभावित  न  कर  सका  ,  वे  ऐसे  रहीं  जैसे  जल  में  कमल  ।
  उनकी  दानशीलता    प्रसिद्ध   है   ---- अनेक  तीर्थ  क्षेत्रों  में  उनकी  बनवायीं  धर्मशालाएं ,  सदाव्रत ,  घाट  आदि  उनकी  पुण्य  ध्वजा  फहरा  रहे  हैं  ।  उन्हें  जो  कुछ  धन ,  मान  मिला  उसका  उपयोग  उन्होंने  सदैव  दूसरों  के  हितार्थ  किया  ।  दीन - दुःखी , विधवाएं , अनाथ ,  असहाय  व्यक्ति  उनकी  करुणा  के  मुख्य  आधार  थे   ।  महारानी  अहिल्याबाई  ने  राज्य  भर  में  फूलों  और  फलों  के  इतने  बाग-वाटिकाएं  लगवायीं  कि  उनकी  सम्पति  और  सुन्दरता  से  गाँव - गाँव  संपन्न  हो  उठे  । पशुओं  के लिए  चारागाह   बनवाये ,  गाँव  में  हजारों   कुएं  बनवाये  । उन्होंने  धन  तथा  सत्ता  के  सदुपयोग  का  ऐसा  महान  आदर्श  उपस्थित  किया  जिसकी  गुणगाथा  हमेशा   गाई  जाएगी  ।