8 February 2020

WISDOM ------ जीवन के प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करें

 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  लिखा  है ---- ' हम  सबको  जो  जीवन  मिला  है   वह  काल  का  सुनिश्चित  खंड  है  l   इसी  काल  खंड  में  हमें  कर्म  करने  एवं   भोगने  हैं  l   काल  का  जो  वर्तमान  खंड  है  ,  उसमे  हम  अपने  मनचाहे  कर्म  कर  सकते  हैं   l   इस  अवधि  में  हम  जो  भी  कर्म  करते  हैं   उसका  प्रभाव  हमारे   भूतकाल  में  हो  चुके  कर्मों  पर   पड़ता  है   और  भविष्य  पर  भी  l   यदि  भूतकाल  में ,  पुराने  अतीत  में  हमसे   कुछ  गलतियां  हुईं  हैं    तो  वर्तमान  के  शुभ  कर्मों  से   उनका  परिमार्जन  एवं प्रायश्चित   किया  जा  सकता  है  l  वर्तमान  के  ये  शुभ  कर्म  हमारे  उज्जवल  भविष्य   का     निर्माण   करने  में  भी  समर्थ  हैं  l  '
        आचार्य श्री  आगे  लिखते  हैं ---- जो  जीवन  के  इस  सच  से  सुपरिचित  हैं  ,  वे   अपने  जीवन  के  प्रत्येक  क्षण  का  सदुपयोग  करते  हैं   और  प्रतिक्षण - प्रतिपल   शुभ  कर्मों  के  संपादन  में  संलग्न  रहते  हैं  l   इसके  विपरीत  जो  इस  सच  से   अपरिचित  हैं  ,   उन्हें   कभी  मोह  बांधता  है ,  कभी  वासना  खींचती  है   और  कभी  ऐसे  लोग  अहंता  के  उन्माद  में   अशुभ  कर्म  करते  हैं  l  '
  ' कर्म  करने  के  लिए   एक  सीमा  तक  हमें  स्वतंत्रता  है  l  हम  अपने  वर्तमान  काल  में  बहुत  कुछ  मनचाहा  कर  सकते  हैं  ,  परन्तु  उचित  समय  पर  जब  ये  कर्म  कल  के  गर्भ  में  परिपक्व   हो  जाते  हैं   तो  इनके  परिणाम  को  भोगने  के  लिए  हमें  विवश  होना  पड़ता  है   l '
  आचार्य  जी  कहते  हैं ----- ' जीवन  काल  और  कर्म  का  सुखद  संयोग  है   l  जो  जीवन  के  इस  मर्म  को  समझते  हैं  वे  सदा  शुभ  कर्म  करते  हैं  ,  उनके  लिए  काल  का  प्रत्येक  क्षण  शुभ  होता  है   और  जो  अशुभ  कर्म  करते  हैं  उनके  लिए  काल  का  प्रत्येक  क्षण  अशुभ  होता  है  l   माँ  आदिशक्ति  काल  और  कर्म  की  नियंता  होने  के  कारण  महाकाली  कहलाती  हैं  l   वही  जब  शुभ  कर्मों  का  सत्परिणाम   देती  हैं   तब  महालक्ष्मी  कही  जाती  हैं  l '