पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने इतना विशाल साहित्य लिखा है जिसको पढने समझने के लिए पूरा जीवन भी लगा दें तो कम है l यदि किसी को कुछ समझ में आता भी है तो वह उनकी कृपा से ही संभव है l आचार्य श्री ने विचारों के परिष्कार को अनिवार्य माना , जब विचार श्रेष्ठ होंगे , तभी आचरण अच्छा होगा l ईश्वर के बार - बार चेताने के बावजूद भी यदि मनुष्य नहीं सुधरता है तो शिव को अपना तृतीय नेत्र खोलना ही पड़ता है l आचार्य श्री लिखते हैं ------------ " भगवान शिव का किसी से द्वेष नहीं है l वे तो परम कारुणिक और मंगलमय हैं l इसी से उन्हें शिवशंकर कहते हैं l भोला भी उनका नाम है l भोला का अर्थ है ---- सरल , सौम्य और सज्जन l विवशता ही उन्हें बाध्य करती है कि जब मनुष्य अत्यधिक दुराग्रही , अहंकारी और ढीठ हो जाता है , सज्जनता की रीति -नीति को बेतरह तोड़ता है , दुष्टता पर उतारू हो जाता है , तभी उन्हें कुछ ऐसा करना पड़ता है , जो कष्टकर और भयंकर दीखे l आज का मानव समाज विषव्रण से ग्रस्त रोगी की तरह है l उसके कल्याण का मार्ग यही दीखता है कि फोड़ा चीर दिया जाये , ताकि सड़ा मवाद जो हर समय वेदना उत्पन्न करता है , निकलकर दूर हो जाये l अवतारों का यही प्रयोजन सदा से रहा है l "
11 July 2022
WISDOM -------
अनमोल मोती ----- ' एक भेड़िये के गले में हडडी अटक गई l वह सियार के पास पहुंचा और बोला ---- --- " आपकी लम्बी थूथनी है l कृपा कर के मेरे गले में उसे डालकर हडडी निकाल दीजिए l वक्त आने पर मैं तुम्हारे काम आऊंगा l " सियार ने वह हडडी निकाल दी l एक दिन सियार को भेड़िये की सहायता की आवश्यकता पड़ी l उसने पिछला अहसान याद दिलाया l भेड़िये ने कहा --- " मेरा यह अहसान क्या कम है , जो मुँह के अन्दर पहुंची हुई तुम्हारी गर्दन बख्श दी l " इस कथा से हमें यही शिक्षा मिलती है कि दुष्ट व्यक्ति के साथ कभी कोई सरोकार न रखे l यदि जाने - अनजाने उनसे कभी कोई सरोकार हो भी जाता है तो उनसे प्रत्युपकार की आशा कभी न करे l
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