27 July 2020

WISDOM ----

 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  का  कहना  था --- " मनुष्य   के  लिए  दो  बातें  ध्यान  रखने  योग्य  हैं ----  एक  मृत्यु  और  दूसरा  कर्तव्य  l  हम  इस  संसार  में  आये  हैं   तो  हमें  अपने  सांसारिक  कर्तव्य  को  निभाना  पड़ेगा  ,  हम  इस  दायित्व  से  भाग  नहीं  सकते  l   जिन्हे  मृत्यु  याद  रहती  है  ,  वे  व्यक्ति  अपना  पूरा  ध्यान   कर्तव्यों  के  पालन  में  लगाते  हैं   और  परमार्थी  जीवन  जीते  हैं  l  क्योंकि  कर्तव्यपालन  कभी  भी  हमें   स्वार्थी  और  आसक्त  नहीं   बनाता ,  बल्कि  नित्य - निरंतर  हमारे  जीवन  को   उर्ध्वमुखी  बनाता   है l'
      आचार्य श्री   लिखते  हैं --- ' मृत्यु   अटल  सत्य  है  ,  इसलिए  हमें  ईश्वर  का  स्मरण  करते  हुए   ईमानदारी  और  सहृदयता  के  साथ  जीवन  जीना  चाहिए  l  जरूरतमंदों  की  सहायता  से  कभी  पीछे  नहीं  हटना  चाहिए   l
श्रीमद्भगवद्गीता  के  ग्यारहवें  अध्याय  का  माहात्म्य  बताते  हुए   भगवन  शिव  ने  कहा  है  ---- ' जो  व्यक्ति  जरुरत  के  समय   व्यक्ति  से  अपनी   नजरें    फेर  लेता  है  ,  वह  नीच  योनियों  में  जन्म  लेता  है   और  जरुरत  के  समय  दूसरों  की  सहायता  करने  वाला   व्यक्ति  कई  पापों  से  मुक्त  हो  जाता  है  l   इसलिए  व्यक्ति  को  परमार्थी  होना  चाहिए  l  मनुष्य  का  जन्म  ही  इस  उद्देश्य  के  लिए  हुआ  है    कि   वह  अपने  जीवन  को  सार्थक  कर  सके  ,  और  सार्थकता  तभी  हासिल  की  जा  सकती  है  ,  जब  मनुष्य  अपने  जीवन  के  परम  अर्थ  को  समझ  सके   l   जो  व्यक्ति  समय  रहते   इस  अर्थ  को  नहीं  समझता  ,  उसे  अरथी   पर  जाकर  ही  जीवन  का  अर्थ  ज्ञात  होता  है  ,  लेकिन  तब  तक  बहुत  देर  हो  चुकी  होती  है  l