15 January 2019

WISDOM ---- आशावादी सोच हो , सकारात्मकता अपनाई जाये तो फिर हमें कोई भी निराश नहीं कर सकता

  विश्वकवि  रवीन्द्रनाथ  टैगोर  की  बढ़ती  हुई  प्रतिभा  व  लोकप्रियता  से  लोग  ईर्ष्या  करने  लगे  l उन्होंने  गुरुदेव  की  छवि  को  धूमिल  करने  के  लिए   विभिन्न  पत्र - पत्रिकाओं  के  माध्यम  से   अपने  कलुषित  प्रयास  आरम्भ  कर  दिए   l  परन्तु   वे  समभाव    से  सब  सहन  करते  रहे  तथा  तनिक  भी  विचलित  नही  हुए   l  श्री  शरतचंद्र  को  जब  यह  आलोचना  सहन  नहीं  हुईं  तो  उन्होंने  गुरुदेव  से  कहा  कि  वे  इन  आलोचकों  को  रोकने  का  कुछ  प्रयास  करें  l  गुरुदेव  रवीन्द्रनाथ  टैगोर  ने  उन्हें  शांत  भाव  से  समझाया  ,  प्रयास  क्या  करूँ  ?  मैं उन  जैसा  नहीं  बन  सकता  व  उन्होंने   जो  मार्ग  अपनाया  है  ,  वह  भी मैं  नहीं  अपना  सकता   l 
  महाकवि  रवीन्द्रनाथ  ने  अपनी  रचनाओं   द्वारा   संसार  में  भारतीय  संस्कृति  का  मान  बढ़ाया  l  उन्होंने  विश्व  भ्रमण  किया  l  वे  जहाँ   भी   गए  उन्हें  बहुत  सम्मान  मिला  l   नोबेल  पुरस्कार  और  विश्व भ्रमण   आदि  से  उन्हें  जितना  भी  धन  मिला  उसे    शान्ति  निकेतन  की  स्थापना  में  लगाया  l