1 April 2022

WISDOM ----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----- " क्षण - क्षण  से  जीवन  बनता  है  l   जीवन  का  हर  क्षण  महत्वपूर्ण  है  l   भूत , भविष्य  एवं  वर्तमान  में   केवल  वर्तमान  ही  हमारे  पास  रहता  है  ,  जो  ये  जानते  हैं  ,  वे  वर्तमान  क्षण  का  सार्थक  उपयोग  कर  लेते  हैं  ,      किसी     खास  अवसर   की  प्रतीक्षा  करने  वाले    समूचे  जीवन  के  समय   एवं  अवसर  को  ही  गँवा  देते  है  l   इसी  तरह  वर्तमान  को  छोड़कर   अतीत  में  उलझे  रहना  एक  विडंबना  के  समान   है   l   जो  जीवन  का  सत्य  पाना  चाहता  है  ,  उन्हें  वर्तमान  क्षण  में  जीने  की  कला  आनी   चाहिए  l  "  एक  कथा  है ------- '   एक  फकीर   ने   बादशाह  के  सामने  समय  की  शाश्वता   की  सच्चाई   प्रकट  करते  हुए  कहा ---- "  वर्तमान  को  संभाल   लो  ,  जीवन  संभल  जायेगा  , सार्थक  हो  जायेगा   l   खुद  को  बादशाह  कहते  हो   और  जीते  हो  दंभ  एवं  अहंकार  में  !  सच्चा  बादशाह   तो  वही  होता  है  ,  जो  जीवन  के  सब  रहस्यों  को  समझकर   इसके  आनंद   को  अनुभव  करे  l  "     बादशाह  को  फकीर   का  कहा  सच  अप्रिय  लगा  ,   सो   उसने   उसे कैद   कर लिया   l   उस  फकीर  के  एक  मित्र  ने  उससे  कहा ----- " आखिर  यह  बैठे - बैठाय  मुसीबत  क्यों  मोल  ले  ली   ?   न कहते  ये  सब  , तो  तुम्हारा  क्या  बिगड़  जाता   और  कह  भी  दिया   तो  वह  कौन  सा  बदल  गया   ? "  फकीर  बोला ------ " मैं  करूँ   भी तो  क्या  करूँ   ?  जब  से  खुदा  का  दीदार  हुआ  है  ,  तब  से  झूठ  बेमानी  हो  गया  है   l   कोशिश  करने  पर  भी  रहा  नहीं  जाता  और  झूठ  तो  बोला ही  नहीं  जाता  l  परमात्मा  की  सत्ता  ही  कुछ  ऐसी  है  कि   उसे  अनुभव  करने  के  बाद  असत्य  का  ख्याल   ही  नहीं  आता    l    समय के   एक -एक  क्षण  को   परमात्मा के  चरणों  में  समर्पित  करने  की  उमंग  मन  में  उठती  है   l   समय  के  इस  सार्थक  उपयोग  के  अलावा  कुछ   समझ  में  नहीं  आता  l   फिर  इस  कैद  का  क्या  ?  यह  कैद  तो   बस   घड़ी   भर  की  है  l  l "  किसी  गुप्तचर  ने  यह  बात   बादशाह  को  बता  दी  l   बादशाह  ने   कहा ---- " उस  पागल , फक्क्ड़  फकीर  से  कहना   कि   यह  कैद  घड़ी   भर  की  नहीं  ,  जीवन  भर  की  है l   उसे  जीवन  भर  इसी  कालकोठरी  में  सड़ते  हुए  मरना  है   l   उसे  यह  याद  रखना  होगा  कि   मैं  भविष्य   को अपनी  मुट्ठी  में  भर  सकता  हूँ  l  "  फकीर  ने   जब बादशाह   के इस  कथन  को  सुना   तो   हँसने   लगा   और   कहा ---- " ओ   भाई  !  उस  नादान  बादशाह  से  कहना   कि   उस  पागल  फकीर   ने  कहा  है  कि   क्या  उसकी  सामर्थ्य  समय  के  पहिए   को  थामने   की  ताकत  रखती  है  ?  क्या  समय  उसकी  मुट्ठी  में  है  ?  क्या  उसे  पता  है  कि   पल  भर  के  बाद  क्या  घटित   होने  वाला  है  ? "   बादशाह  तक  फकीर   की ये  बातें  पहुँच  पातीं  ,  इसके  पूर्व  ही  अचानक  बादशाह  को   दिल  का  दौरा  पड़ा  और  उसकी  मृत्यु  हो  गई   l   नए  बादशाह  ने  फकीर  को  आजाद  कर  दिया  l   उसके  मित्र  को  भी  समझ   में आ  गया  कि   समय  का  सदुपयोग  करें ,  अहंकार  न  करें   क्योंकि  वक्त  का  मिजाज  कब  बदल  जाए   कोई  नहीं  जानता  l