पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ----- " क्षण - क्षण से जीवन बनता है l जीवन का हर क्षण महत्वपूर्ण है l भूत , भविष्य एवं वर्तमान में केवल वर्तमान ही हमारे पास रहता है , जो ये जानते हैं , वे वर्तमान क्षण का सार्थक उपयोग कर लेते हैं , किसी खास अवसर की प्रतीक्षा करने वाले समूचे जीवन के समय एवं अवसर को ही गँवा देते है l इसी तरह वर्तमान को छोड़कर अतीत में उलझे रहना एक विडंबना के समान है l जो जीवन का सत्य पाना चाहता है , उन्हें वर्तमान क्षण में जीने की कला आनी चाहिए l " एक कथा है ------- ' एक फकीर ने बादशाह के सामने समय की शाश्वता की सच्चाई प्रकट करते हुए कहा ---- " वर्तमान को संभाल लो , जीवन संभल जायेगा , सार्थक हो जायेगा l खुद को बादशाह कहते हो और जीते हो दंभ एवं अहंकार में ! सच्चा बादशाह तो वही होता है , जो जीवन के सब रहस्यों को समझकर इसके आनंद को अनुभव करे l " बादशाह को फकीर का कहा सच अप्रिय लगा , सो उसने उसे कैद कर लिया l उस फकीर के एक मित्र ने उससे कहा ----- " आखिर यह बैठे - बैठाय मुसीबत क्यों मोल ले ली ? न कहते ये सब , तो तुम्हारा क्या बिगड़ जाता और कह भी दिया तो वह कौन सा बदल गया ? " फकीर बोला ------ " मैं करूँ भी तो क्या करूँ ? जब से खुदा का दीदार हुआ है , तब से झूठ बेमानी हो गया है l कोशिश करने पर भी रहा नहीं जाता और झूठ तो बोला ही नहीं जाता l परमात्मा की सत्ता ही कुछ ऐसी है कि उसे अनुभव करने के बाद असत्य का ख्याल ही नहीं आता l समय के एक -एक क्षण को परमात्मा के चरणों में समर्पित करने की उमंग मन में उठती है l समय के इस सार्थक उपयोग के अलावा कुछ समझ में नहीं आता l फिर इस कैद का क्या ? यह कैद तो बस घड़ी भर की है l l " किसी गुप्तचर ने यह बात बादशाह को बता दी l बादशाह ने कहा ---- " उस पागल , फक्क्ड़ फकीर से कहना कि यह कैद घड़ी भर की नहीं , जीवन भर की है l उसे जीवन भर इसी कालकोठरी में सड़ते हुए मरना है l उसे यह याद रखना होगा कि मैं भविष्य को अपनी मुट्ठी में भर सकता हूँ l " फकीर ने जब बादशाह के इस कथन को सुना तो हँसने लगा और कहा ---- " ओ भाई ! उस नादान बादशाह से कहना कि उस पागल फकीर ने कहा है कि क्या उसकी सामर्थ्य समय के पहिए को थामने की ताकत रखती है ? क्या समय उसकी मुट्ठी में है ? क्या उसे पता है कि पल भर के बाद क्या घटित होने वाला है ? " बादशाह तक फकीर की ये बातें पहुँच पातीं , इसके पूर्व ही अचानक बादशाह को दिल का दौरा पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई l नए बादशाह ने फकीर को आजाद कर दिया l उसके मित्र को भी समझ में आ गया कि समय का सदुपयोग करें , अहंकार न करें क्योंकि वक्त का मिजाज कब बदल जाए कोई नहीं जानता l