4 March 2022

WISDOM -----

   हमारी  नीति   कथाएं   हमें  जीवन  जीने  की  कला  सिखाती  हैं  l   यह  कथा  बताती  है  कि    अपनी  कमजोरी   पर  नियंत्रण  रखो ,  डरो  नहीं  , अन्यथा  लोग  उसका  फायदा  उठाने  को  तैयार  रहेंगे  l   -----   एक  लोमड़ी  किसी  जंगल  में  रहती  थी   l   उसी  क्षेत्र  में  गधों  की  भरमार  थी   l  लोमड़ी  को  उनसे  असुविधा  होती  थी  l   उसके  खाने  योग्य  साधन   गधों  की  बहुलता  से  अस्त - व्यस्त  हो  जाते  थे  l   लोमड़ी  ने  एक  चालाकी  भरी  योजना  बनाई  कि   किसी  प्रकार  गधों  को  डरा  कर  भगाया  जाये   l  वह  गधों  के  पास  पहुंची   और  बोली   मैं  तुम्हे  एक  गुप्त   सूचना   देती  हूँ  --- मछलियों  ने  मिलकर  एक   सेना  गठित  की  है   और  वे  दलबल  के  साथ   तुम  सब  गधों  का  बंटाधार  करने  वाली  हैं   l   गधों  ने  वास्तविकता  जानने  का  प्रयत्न  ही  नहीं  किया  ,  डर   से  भयभीत  होकर   गांव  की   ओर   भागे   जहाँ  उन्हें  पनाह  मिल  सके   l   गाँव  धोबियों  का  था   l   उन्होंने  गधों  की  भय - व्याकुलता  देखी  l   कारण  पूछा   और  सहायता  करने  का  आश्वासन  दिया  l   गधों   ने  लोमड़ी  से  सुनी  सारी  बातें  कह  सुनाई   l   धोबियों  ने  उन्हें  बचा  लेने  का  आश्वासन  दिया  l   साथ  ही  उनके  गले  में  रस्सी  बांधकर   खूंटे  से  भी  बांध  दिया   l   गधे  स्थायी  रूप  से  उनके  चंगुल  में   बंध    गए  l 

WISDOM ------

   एक  कहावत  है ---- ' खाली  बैठे  क्या  करें ,  आओ  पड़ोसन  लड़ें  l  "    एक  सत्य  घटना  है  --- लोगों  को  लड़ने  का  बहुत  शौक  होता  है   l  झुग्गी  झोंपड़ी  में  रहने  वाली  दो  महिलायें   बात  कर  रहीं  थीं  -- एक  ने  कहा  --मैं  बकरी  खरीदूंगी   l  दूसरी  ने  कहा --- तेरी  झुग्गी  में  जगह  तो  है  नहीं  कहाँ  बांधेगी  ? '  पहली  स्त्री  ने  कहा --- ' तेरी  झुग्गी  में  बांध  दूंगी ,  क्या  कर  लेगी  मेरा  ! '  बस  !  इसी  बात  पर  दोनों  में  बहस  छिड़  गई , घर    के  पुरुष  भी  इसमें  सम्मिलित  हो  गए   l  अब  झुग्गी  में  तो  इतनी  जगह  नहीं  थी  ,  इसलिए  उनकी  लड़ाई  सड़क  पर  आ  गई  l  एक -एक  कर  के  अन्य  झुग्गी  वाले  भी  इस  लड़ाई  में  जुट  गए ,  बवाल  मच  गया  l  इस  बीच  भयंकर  आँधी    चलने  लगी ,   मूसलाधार  पानी  बरसने  लगा  ,  ओले  भी  गिरे  l   महिलाएं  तो  किसी  तरह  अपनी  झुग्गी  में  चलीं   गईं  l   लेकिन  पुरुषों  में  तो  अहंकार  होता  है  ,  अपने  पौरुष  को  सार्थक  करने  का  कोई  मौका  चाहिए   l   वे  अपने - अपने   घर  से  छाता   ले  आए ,  जिसके  पास  छाता   नहीं  था   ,  उसने  सिर   पर  से  बोरी   ओढ़  ली    और  खूब  लड़े  l ' ------ यह  हाल  आजकल  पूरी  दुनिया  का  है   l   झुग्गी  में  रहने  वाले ,   गरीब  लोग  ,  निम्न   जाति   के  लोग ,  जो  बदरंग  हैं   वे  लोग   और    अनपढ़   आपस  में  लड़ें   तो  बात   समझ  में  आती  है    लेकिन  जब  रंग - रूप ,  ज्ञान - विज्ञानं ,  धन - वैभव  ,  सुख - सुविधाएँ  ,  जाति - धर्म    हर  दृष्टि  से  स्वयं  को  श्रेष्ठ  कहने  वाले   लोग  ऐसी  लड़ाई  करें  कि   धरती  शमशान  बन  जाये    तो  मन  में  एक  प्रश्न  उत्पन्न  होता  है   कि   श्रेष्ठ  कौन   ?      सभ्य  कौन   ?     यह  दुर्बुद्धि  ही  है  कि   सकारात्मक  कोई  कार्य   नजर  नहीं  आता    तो  घमासान  युद्ध  कर  के  , निर्दोष  प्राणियों  की  हत्या  कर  के  ही  लोग  समझते  हैं  कि   उनका  जीवन  सार्थक  हो  गया   l   ऐसी  बुद्धि  !