22 September 2019

WISDOM ---- श्रम के साथ भावना और मनोयोग तथा बुद्धि और विवेक जुड़ जाये --

 
पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य  ने  अपने  जीवन  के  अंतिम  दिनों  में  सभी  लोगों  की  गोष्ठी  बुलाई  और  कहा   कि  आज  हम  तुम  लोगों  को  अपने  जीवन  का  सार  बताएँगे  ,  उन्होंने  कहा --- "  मैं  जीवन  भर  तुम  लोगों  से  गायत्री  की  बातें  करता  रहा  ,  अब  मैं  तुम  लोगों  से  गायत्री  माता  की माता  के  बारे  में  कहता  हूँ  l  गायत्री  माता  की माता  का  नाम  है ----' श्रम  '  l  जो  श्रम  करता  है  ,  उसे  गायत्री  माता वरदान  देती  है  ,  जो  श्रम  नहीं  करता ,  उस  निठल्ले  को  कोई  वरदान  नहीं  देता  l  "
उन्होंने  आगे  कहा ---- "  यह  श्रम  तब  और  भी  व्यापक  एवं  आध्यात्मिक  बन  जाता  है  और  व्यक्तित्व  की  प्रगति  के  द्वार  खोलता  है   ,  जब  श्रम  सेवा  में  तब्दील  हो  जाता  है   l  जब हम   सेवा  के  माध्यम  से  श्रम  करते  हैं   तो  हम  निजी  जीवन  को  समृद्ध  बनाते  हैं    और  अपने  व्यक्तित्व  को  व्यापक  बनाते  हैं   l  "