5 August 2014

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत

सारा  खेल  संसार  में  इसी  मन;शक्ति  का  चल  रहा  है  | मन  को  सशक्त  बनाकर  प्रतिकूलताओं  में  भी  हम  अपना  अस्तित्व  बनाये  रख  सकते  हैं,  स्वस्थ  बने  रह  सकते  हैं  एवं  उल्लास  भरा  जीवन  बिता  सकते  हैं   |
       प्रतिकूलतायें  ' अवसर '  हैं  | जीवन  में  आये  अवसरों  को  व्यक्ति  साहस  और  ज्ञान  की  कमी  के  कारण  खो  देता  है  | अज्ञान  के  कारण  उस  अवसर  का  महत्व  नहीं  समझ  पाता  |
हमारी  मन:स्थिति  विधेयात्मक ( पॉजिटिव  )  हो  तभी  प्रगति  संभव  है  |
' मनोबल  ही  जीवन  है  | वही  सफलता  और  प्रसन्नता  का  उद्गम  है  |'
गीता  का  तत्वदर्शन  हमें  जीवन  जीने  की  कला  सिखाता  है  |  हमें  अपने  सुख  के  लिये  वातावरण  का, परिस्थितियों  का  रोना  नहीं  रोना  है  | बाहरी    परिस्थितियों  और  वातावरण  पर  अपनी  निर्भरता  समाप्त  करनी  है  | अपने  प्रचंड  मनोबल  और  आत्मशक्ति  के  सहारे  अपने  लिये  अनुकूल  वातावरण-परिस्थिति  बना  लेना  है