25 June 2013

CROW / SWAN

'जीवन में जितनी सांसारिक कठिनाइयां हैं ,उनका बीज हमारे अंदर रहता है | हमारे गुण ,कर्म और स्वभाव जिस योग्य होते हैं ,उसी के अनुकूल परिस्थितियां मिलकर रहती हैं | स्थाई रूप से मनुष्य को वही मिलता है ,जिसके वह योग्य है ,जिसका वह अधिकारी है | '

      मानसरोवर के हंस कठोर शीत के कारण सुदूर देशों के प्रवास पर निकल पड़े | अनेक देश और भूखंड पार करते हुए राजहंसों की टोली समुद्र तट पर रुकी | कोणार्क राजवंश के प्रसिद्ध उद्दान का माली इन राजहंसों का स्वागत -सत्कार करता और राजहंसप्रत्युपकार वश माली को प्रति वर्ष एक उपदेश दिया करते | इस बार भी माली ने राजहंसों का मीठे फलों से स्वागत किया और राजहंसों की टोली के नायक ने माली को उपदेश दिया ,
         तात !जो व्यक्ति अपनी शक्ति और साधनों की मर्यादा में रहता है ,वह स्वल्प साधनों में भी अपना जीवन हँसी -खुशी में बिता लेता है ,किंतु अपनी शक्ति से अधिक का मिथ्या प्रदर्शन करने वाले न केवल संकट में पड़ते हैं अपितु उपहास और निंदा के पात्र भी बनते हैं | "
         माली राजहंसों से बड़ा प्रभावित हुआ और मार्ग के लिये कुछ देने लगा तो राजहंसों ने मना किया और कहा --"तात !संचय पाप है ,यह खाद्य तुम ले जाओ ,दुनिया में और बहुत से लोग अभावग्रस्त हैंउन्हें  दे दो ,सामर्थ्यवान लोग अपनी आवश्यकता स्वयं पूरी कर लेते हैं | कुछ भी मिले ,कहीं से भी मिले उदरस्थ कर लेने की काकवृति घटिया लोगों का काम है | "

       हंस के ये शब्द वटवृक्ष पर बैठे कौए ने सुन लिए और वह पंख फुलाता राजहंसों को बुरा -भला कहने लगा और बोला --"राजहंसों !चलो हमारी तुम्हारी प्रतियोगिता हो जाये ,इतने विशाल समुद्र को पार करने की | तुम्हे अभी मेरी शक्ति का पता चल जायेगा | "
       राजहंसों ने कौए को बहुत समझाया किंतु अहंकारी कौया नहीं माना , राजहंसों के साथ उड़ चलाऔर थोड़ी तेजी दिखाकर आगे हो गया | कौए ने व्यंग करते हुए राजहंसों से कहा -"थक जाना तो बता देना ,हम तो तुम्हे अपनी शक्ति दिखाना चाहते हैं ,मारना नहीं चाहते हैं | "
राजहंस बिना उत्तर दिये धीर -गंभीर उड़ते रहे | कुछ ही देर बाद बकवादी कौए का शरीर थक गया ,पंख ढीले पड़ गये किंतु हेकड़ी नहीं गई | वह समुद्र में गिरने ही वाला था ,अपने ही कृत्य पर कौए की आँखों में आँसु आ गये | यह देख राजहंसों को दया आ गई ,उन्होंने कौए को पीठ पर बिठाया ,पीछे लौटे और कौए को उसी वृक्ष पर छोड़ दिया ,जहाँ वह रहता था | अभी तक कौए का दम फूल रहा था | राजहंस बोले --
 "आगे से कभी भी अपनी शक्ति से अधिक बढ़ -चढ़कर प्रदर्शन मत करना अन्यथा मारे जाओगे | "
यह कहकर राजहंसों की टोली अपने प्रवास पर उड़ चली |