महात्मा गाँधी देश की नब्ज को सबसे अधिक पहचानते थे , उन्होंने चुन - चुन कर ऐसे कार्यक्रम चालू किये थे जिनसे देश का सार्वजनिक विकास हो l वे जानते थे कि केवल राजनीतिक आन्दोलन से स्वराज्य नहीं मिलेगा और यदि वह किसी प्रकार मिल भी जाये तो उससे लाभ नहीं उठाया जा सकता l जब तक यहाँ के स्त्री - पुरुषों में अनेक प्रकार के दोष बने रहेंगे , जब तक हानिकारक रूढ़ियों से उनका पिण्ड नहीं छूटेगा , तब तक वे प्रगति के पथ पर कदापि अग्रसर नहीं हो सकते l इसलिए उन्होंने महिलाओं की जागृति, अछूतोद्धार , सादा रहन - सहन , धार्मिक उदारता , श्रमजीवियों से सद्व्यवहार आदि अनेक लोकहितकारी प्रवृतियों को जन्म दिया l
इन सब कार्यक्रमों में ' महिला जागरण ' का आन्दोलन बहुत महत्वपूर्ण था l असहयोग आन्दोलन के आरम्भ में ही महात्माजी ने ' नारी - जागरण का शंखनाद किया l उन्होंने कहा कि यदि देश की आधी जनसँख्या स्वाधीनता संग्राम से पृथक और उदासीन बनी रहेगी , तो भारतवर्ष कभी सच्चे अर्थों में स्वाधीन न बन सकेगा l वे कहते थे नारी तो शक्ति स्वरूपा है , जब तक वह पुरुषों का साथ नहीं देगी , उसे प्रोत्साहित न करेगी , विजयी होकर लौटने पर उसका प्रेमपूर्वक स्वागत नहीं करेगी तब तक पुरुष पूरे अंत:करण से स्वाधीनता समर में भाग न ले सकेंगे l असहयोग आन्दोलन में जहाँ लाखों की संख्या में पुरुष जेल गए वहीँ हजारों की संख्या में स्त्रियों ने भी जेल यात्रा की l उस समय स्त्रियाँ राजनीतिक बातों को अधिक नहीं समझती थीं , पर गांधीजी के ऊपर उनका भगवान की तरह विश्वास हो गया था l असहयोग आन्दोलन में जेल जाने वाली सभी स्त्रियाँ बड़ी सभी , सह्रदय और ऊंचे परिवारों की ही थीं l अनेक विद्वानों का मत है कि गाँधी - युग ही भारतीय समाज की काया पलट करने वाला युग है l
इन सब कार्यक्रमों में ' महिला जागरण ' का आन्दोलन बहुत महत्वपूर्ण था l असहयोग आन्दोलन के आरम्भ में ही महात्माजी ने ' नारी - जागरण का शंखनाद किया l उन्होंने कहा कि यदि देश की आधी जनसँख्या स्वाधीनता संग्राम से पृथक और उदासीन बनी रहेगी , तो भारतवर्ष कभी सच्चे अर्थों में स्वाधीन न बन सकेगा l वे कहते थे नारी तो शक्ति स्वरूपा है , जब तक वह पुरुषों का साथ नहीं देगी , उसे प्रोत्साहित न करेगी , विजयी होकर लौटने पर उसका प्रेमपूर्वक स्वागत नहीं करेगी तब तक पुरुष पूरे अंत:करण से स्वाधीनता समर में भाग न ले सकेंगे l असहयोग आन्दोलन में जहाँ लाखों की संख्या में पुरुष जेल गए वहीँ हजारों की संख्या में स्त्रियों ने भी जेल यात्रा की l उस समय स्त्रियाँ राजनीतिक बातों को अधिक नहीं समझती थीं , पर गांधीजी के ऊपर उनका भगवान की तरह विश्वास हो गया था l असहयोग आन्दोलन में जेल जाने वाली सभी स्त्रियाँ बड़ी सभी , सह्रदय और ऊंचे परिवारों की ही थीं l अनेक विद्वानों का मत है कि गाँधी - युग ही भारतीय समाज की काया पलट करने वाला युग है l