31 January 2019

WISDOM --- ---

 महात्मा  गाँधी  देश  की  नब्ज  को  सबसे  अधिक  पहचानते  थे  ,  उन्होंने  चुन - चुन  कर  ऐसे  कार्यक्रम  चालू  किये  थे  जिनसे  देश  का  सार्वजनिक  विकास  हो  l  वे  जानते  थे  कि  केवल  राजनीतिक  आन्दोलन  से  स्वराज्य  नहीं  मिलेगा   और  यदि  वह  किसी  प्रकार  मिल  भी  जाये   तो  उससे  लाभ  नहीं  उठाया  जा  सकता  l  जब  तक  यहाँ  के  स्त्री - पुरुषों  में  अनेक  प्रकार  के  दोष   बने  रहेंगे  ,  जब  तक  हानिकारक  रूढ़ियों  से  उनका  पिण्ड  नहीं  छूटेगा  ,  तब  तक  वे  प्रगति  के  पथ  पर  कदापि  अग्रसर  नहीं  हो  सकते  l  इसलिए  उन्होंने  महिलाओं  की जागृति,  अछूतोद्धार ,  सादा  रहन - सहन  ,  धार्मिक  उदारता  ,  श्रमजीवियों  से  सद्व्यवहार  आदि  अनेक  लोकहितकारी  प्रवृतियों  को  जन्म  दिया  l
 इन  सब  कार्यक्रमों  में  ' महिला  जागरण '  का  आन्दोलन  बहुत  महत्वपूर्ण  था  l  असहयोग आन्दोलन  के  आरम्भ  में  ही  महात्माजी  ने  ' नारी - जागरण का  शंखनाद  किया  l  उन्होंने  कहा  कि  यदि देश  की  आधी  जनसँख्या   स्वाधीनता  संग्राम  से  पृथक  और  उदासीन  बनी  रहेगी  , तो  भारतवर्ष  कभी  सच्चे  अर्थों में  स्वाधीन  न  बन  सकेगा  l  वे  कहते  थे   नारी  तो  शक्ति  स्वरूपा  है  , जब  तक  वह  पुरुषों  का  साथ  नहीं  देगी ,  उसे  प्रोत्साहित  न  करेगी ,  विजयी  होकर  लौटने  पर   उसका  प्रेमपूर्वक  स्वागत  नहीं  करेगी  तब  तक  पुरुष  पूरे  अंत:करण  से  स्वाधीनता  समर  में  भाग  न  ले  सकेंगे  l   असहयोग आन्दोलन  में  जहाँ  लाखों  की  संख्या  में पुरुष  जेल  गए  वहीँ  हजारों  की  संख्या  में  स्त्रियों  ने  भी  जेल यात्रा  की   l  उस  समय  स्त्रियाँ  राजनीतिक  बातों  को  अधिक  नहीं  समझती  थीं  ,  पर  गांधीजी  के  ऊपर उनका  भगवान  की  तरह  विश्वास  हो  गया  था  l  असहयोग  आन्दोलन  में  जेल  जाने  वाली  सभी  स्त्रियाँ  बड़ी  सभी , सह्रदय  और  ऊंचे  परिवारों  की  ही  थीं  l  अनेक  विद्वानों  का  मत  है  कि   गाँधी - युग  ही  भारतीय  समाज  की  काया  पलट  करने  वाला  युग  है  l