13 December 2017

दो सच्चे और राष्ट्र सेवक मित्र

  नेहरूजी  और  सरदार  पटेल  के  मतभेद  की  यह  कहानी  बड़ी  दिलचस्प  और  शिक्षाप्रद  है   l  सरदार  पटेल  नेहरूजी  से  चौदह  वर्ष  बड़े  थे ,  पर  गांधीजी  के  भाव  को  समझकर   उन्होंने  नेहरूजी  को  प्रधानमंत्री  और  स्वयं  को  उप प्रधानमंत्री  रहना  स्वीकार  किया  l  इन  दोनों  का  यह  सहयोग  भारतीय  इतिहास  में  ही  नहीं  संसार  के  इतिहास  में  भी  महत्वपूर्ण  माना  जा  सकता  है  l 
   श्री  हरिभाऊ  उपाध्याय   का  एक  लेख  है ----- " भारत  के  स्वतंत्र  होने  के  बाद  सरदार ,  नेहरूजी  को  अपना  नेता  मानने  लगे  थे   l  इसके  बदले  नेहरूजी,  सरदार  को  परिवार  का   सबसे  वृद्ध  पुरुष  मानते  थे  l   दोनों  के  मतभेद  के  विषय  में  प्राय:  अफवाहें  फैल  जाती  थीं  किन्तु  सरदार  पटेल  ने  कभी  पानी  को  सिर  से  ऊपर  नहीं  निकलने  दिया  l 
  यदि  कोई   उन  दोनों  में  से  किसी  की  भी  नीति  पर  आक्रमण  करता  तो  उस  आलोचक  को  दोनों  ही  फटकार  देते   l  वे  दोनों  एक  दूसरे  के  कवच  थे   l  वे  विभिन्नता  में  भी  एकता  के  अद्भुत   उदाहरण  थे  l  एक  कांग्रेसी  कार्यकर्त्ता  ने      समझा  जाता  था  जिसे  सरदार  का   विश्वासपात्र  समझा  जाता  था  ,  बतलाया  कि  ,--- " सरदार  ने  अपनी  मृत्युशैया  पर   मुझसे  कहा  था   कि  हमको  नेहरूजी    की  अच्छी  तरह  देखभाल  करनी  चाहिए  , क्योंकि  मेरी   मृत्यु   से  उन्हें  बहुत  दुःख  होगा  l 
  इसी  प्रकार  की  घटना   नेहरूजी  की  भी  है  ---- सरदार  पटेल  अपने  व्यंग्य  के  लिए  प्रसिद्ध  थे   और  एक  दिन  नेहरूजी  भी  उनके  व्यंग्य  के  शिकार  हो  गए  l  उस  समय  उपस्थित  एक  मित्र  ने  इसका  जिक्र  नेहरूजी  से  कर  दिया  ,  तो  नेहरूजी  ने  उत्तर  दिया ---- " इसमें  क्या  बात  है  ?  आखिर  एक  बुजुर्ग  के  रूप  में   उनको  हमारी  हँसी  उड़ाने  का  पूर्ण  अधिकार  है  l  वे  हमारी  चौकसी  करने  वाले  हैं  l "  नेहरूजी  के  उत्तर  से  लाजवाब  होकर   वे  सज्जन  शीघ्र  ही  वहां  से  चले  गए  l