10 August 2019

WISDOM -------

 छोटी - छोटी  नैतिक  व  चारित्रिक  दुर्बलताएं  जीवन  की  बड़ी - बड़ी  त्रासदियों  और  दुर्भाग्यों  को  जन्म  देती  हैं  l  इच्छा  शक्ति  की  दुर्बलता  के  कारण  ही  व्यक्ति  छोटे - छोटे  प्रलोभनों एवं  दबावों  के  आगे  घुटने  टेक  देता  है   और  उतावलेपन  में  ऐसे   दुष्कृत्य  कर  बैठता  है  कि  बाद  में   पश्चाताप  के  अतिरिक्त  कुछ  हाथ  नहीं  लगता  l 
  महाभारत में  प्रसंग  है ---- भगवान  कृष्ण  दुर्योधन  को  समझाने  के  लिए  हस्तिनापुर  जाते  है   l  कहते  हैं  सिर्फ  पांच  गाँव  पांडवों  को  दे  दो  ,  यह  युद्ध  टल   जायेगा   l  लेकिन  दुर्योधन  सुई  की  नोंक  बराबर  भूमि  भी  देने  को  तैयार  नहीं  होता   l बार - बार  समझाने  पर  भगवान  श्रीकृष्ण  से  कहता  है ---
           जानामि  धर्मं  न  च   मे  प्रवृति:  l    जानाम्यधर्मं  न   च  मे  निवृति :   l
 '  धर्म  को ,   क्या  सही  है  ,  इसको  मैं  जानता  हूँ    किन्तु  इसको  करने  की   ओर   मेरी  प्रवृति  नहीं  होती  l 
  इसी  तरह  अधर्म  को  ,   जो  अनुचित  व  पापमय  है  ,  इसको  भी मैं  जानता  हूँ    किन्तु  इसको  करने  से   मैं  नहीं  रोक   सकता   l  '  
  जब  व्यक्ति   पर  दुर्बुद्धि  हावी  होती  है  ,  व्यक्ति  जिद्दी  व  अहंकारी  होता  है   तब  साक्षात्  भगवान  भी  उसे  समझाने  आयें ,  जीवन  की  सही  दिशा  दिखाएँ ,  तब  भी  वह  नहीं  समझता  l   दुर्योधन  की  तरह   गलत  राह  चुनता  है   l 
आज  मनुष्यों  पर  ऐसी  ही  दुर्बुद्धि  का  प्रकोप  है   l   ईश्वर  से   सद्बुद्धि  की प्रार्थना  करने  से  जब  विवेक  जागेगा , सद्बुद्धि  होगी  तभी  एक  सुन्दर  और  स्वस्थ  समाज  का  निर्माण  होगा  l