6 April 2023

WISDOM -----

    पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- "एक -एक  कदम  चलकर  ही  हम  लक्ष्य  को  प्राप्त  कर  सकते  हैं  l  साथ  ही  लक्ष्य  तक  पहुँचने  के  लिए  जितना  महत्व   प्रयास  व  श्रम  का  है  , उतना  ही  महत्त्व   विश्राम  का  भी  है  l  विश्राम  करने  से  हमें  मार्ग  की  थकान  से   राहत   मिलती  है   और  आगे  बढ़ने  के  लिए   ऊर्जा  भी  मिलती  है  l  अति  उत्साह  और  लालच  का  परिणाम  नुकसान दायक   हो  सकता  है  l  इसलिए  मंजिल  तक  पहुँचने  के  लिए   उत्साह  तो  बनाये  रखना  चाहिए  ,  लेकिन  अति  उत्साह  में  अपना  नियंत्रण  नहीं  खोना  चाहिए  l  "------------  पंचतंत्र  की  एक  कहानी  है ---- एक  जंगल  में  दो  पक्षी  रहते  थे  l  उस  जंगल  के  एक  छोर  पर  एक  वृक्ष  था  , जिसमें  वर्ष  में  एक  बार  स्वादिष्ट  फल  लगते  थे  l  जब  फलों  का  मौसम  आया  तो  उन  दोनों  पक्षियों  ने  वहां  जाने  की  योजना  बनाई  l  l  पहले  पक्षी  ने  दूसरे  से  कहा --- " वह  वृक्ष  यहाँ  से  बहुत  दूर  है   इसलिए  मैं  तो  वहां  आराम  से  पहुँच  जाऊँगा  l  अभी  फलों  का  मौसम  दो  माह  रहेगा  l "  दूसरा  पक्षी  अति उत्साहित  था  , कहने  लगा ---" नहीं  मित्र  ! मुझसे  तो  रहा  नहीं  जा  रहा  है  l  उन  स्वादिष्ट  फलों  के  बारे  में  सोचकर  ही  मेरे  मुँह  में  पानी  आ  रहा  है  l  इसलिए  मैं  तो  एक  ही  उड़ान  में  वहां  पहुंचकर  मीठे  फल  खा  लेना  चाहता  हूँ  l "  दूसरे  दिन  दोनों  पक्षी  अपने  घोंसले  से  निकलकर  उस  वृक्ष  की  ओर  उड़  चले  l  कुछ  दूर  जाने  पर  पहले  पक्षी  को  जब  थकान  होने  लगी  तो  वह  एक  पेड़  की  टहनी  पर   ठहर  गया   लेकिन  दूसरा  पक्षी  थकान  के  बावजूद  भी   रुका  नहीं ,  अति उत्साह  में   उड़ता  गया  l  अब  उसे  दूर  से  ही  फलों  का  वृक्ष   दिखाई  देने  लगा  , मीठे  फलों  की  सुगंध  भी  आ  रही  थी  l  वह  बुरी  तरह  थक  भी   चुका  था  ,  उसके  पंख  लड़खड़ाये   और  वह  आसमान  से  जमीन  पर  आ  गिरा  l  उसके  पंख  बिखर  गए   और  वह  उन  फलों  तक  कभी  नहीं  पहुँच  सका  l    लेकिन  पहला  पहला  पक्षी  जो  धैर्य  के  साथ   कुछ  देर  विश्राम  कर   उड़  रहा  था  , वह  फलों  तक  आराम  से  पहुँच  गया   और  उसने  जी  भरकर  स्वादिष्ट  फल  खाए  l    आचार्य जी  कहते  हैं  जैसे  एक -एक  सीढ़ी  चढ़कर  ही  हम  मंजिल  तक  पहुँचते  हैं  ,  अति  शीघ्रता  में   कभी -कभी  पाँव  फिसलने  और  गिरने  का  डर  रहता  है  , सावधानी  जरुरी  है  l