आंधी ने शीतल बयार से कहा --- " अरी बहन ! ये तुम क्या धीरे -धीरे बहती हो l मुझे देखो न, मैं जब आवेग के साथ चलती हूँ तो पेड़ -पौधे काँपते हैं , बड़े -बड़े भवन थरथराते हैं , सब अपने बचाव में इधर -उधर भागते हैं l जिन्दगी ऐसे जीनी चाहिए जिसका सब लोग लोहा माने और हमसे डरें l " शीतल बयार ने नम्रता से उत्तर दिया ---- " आँधी दीदी ! मुझे तो इस धीमी चाल में ही आनंद आता है l इसमें किसी को कष्ट नहीं होता और मैं जिसको छू कर जाती हूँ , उसके चेहरे पर एक शांति की रेखा छोडती हुई जाती हूँ l दूसरों के सुख में ही मेरे जीवन का सुख है l " आवेगपूर्ण जीवन आँधी की तरह स्वयं और दूसरों के कष्ट का कारण बनता है l
17 February 2023
WISDOM -----
श्रीमद् भगवद्गीता में भगवान ने आसुरी प्रवृत्ति के लोगों के लक्षणों की चर्चा करते हुए कहते हैं की आसुरी प्रवृत्ति वाले व्यक्ति अहंकारी , कामी और क्रोधी होते हैं , वे स्वयं को ईश्वर समझते हैं इसलिए उनका प्रकृति के कर्मफल विधान में जरा भी भरोसा नहीं होता जैसे हिरण्यकशिपु स्वयं को नारायण समझने लगा था l आसुरी वृत्ति को मनुष्य की चेतना विध्वंसक होती है , अपने सभी प्रतिस्पर्धी उन्हें अपने दुश्मन नजर आते हैं , अहंकार से उन्मत्त होकर दूसरों का जीवन नष्ट करते हैं l l श्री भगवान कहते हैं --आसुरी प्रवृत्ति वाला व्यक्ति करता सब गलत है , उसकी चेतना कपट और आडम्बर करना ही जानती है , लेकिन अपने मन में वह यही मान कर बैठता है कि वो बिलकुल सही है l पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं -- जो लोग बुरे पथ पर चलते हैं , उनकी अंतरात्मा उन्हें कचोटती है तो वे कुतर्कों के द्वारा उसे भी धोखा देने और चुप कराने की कोशिश करते हैं l दान आदि शुभ कर्म भी उनकी अहंकार पूर्ति का माध्यम हैं l भगवान कहते है कि ऐसे लोग अपने जीवन को ही नरक बना लेते हैं l रावण , दुर्योधन , तैमूरलंग , सिकंदर ऐसे ही अहंकारी थे l