कालदंड से अजेय एवं असीम सामर्थ्यवान भी नहीं बच पाते हैं | काल-प्रवाह के विपरीत एवं विरुद्ध चलने वालों का हश्र अत्यंत भयावह एवं भयानक होता है | काल पर किसी की विजय नहीं होती , केवल काल ही अजेय है | इसके सामने शक्तिशाली व्यक्ति ही नहीं , राष्ट्र भी बौने पड़ते हैं | वर्तमान समय में काल अपने प्रवाह में अपने विरुद्ध बहने वालों पर ऐसा भीषण प्रहार कर रहा है , जिसके सामने सभी थर्राये हुए हैं |
जब शासक एवं सत्ता जनता की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के बदले अपने स्वार्थ हेतु कुछ भी करने के लिये उतारू हो जाते हैं तो काल उन्हें सबक सिखाने के लिये क्रांति का सूत्रपात करता है और यह क्रांति तब तक चलती है , जब तक यह अपने अभीष्ट को प्राप्त नहीं कर लेती | इसके विरुद्ध जो भी जाता है , उसका विनष्ट होना सुनिश्चित है |
जब शासक एवं सत्ता जनता की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के बदले अपने स्वार्थ हेतु कुछ भी करने के लिये उतारू हो जाते हैं तो काल उन्हें सबक सिखाने के लिये क्रांति का सूत्रपात करता है और यह क्रांति तब तक चलती है , जब तक यह अपने अभीष्ट को प्राप्त नहीं कर लेती | इसके विरुद्ध जो भी जाता है , उसका विनष्ट होना सुनिश्चित है |