10 September 2023

WISDOM -----

  कलियुग  की  सबसे  बड़ी  समस्या  यह  है  कि   कैसे  पहचाना  जाए  कि  कौन  देवता  है  और  कौन  असुर  है  ?  क्योंकि  असुरता  आज  वेश  बदलकर  ,  शराफत  का   नकाब   पहन  कर   समाज  में  घुलमिल  गई  है  l  आज  स्थिति  इतनी  विकट  है  कि  पारिवारिक  रिश्तों  में  ही   हम  सारा  जीवन  बीत  जाने  पर  भी  नहीं  समझ  पाते  कि  व्यक्ति  का  सच  क्या  है  ?  जो  जैसा  हमें  दीखता  है   वह  वैसा  ही  है   या  परदे  के  पीछे  कुछ  और  है  l  परिवार  में  होने  वाली  हिंसा , उत्पीड़न , भाई -भाई  के  बीच  होने  वाले  संपत्ति  आदि  के  विवाद ,  अपने  स्वार्थ  के  लिए  अपने  ही  परिवार  के  सदस्य  का  शोषण , जो  कमजोर  है  उसे  सताना , चैन  से  जीने  न  देना  यह  सब  असुरता  ही  है  l  इसी  का  विस्तृत  रूप  समाज ,  विभिन्न  संस्थाओं ,  राष्ट्र   और  संसार  में  देखने  को  मिलता  है  l  संक्षेप  में  जहाँ  स्वार्थ , लालच , झूठ , बेईमानी , छल , कपट , षड्यंत्र  , दूसरों  का  हक  छीनना , नकारात्मक  शक्तियों   का  प्रयोग  कर  पीठ  पीछे  वार  करना  -----यह  सब  असुरता  के  लक्षण  हैं  l  जिसमें  यह  दुर्गुण  जितने  अधिक  हैं   वह  उतना  ही  बड़ा  असुर  है  , वह  अपने  ज्ञान  , अपनी  शक्ति  का  दुरूपयोग  कर  के  सम्पूर्ण  प्रकृति  को  प्रदूषित  करता   है  ,  नाराज  करता  है  l   असुरता  अपना  साम्राज्य  चाहती  है  , सबको  अपना  गुलाम  बनाना  चाहती  है  l  उसका  देवत्व  पर  आक्रमण  करने  का  अपना  एक  पैटर्न  है  l  देवत्व  को  मिटाने  के  लिए  सबसे  पहले  धन   का  लालच  दिया  जाता  है ,  फिर  वासना  का  जाल  बिछाया  जाता  है ,  मोह  जाल  में  फंसाने  के  लिए  उसके  रिश्तों  में  फूट  डालने  का  भरपूर  प्रयास  किया  जाता  है  l  छल , कपट  षड्यंत्र ,  तंत्र -मन्त्र , विभिन्न  नकारात्मक  शक्तियों  का  प्रयोग  कर   देवत्व  को  मिटाने  का  प्रयास  किया  जाता  है  l  असुरता  बड़ी  मजबूती  से  संगठित  है  इसलिए  यह  सब  कार्य  बड़े  संगठित  रूप  से  ही  किया  जाता  है  l    इस  जंग  में  विजयी  वही   होता  है    जिसमें  विवेक  होता  है ,  जो  सत्कर्म  कर  के  , सन्मार्ग  पर  चलकर  ईश्वर  की  कृपा  प्राप्त  कर  लेता  है   l      कामना , वासना , लोभ , लालच  और  मोह  के  जाल   से  बच  कर  निकलने  की  समझ   और  विवेक   केवल  ईश्वरीय  कृपा  से  ही  प्राप्त   होता  है  l  विज्ञान  के  पास  ऐसा  कोई  यंत्र  नहीं  है  जो  व्यक्ति   की  बुद्धि  में  विवेक  और  सही  निर्णय  लेने  की  समझ  पैदा  कर  सके  l  गीता  में  भगवान  ने  कहा  है   कि  निष्काम  कर्म  से   ही  मन  का   मैल    साफ़  होता  है  और  विवेक  जाग्रत  होता  है   l