30 November 2022

WISDOM -----

 ऋषियों  का  वचन  है --- ' मनुष्य  पाप  कर  के  यह  सोचता  है  कि   उसका  पाप  कोई  नहीं  जानता  , पर  उसके  पाप  को  न  केवल  देवता  जानते  हैं  , बल्कि  सबके  ह्रदय  में  स्थित  परम पिता  भी  जानते  हैं  l  '     जब   संसार  में  कायरता  बढ़  जाती  है   तब  व्यक्ति  छल , कपट , षड्यंत्र  का  सहारा  लेता  है  l  प्रत्यक्ष  में  प्रेम  और  अपनत्व  दिखाकर  पीठ  में  छुरा  भोंकने  का  कार्य  करता  है  l  ऐसा  कर  के  वह  अपने  को  बहुत  चतुर , चालाक  समझता  है  l  अनेकों  लोग  जो  कुछ  ज्यादा  ही  बुद्धिमान  होते  हैं  वे  पुलिस  और  कानून  की  नजरों  से  बच  भी  जाते  हैं   लेकिन  ईश्वर  से  , प्रकृति  से  कुछ  छुपा  हुआ  नहीं  है  l  सत्य  एक  दिन  सामने  आ  ही  जाता  है  l  ऐसे  कायरतापूर्ण  कार्य  हर  युग  में  हुए  हैं   लेकिन  यदि  व्यक्ति  सत्य  की  राह  पर  है   तो  दैवी  शक्तियां  उसकी  रक्षा  करती  हैं  और  पापियों  का  हर  प्रयास  असफल  हो  जाता  है   l  महाभारत  का  प्रसंग  है ---- दुर्योधन , शकुनि  ने  कुचक्र  रचकर  पांचों   पांडवों  और  माता  कुंती  को   वारणावत  भेजा  l   प्रत्यक्ष  में  यह  कहा  गया  कि  वे  वहां  सैर  करने  , वहां  के  मेले  आदि  का  आनंद  लेने  जा  रहे  हैं   लेकिन  पांडवों  को  समूल  नष्ट  करने  के  लिए  उसने  पुरोचन  के  भेजकर  उनके  लिए  लाख  का  महल  बनवा  दिया  l  यह  कार्य   पांडवों  की  पीठ  में  छुरा  भोंकना  था  l  लाख  के  महल  में  सभी  चीजें  ऐसी  रखी  गईं  थीं  जो  शीघ्र  आग  पकड़ती  हैं  l   निश्चित  दिन  पांडवों  को  महल  सहित  जला  देने  की  योजना  थी  l   यह  कार्य  बहुत  गुप्त  रूप  से  किया  गया  लेकिन  महात्मा  विदुर  को  इसकी  जानकारी  थी  l  हस्तिनापुर  से  चलते  समय   उन्होंने  युधिष्ठिर  को  गूढ़  भाषा  में   समझाया  और  कहा --- जो  आग  जंगल  का  नाश  करती  है  , वह  बिल  में  रहने  वाले  चूहे  को  नहीं  छू  सकती  l  सेही --जैसे  जानवर   सुरंग  खोदकर  जंगली  आग  से  अपना  बचाव  कर  लेते  हैं  l  युधिष्ठिर  सब  कुछ  समझ  गए  l  वहां  पहुंचकर  सुरंग  तैयार  कर  ली  l  निश्चित  दिन   युधिष्ठिर  ने  बहुत  बड़े  भोज  का  आयोजन  किया  , सभी  कर्मचारी  खा -पी कर  गहरी   नींद    सो  गए  , तब  भीम  ने  उस  लाख  के  महल  को  आग  लगा  दी   और  माता  कुंती  समेत     बाहर  निकल  आए  l  जिनकी  रक्षा  करने  वाले  स्वयं  भगवान  हों  उनका  कोई  कुछ  नहीं  बिगाड़  सकता  l  क्रिया  की  प्रतिक्रिया  अवश्य  होती  है  ,  कर्म फल  अवश्य  मिलता  है  l दुर्योधन  आदि    पांडवों  को  उनकी  माता  सहित  नष्ट  करना  चाहते  थे   , वे  तो  बच  गए  लेकिन  महाभारत  के  युद्ध  में  पूरे  कौरव  वंश  का  अंत  हो  गया  l  जानबूझकर , सोच -समझ कर   और  योजना  बनाकर   जो  अपराध  किए  जाते  हैं  , प्रकृति  से  उनको  दंड  अवश्य  मिलता  है  l