16 November 2023

WISDOM -----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी   लिखते  हैं  ----- " पथ  तय  करता  है  कि  जीवन  की  मंजिल  कहाँ  है  l  मंजिल  का  अनुमान  एवं  आकलन   राह  को  देखकर  किया  जा  सकता  है  l  अनीति  एवं  गलत  राह  से   कभी  भी   श्रेष्ठ  मंजिल  की  प्राप्ति  संभव  नहीं  है  l   इस  राह  पर  चलने  के  लिए   कितने  ही  क्यों  न  प्रेरित  करें  ,  परन्तु  अंत  इसका  अत्यंत  भयावह  होता  है  l  "    कौरवों   की  समृद्धि  और  ऐश्वर्य  की  कहानी   पांडवों  के  अधिकार  को  कुचलकर  लिखी  गई  थी   और  उसका  अंत  उससे  कई  गुना   दर्दनाक  था  l  पुत्र  मोह  से  ग्रस्त  धृतराष्ट्र   के  सौ  पुत्रों  में  से   एक  भी  जीवित  नहीं   बचा  l  प्रारम्भ  में  वैभव  के  मद  में  चूर  कौरव  अंत  में  एक  कफ़न  के  लिए  तरस  गए   l  जिनकी  नियत  में  खोट  होता  है  उनका  अंत  कभी  भी  अच्छा  नहीं  होता   l                                   इसके  विपरीत  सन्मार्ग  सदा  श्रेष्ठ  लक्ष्य  की  ओर  पहुंचाता  है   l  सच्चाई  की  राह  पर  अडिग  रहकर   साहस , धैर्य  और  विवेक पूर्वक    अपनी  मंजिल  को  उपलब्ध  किया  है  l    इस  उपलब्धि  का  आनंद  ही  कुछ  और  है  , यहाँ  आत्मा  तृप्त  होती  है    लेकिन  अनीति  और  गलत  राह  पर  चलकर   जो  सफलता  प्राप्त  की  जाती  है  ,  उससे  आत्मा  कभी  तृप्त  नहीं  होती  ,  अंतर्मन  खोखला  ही  रहता  है   क्योंकि  मनुष्य  का  मन  एक  दर्पण  है   जो  उसके  भले -बुरे  कर्मों  को  निरंतर  उसे    दिखाता  है  l  संसार  से  मनुष्य  छिप  सकता  है  , भाग  सकता  है     लेकिन  अपने  मन  से  भाग  नहीं  सकता  l  ऐश्वर्य  और  वैभव  के  भंडार  के  बीच  भी   आँखों  से  नींद  उड़   जाती  है   l