15 July 2019

WISDOM ---- भ्रष्टाचार -----

  बात  उन  दिनों  की है  जब  चीन  में  सम्राट  ' मंचू '  वंश  का  था  और  चीन  की  प्रजा  अन्याय   को  सहने  व  अंधकार  में  रहने  को  विवश  थी ,  और  डॉ.  सनयातसेन   अपने  देश  और  समाज  के  उद्धार  के  लिए  प्रयत्नशील  थे   l   पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य  ने  वाड्मय  ' मरकर  भी  अमर  हो  गए  जो  '  में    लिखा ----  चीन  की  हुकूमत  में  छोटे  से  चौकीदार  या  चपरासी  से  लेकर  गवर्नर  तक  यही  चाहते  थे   कि  वर्तमान  अंधेर - खाता  जैसा  है  वैसा  ही  चलता  रहे  , जनता  में  किसी  प्रकार  के  नए  विचारों  का  प्रचार  न  हो  सके  l  वहां  के  अधिकारियों  को  वेतन  बहुत  कम  मिलता  था   और  तमाम  खर्च  ' ऊपरी  आमदनी '  से  ही  चलता  था   l
  इस  संबंध  में   सनयात  सेन  ने   इंग्लैण्ड  में  रहते  हुए  लिखा  था ---  "  शायद  अंग्रेज  लोगों  को  इस  बात  का  पता  नहीं  कि  चीन में  बड़े - बड़े  पदाधिकारियों  का  निश्चित   वेतन   कितना  कम  है  l कैण्टन  प्रान्त  के  वाइसराय  का  वार्षिक  वेतन   60 पौंड  है  l  इससे  आप  समझ  सकते  हैं  कि  अपने  पद  की  योग्यतानुसार  ठाट - बाट  से  रहने  और  दौलत  जमा  करने  के  लिए  वह  कौन  सा  अन्याय  न  करता  होगा  ?    एक  विद्दार्थी  विशेष  योग्यता  के  साथ  पास  होता  है  , वह  सरकारी  नौकरी  की  खोज  करता  है  और  पीकिंग  के  अधिकारियों  को  घूस  देकर  एक  जगह  प्राप्त  करता  है  परन्तु  उसकी  तनख्वाह  से  उसका  गुजारा नहीं  होता  क्योंकि  तनख्वाह के  बराबर  रुपया   तो  उसे  प्रतिवर्ष  अपने  अधिकारियों  को  दे  देना  पड़ता  है  ताकि  वह  अपने  स्थान  पर  बना  रहे  l  परिणाम  यह  होता  है  कि  वह  लूट -खसोट  प्रारम्भ  कर  देता  है  , जब  गवर्नमेंट  उसकी  पीठ  पर  हाथ   रखे  है    , यदि  वह  तब  भी  काफी  रुपया  न  कमाए  ,  तो  उससे  बढ़कर  बेवकूफ  कौन  होगा  ?  वह  खूब  रुपया  कमाता  है   और  अच्छी  तरह  घूंस  देकर  ऊँचे  पद  प्राप्त  करता  चला  जाता  है  l  इस  प्रकार  जो  मनुष्य  खूब  अच्छी  तरह  से  लूट  सकता  है  वही  सबसे  ऊँचा  पद  पाता  है  l  "
  आचार्य श्री  ने  आगे  लिखा  है  --बहुत  से  लोग  यह  प्रश्न   करते  हैं  कि  जब   चीन  में  ऐसा  अंधेर - खाता  था  तो  समझदार  अन्याय  को  मिटाने  का  प्रयास  क्यों  नहीं  कर  सके  ?    इसके  उत्तर  में  इतना  ही  जान  लेना     पर्याप्त  है  कि  ' मंचू ' शासक  चीन  के  निवासियों  को  डरा  कर   उनका  भेद  लेकर  ही  काम  चलाते  थे  l  सरकारी  जासूस  बड़े  शहरों  से  लेकर  छोटे  गाँव  तक , कारखानों  में , होटलों  में  , रेलगाड़ियों  में  ,  निजी  घरों  तक  में  जासूस  फैले  हुए  थे  ------ किसी  भी  व्यक्ति   के  मुंह  से  सरकार  के  विरोध  में  या  क्रांति  के  पक्ष  में  एक  शब्द  भी  निकल  जाये   तो  उसकी  आफत  आ  जाती  थी   l  
सनयात सेन  ने  एक  स्थान  पर  कहा  है --- लोग  अंधकार  में  रखे  जाते  हैं  और  जिन  बातों  को  सरकार  अपने  लाभ  का  समझती  है  ,  केवल  उन्ही  बातों  को  प्रकट  होने  देती  है   l  
अन्याय  और  भ्रष्ट  व्यवस्था  सदैव  एक  गति  से  नहीं  चल  सकते  ,  कोई  न  कोई  प्रतिक्रिया  अवश्य  होती  है   l