16 November 2019

WISDOM ---- आचरणविहीन धर्म आडम्बर के सिवा और कुछ भी नहीं

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  लिखा  है ---- ' पत्थरों  के  पुराने  मंदिरों  में   सिर   झुकाने  की   रीति   निभाने   वालों  की  दशा  भी   पत्थर  जैसी  हो  चली  है   l   विचार  और  आचरण  के  बीच   की  गहरी  खाई  ने    धर्म  को  प्रभावहीन  बना  दिया  है  l  '
आचार्य श्री  आगे  लिखते  हैं  ---- ' धर्म  का  प्रचार  तो  बहुत  हो  रहा  है  ,  लेकिन  इसका  आचरण  नहीं  के  बराबर    हो  रहा  है   l   जहाँ  देखो  ,  जिधर  सुनो  ,  वहीँ  प्रवचन  ,  जो  कि   यथार्थ  में  पर - वचन  हैं   , दिखाई - सुनाई  दे  रहे  हैं   l   जिसे  देखो - सुनो  ,  वही  शास्त्र  वचन  दोहराता  है  ,  लेकिन  अनुभव  से  एकदम   अनभिज्ञ  है   l   इसी  का  परिणाम  है  कि -- जीवन  निरंतर   दुःख  और  पीड़ा   में  डूबता  जा  रहा  है   l   बातें    देवत्व  की  हो  रहीं  हैं  ,  जबकि  जीवन  निरंतर  पशुता   की  ओर   झुकता   चला  जा  रहा  है   l 
  धर्मतंत्र  का  परिष्कार   अनिवार्य  है  l