27 May 2019

WISDOM ---- नियति की चुनौती को स्वीकार करना और उससे दो - दो हाथ करना ही मानवी गौरव को स्थिर रख सकने वाला आचरण है ----- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

 आचार्य  श्री  ने  लिखा  है --- ' न  हमें  टूटना  चाहिए  और  न  हार  माननी  चाहिए   l  नियति  के  क्रम  से  हर   वस्तु  का ,  हर  व्यक्ति  का  अवसान  होता  है  l  '
 मनोरथ    और  प्रयास  भी  सर्वदा  सफल  कहाँ  होते  हैं   l  यह  सब  अपने  ढंग  से  चलता  रहे  ,
 पर  मनुष्य  भीतर  से  टूटने  न  पाए ,  इसी  में  उसका  गौरव  है   l   समुद्र  तट  पर  जमी  हुई  चट्टानें   चिर - अतीत  से  अपने  स्थान  पर   जमी  अड़ी  बैठी  हैं   l  हिलोरों  ने  अपना  टकराना  बंद  नहीं  किया    सो  ठीक  है  ,    पर  यह  भी  कहाँ  गलत  है  कि  चट्टानों   ने  हार नहीं  मानी   l