हम सब इनसान हैं और हम सब से गलतियाँ होती है l कभी - कभी विवेकहीनता के कारण एक छोटी सी गलती बहुत बड़े दंगे में बदल जाती है l इसे ही समझाने के लिए पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी एक कहानी कहते हैं ----- कलिंग देश का राजा नाश्ते में दही और शहद खा रहा था l अधिकारियों से आवश्यक बातें भी कर रहा था कि थोड़ा सा शहद जमीन पर गिर गया l राजा तो दरबार में चला गया l शहद गिरने से जमीन पर बहुत मक्खियाँ आ गईं l उन मक्खियों को खाने के लिए बहुत सी छिपकली आ गईं l अब उन छिपकलियों को खाने के लिए बिल्ली आ गई l यह सब देख कहीं से एक कुत्ता आ गया , उसने बिल्ली को पकड़ लिया l नए कुत्ते को अपने क्षेत्र में आया देख मोहल्ले के चार - पांच कुत्ते उससे लड़ने आ गए l बिल्ली तो भाग गई , वे कुत्ते आपस में बहुत देर तक लड़ते रहे , एक - दूसरे को घायल कर दिया l इस बीच उन कुत्तों के मालिक आ गए l अपने कुत्ते को घायल देख वे आपस में बहस करने लगे , बात बढ़ गई , उनमे आपस में मारपीट हो गई l वे ब्राह्मण और ठाकुर थे l ब्राह्मणों को पता चला कि ठाकुर ने ब्राह्मण को पीट दिया , यह अपमान वे सह न सके l पूरे शहर के ब्राह्मण और ठाकुर इकट्ठे हो गए और दंगा हो गया l शहर में ऐसा बलवा देख वहां के चोर - डाकुओं को मौका मिल गया , उन्होंने राजा का खजाना लूट लिया l यह सब देख राजा बहुत दुखी हुआ , उसने कमेटी बिठाई l दंगा क्यों हुआ , इसकी तह में जाने के लिए योग्य अधिकारियों को नियुक्त किया l कमेटी ने रिपोर्ट दी तब पता लगा कि राजा की लापरवाही से शहद गिर गया , उसी की वजह से यह सब दंगा हुआ l ' इसलिए आचार्य श्री कहते हैं कि यह सारा ढांचा हमारी विवेकशीलता पर टिका हुआ है l
3 February 2021
WISDOM ------
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- ' यदि संगठित रूप से अत्याचार , अन्याय का प्रतिरोध किया जाए तो शक्तिशाली बर्बरता को भी परास्त किया जा सकता है l एक कहानी है ----- एक पेड़ पर चिड़िया का घोंसला था l उसी पेड़ के नीचे चींटी का बिल भी था l चींटी और चिड़िया में गहरी दोस्ती थी l उस घोंसले में चिड़िया के छोटे - छोटे बच्चे थे l जब चिड़िया उन बच्चों के लिए दाना लेने जाती तब चींटी वहीँ पेड़ के आसपास रहकर उसके बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखती l एक दिन चिड़िया दाना लेने गई हुई थी , तभी वहां से एक मदमस्त हाथी निकला l चींटी ने दौड़कर उस हाथी को सचेत किया कि तुम इस पेड़ से दूर होकर निकलो , इसमें चिड़िया के घोंसले में छोटे बच्चे हैं l लेकिन हाथी को तो अपनी शक्ति का अहंकार था , उसने चींटी की उपेक्षा कर दी और अपनी सूँड से पेड़ को जोर से हिला दिया , उसकी कुछ डालें भी तोड़ दीं l चिड़ियाँ का घोंसला टूट गया , उसके बच्चे भी गिरकर - दबकर मर गए l चींटी बहुत उदास हो गई , जब चिड़िया आई तो सब कुछ बिखरा हुआ देखकर दोनों खूब फूट -फूटकर रोईं l फिर दोनों ने परस्पर धैर्य बँधाया और कहा कि ऐसे रोने से काम नहीं चलेगा l आज हाथी ने अपने अहंकार में हमारा घोंसला तोड़ा है , कल किसी और का तोड़ेगा l दोनों ने मिलकर उस हाथी को ढूँढ़ लिया , जब हाथी सैर को निकला तो चिड़िया उसके चारों और चीं - चीं कर उड़ने लगी l हाथी समझ गया , बोला --- तू छोटी चिड़िया मेरा क्या बिगाड़ेगी , तुझे तो मैं एक ही बार में कुचल दूंगा l हाथी अपने अहंकार में था , मौका पाकर चींटी उसकी सूँड में घुस गई l अब तो हाथी चिंघाड़ने लगा ,------ छोटी सी चींटी ने हाथी को परास्त कर दिया l वह समझ गया कि ईश्वर ने यदि हमें कोई शक्ति दी है तो हमें कमजोर की रक्षा करनी चाहिए , उस पर अत्याचार नहीं करना चाहिए l