15 October 2021

WISDOM ------

   मनुष्य  सारा  जीवन  क्षण भंगुर  लालसाओं    की  तृप्ति  के  लिए  भागता  रहता  है  ,  इसके  लिए  कितने  दांव -पेंच  भी   लगाता    है   ,  अंत  में  समझ  आता  है   सब  कुछ  खाली  है , रिक्त  है  ,  पूरा  जीवन  व्यर्थ  हो  गया  l   इसलिए  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ----- " क्षण भंगुर  लालसाओं  और   उनकी  तृप्ति  को  लक्ष्य  नहीं  बनाया  जा  सकता   l   लक्ष्य  को  तो  सदा  शाश्वत  और  शांतिदायक   होना  चाहिए   l  "  महान  संत   गुरजिएफ    अपने  शिष्यों  से   कथा  कहते  थे  ------- " आकाश  में  उड़ने  वाली   चिड़िया  को   अपने  से  थोड़ी  दूर  पर   एक  चमकता   हुआ   श्वेत  बादल  दिखा   l   उसने  सोचा  --- चलो  मैं  उड़कर  उस  बादल   को  छू  लूँ   l   ऐसा  सोचते  हुए   वह  चिड़िया   उस  बादल  को   अपना  लक्ष्य  बनाकर   अपनी  पूरी  क्षमता  से   उड़  चली  ,  लेकिन  हवाओं  के  साथ   अठखेलियाँ    करता  हुआ  वह  बादल    कभी  पूर्व  में  जाता  तो  कभी  पश्चिम  में   और  कभी  तो  वहीँ  रूककर   चक्कर  खाते  हुए   चक्रव्यूह  रचने  लगता  ,  कभी  छिपता ,  कभी  प्रकट  हो  जाता   l   अपनी  बहुत  कोशिशों  के   बाद  भी   चिड़िया   उस  तक  नहीं  पहुँच  सकी   l    प्रयासों  के  इस  दौर  में  उसने  पाया   कि   जिस  बादल  के  पीछे   वह  अपने  जीवन  को  दांव  पर  लगाकर    भाग  रही  थी  ,  वह  अचानक  हवा  के  तेज   झोंकों  से  छँट   गया   l    अपने  अथक  प्रयत्न  के  परिणाम   में  उस   चिड़िया  ने  देखा  कि   अरे  !  यहाँ  तो  कुछ  भी  नहीं  है   l  इस  सच  को  देखकर   उसका  विवेक  जाग्रत  हो  गया  ,  चिड़िया  को  अपनी  भूल  का  एहसास  हुआ    उसके    अंतर्विवेक    ने  कहा -- यह  तो  बड़ी  भूल  हो  गई  l   यदि  लक्ष्य  बनाना  हो  तो  क्षण भंगुर  बादलों  को  नहीं  ,  बल्कि  पर्वत  की  चोटियों  को  बनाना  चाहिए   जो   शाश्वत  और  अनंत  हैं   l  "   आचार्य श्री  लिखते  हैं  --- गुरजिएफ   की  यह  बोध  कथा   हम  सभी  के  जीवन  में  घटित  होती  है   l   हम  अपने  विवेक  को  जाग्रत  करें   l  "