13 March 2020

WISDOM ------

अपने  बौद्धिक  होने  के  अहंकार  में  डूबा  हुआ  व्यक्ति  जब   सन्मार्ग  पर  चलना  नहीं  चाहता  ,   अपनी  गलत  आदतों  को   विभिन्न  तर्कों  से  सही  सिद्ध  करता  है   --- ऐसी  स्थिति  की  जब  अति  हो  जाती  है  तब  प्रकृति  अपने  ढंग  से  मनुष्यों  को  सिखाती  है  --- मांसाहार ,  नशा , असंयम  -- यह   सब  बीमारियों  की  जड़  है   l   यदि  आज   मनुष्य   प्रकृति  के  संदेश   को  समझ  जाये  तो  शाकाहार  अपनाये ,  नशे  से  दूर  रहे  ,  पर्यावरण  को  सुरक्षित  रखे  l
 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  का  कहना  है --- ' वर्तमान  समय  में  विश्व  मानवता  विक्षुब्ध  और  अशांत  है  ,  नैतिकता  की   उपादेयता  आवश्यक  ही  नहीं  अनिवार्य  भी  है  l   इसे  मानव  धर्म  के  रूप  में   स्वीकारा  जाना  चाहिए   l '
 ब्रिटेन  के  शीर्षस्थ  इतिहासकार  अर्नाल्ड  टायनबी  ने  लिखा  है ----' विज्ञान   ने  मनुष्यों  को  जड़  शक्ति  और  मानव  शरीर  पर   नियंत्रण  स्थापित  करने  की  असाधारण  क्षमता  प्रदान  की  है  ,  लेकिन  आत्मनियंत्रण  के   कार्य  में  वह   मनुष्यों  की   कोई  सहायता  नहीं  कर  सकता   और  वस्तुत:  आत्मसंयम  ही   मनुष्य  की  सबसे  बड़ी  समस्या  रही  है  l ------  सच्चे  धर्म  की  कसौटी  यह  होगी   कि   उस  धर्म  में   मानव  कष्टों  से  संबंधित   समस्याओं  का  सामना  करने  की   कितनी  अधिक  क्षमता  है   l  भविष्य  में  हमारे  समक्ष   अग्नि परीक्षा  का  जो  समय  आने  वाला  है  ,  उसमें  हमारे  इन  कष्टों  के   और  भी  अधिक  बढ़  जाने  की  संभावना  है  l "