श्रीमद भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण अपने प्रिय सखा अर्जुन को अपनी विभूतियों का विवरण देते हैं और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को शस्त्र धारण करने वालों में अपना स्वरुप बताते हैं l श्रीराम अति विनम्र , शिष्ट और मर्यादापूर्ण है , वे क्रोधित नहीं होते , उनके मन में न तो हिंसा है , न ईर्ष्या , न शत्रुता , न प्रतिस्पर्धा l वे किसी को दुःख देना नहीं चाहते इसलिए उनके हाथों में शस्त्र विचित्र लगता है l लेकिन भगवान श्रीराम के हाथों में शस्त्र होगा तो उससे विनाश रुकेगा l विध्वंसकारी शस्त्र भी यदि भगवान राम के हाथ में होंगे तो वे सृजन का माध्यम बनेंगे l इसलिए श्रीराम शस्त्रधारी होने पर भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं , वे मर्यादा और लोकहित के शिखर हैं l लेकिन यदि ये ही शस्त्र रावण के हाथों में होंगे तो विनाश तय है क्योंकि उसके भीतर हिंसा , लोभ , लालच , अहंकार आदि अनेक दुर्गुण है l उसका ज्ञान इन दुर्गुणों के नीचे दब गया है l वह अपने शस्त्रों का प्रयोग जब भी करेगा , तो गलत ही करेगा l उसके द्वारा विनाश के सिवाय अन्य कुछ भी संभव नहीं है l कलियुग में शस्त्र और शक्ति के दुरूपयोग के कारण ही आज संसार ऐसी बुरी स्थिति में है l
14 October 2023
WISDOM -----
राम -रावण युद्ध समाप्त हुआ l महाबली रावण के अतिरिक्त कुम्भकर्ण की भी मृत्यु हुई l कुम्भकर्ण के पुत्र का नाम मूलकासुर था l जब मूलकासुर बड़ा हुआ तो उसके मन में प्रतिशोध की भावना बलवती हुई l घनघोर तपस्या कर के उसने अपार शक्ति प्राप्त कर ली और यह वरदान प्राप्त किया कि उसकी मृत्यु किसी भी नर के हाथों नहीं होगी l नारी -शक्ति भी होती है यह उसकी कल्पना से परे था l वरदान प्राप्त करने के बाद उसने राक्षसों -असुरों की सेना एकत्रित की और लंका पर चढ़ाई कर दी l लंकापति विभीषण ने अपनी हार प्रत्यक्ष देख भगवान राम से सहायता मांगी , लेकिन मूलकासुर किसी नर के हाथों पराजित नहीं हो सकता था l इस स्थिति में भगवान राम ने माँ सीता से अनुरोध किया l माँ जानकी ने वहां पहुंचकर भगवती का रूप धारण कर मूलकासुर का वध किया l आदिशक्ति के हाथों असुरता का संहार हुआ l