14 October 2023

WISDOM ----

  श्रीमद भगवद्गीता   में  भगवान  श्रीकृष्ण    अपने  प्रिय  सखा  अर्जुन  को  अपनी  विभूतियों  का   विवरण  देते   हैं   और  मर्यादा पुरुषोत्तम  श्रीराम  को  शस्त्र  धारण   करने  वालों  में  अपना  स्वरुप  बताते  हैं  l  श्रीराम  अति  विनम्र , शिष्ट  और  मर्यादापूर्ण  है , वे  क्रोधित  नहीं  होते  , उनके  मन  में  न  तो  हिंसा  है , न  ईर्ष्या , न  शत्रुता , न  प्रतिस्पर्धा   l  वे  किसी  को  दुःख  देना  नहीं  चाहते   इसलिए  उनके  हाथों  में  शस्त्र  विचित्र  लगता  है  l  लेकिन  भगवान  श्रीराम  के  हाथों  में   शस्त्र  होगा   तो  उससे  विनाश   रुकेगा  l  विध्वंसकारी  शस्त्र   भी  यदि  भगवान  राम  के  हाथ  में  होंगे   तो  वे  सृजन  का  माध्यम  बनेंगे  l  इसलिए  श्रीराम  शस्त्रधारी  होने  पर  भी  मर्यादा पुरुषोत्तम  हैं  , वे  मर्यादा  और  लोकहित  के  शिखर  हैं  l                                                                               लेकिन  यदि  ये  ही  शस्त्र  रावण  के  हाथों  में  होंगे   तो  विनाश  तय  है   क्योंकि  उसके  भीतर  हिंसा , लोभ , लालच , अहंकार    आदि  अनेक  दुर्गुण  है   l  उसका  ज्ञान  इन  दुर्गुणों  के  नीचे  दब  गया  है  l  वह  अपने  शस्त्रों  का   प्रयोग   जब  भी  करेगा  , तो  गलत  ही  करेगा  l  उसके  द्वारा  विनाश  के  सिवाय  अन्य  कुछ  भी  संभव   नहीं  है   l  कलियुग  में  शस्त्र   और  शक्ति     के  दुरूपयोग  के  कारण   ही   आज  संसार  ऐसी  बुरी  स्थिति  में  है  l  

WISDOM -----

   राम -रावण   युद्ध  समाप्त  हुआ  l  महाबली  रावण  के  अतिरिक्त  कुम्भकर्ण  की  भी  मृत्यु  हुई  l  कुम्भकर्ण  के  पुत्र  का  नाम  मूलकासुर  था  l जब  मूलकासुर  बड़ा  हुआ   तो  उसके  मन  में  प्रतिशोध  की  भावना  बलवती  हुई  l  घनघोर  तपस्या  कर  के  उसने  अपार  शक्ति  प्राप्त  कर  ली   और  यह  वरदान  प्राप्त  किया  कि   उसकी  मृत्यु  किसी  भी  नर  के  हाथों  नहीं  होगी  l  नारी -शक्ति  भी  होती  है  यह  उसकी  कल्पना  से  परे  था  l  वरदान  प्राप्त  करने  के  बाद  उसने  राक्षसों -असुरों  की  सेना  एकत्रित  की   और  लंका  पर  चढ़ाई  कर  दी  l  लंकापति  विभीषण  ने  अपनी  हार  प्रत्यक्ष  देख   भगवान  राम  से  सहायता  मांगी  ,  लेकिन  मूलकासुर   किसी  नर  के  हाथों  पराजित  नहीं  हो  सकता  था  l  इस  स्थिति  में   भगवान  राम  ने   माँ  सीता  से  अनुरोध  किया  l  माँ  जानकी  ने  वहां  पहुंचकर   भगवती  का  रूप  धारण  कर  मूलकासुर  का  वध  किया  l  आदिशक्ति  के  हाथों   असुरता  का  संहार  हुआ  l