4 April 2019

WISDOM ----- व्यस्त रहें ----- मस्त रहें

चिंता  व्यक्ति  को  तभी  होती  है  , जब  वह  खाली  बैठा  होता  है  ,  उसके  पास  करने  के  लिए  कोई  महत्वपूर्ण  काम  नहीं  होता   l  चिंता  व्यक्ति  को  चिता  की  तरह  सुलगाती  है  ,  घुन  की  तरह  शरीर  में   लग  कर    उसे  कमजोर  व  निकम्मा  बना  देती  है   l  चिंता  करने  के  दौरान  अत्याधिक  मानसिक  ऊर्जा  का  क्षरण  होता  है   l 
  इसका  समाधान   है -- विवेक पूर्ण  विचार करना  ,  और  सोचे  गए  विचार  और  योजनाओं  पर  कार्य  करना  l   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  का  कहना  था ---- " व्यस्त  रहो ---- मस्त  रहो   l  " 
जो  जीवन  को   सच्चिन्तन   और  सत्कर्मों  में  लगते  हैं  ,  वे  न  केवल  मस्त  रहते  हैं  ,  बल्कि  आंतरिक  और  बही  रूप  से   इतने  आनंदमय  रहते  हैं   कि  उनके  संपर्क  में  आने  वाले  भी   अपनी  चिंताओं  से  मुक्त  हो  जाते  हैं  l