23 October 2018

WISDOM ---- जिसके जीवन की बागडोर भगवान के हाथ में हो , उसको कैसी चिंता !

 महाभारत  के  युद्ध  में  भगवान  श्री कृष्ण  अर्जुन  के  सारथी  बने  l  वे  सर्वप्रथम  अर्जुन  को  सम्मान  के  साथ  रथ  में  चढ़ाने  के  साथ  फिर  वे  रथ  में  आरूढ़  होते  और  अर्जुन  के  आदेश  की  प्रतीक्षा  करते  l   और  संध्या  को  जब  युद्ध  से  वापस  शिविर  में  लौटते  तो  पहले   भगवान श्रीकृष्ण  उतरते  फिर  अर्जुन  को  उतारते  l
 महाभारत  का  युद्ध  समाप्त  हो  गया   l  इस  बार  श्रीकृष्ण  ने  अर्जुन  से  कहा --- " पार्थ ! आज  तुम  पहले  रथ  से  उतर  जाओ  l  तुम  उतर  जाओगे  तब  मैं  उतरता  हूँ  l  " अर्जुन  के  रथ  से  उतरने  के  बाद   भगवन  कृष्ण  उतरे  और  अर्जुन  के  कंधे  पर  हाथ  रखकर  रथ  से  दूर  ले  गए  और  उसी  पल  भयानक  विस्फोट  के  साथ  रथ  जलकर  खाक  हो  गया  l   अर्जुन  को  बहुत  आश्चर्य  हुआ  l 
  भगवान  कृष्ण  ने   कहा ---- पार्थ !   पितामह  भीष्म ,  द्रोण और  कर्ण  के  दिव्यास्त्र  के  प्रहारों  से  इस  रथ  की  आयु  तो  बहुत  पहले  ही  समाप्त  हो  चुकी  थी   लेकिन  अधर्म  के  नाश  और  धर्म  की  स्थापना  में  इसके    महत्वपूर्ण  योगदान  के  कारण  मेरे  संकल्प  बल  से  यह  अभी  तक  चल  रहा  था   l  "
  भगवान  का  यह  सन्देश  आज  भी  उतना  ही   महत्वपूर्ण  है   l  हम  अपने  इस  शरीर  रूपी  रथ  का  उपयोग  संसार  में  सत्प्रवृतियों  के  प्रसार  ,   धर्म  की  स्थापना  और  ईश्वर  की  इस  बगिया  को  सुन्दर  बनाने  में  करे  l   ईश्वर  के  हाथों  का  यंत्र  बनकर  निश्चिन्त  रहें   l