19 January 2024

WISDOM ------

  लघु -कथा --- लालच  बुरी   बला '----- बात  उन  दिनों  की  है  जब  बैंक  नहीं  थे  लोग  अपना  धन  या  तो  गड्ढे  खोदकर  रखते  थे  या  किसी  विश्वासपात्र  के  पास   रखना  उचित  समझते  थे  l  एक  सेठजी  थे  , बड़ी  ईमानदारी  से  उन्होंने  धन  कमाया   l  उनके  कोई  संतान  नहीं  थी  l  सेठजी  की  वृद्धावस्था  आ  गई  l  बहुत  सोचकर  उन्होंने  निश्चय  किया  कि  इतनी  संपदा  है  तो  इसका  सदुपयोग  यही  होगा  कि  गाँव  में   एक  तालाब  बनवा  दिया  जाये   जिससे  गाँव  के  पानी  का  संकट  दूर  हो  जायेगा   और  व्यापार  अपने  रिश्तेदारों   को  सौंप  दिया  जाये  l  वह  सेठ   बड़ा  ईश्वर  भक्त  था  l  धन  सुरक्षित  रहे  इसके  लिए  उसने  दो  बड़े -बड़े  घड़े  मंगवाए  और   उनमें    बहुमूल्य  हीरे -जवाहरात  ,  सोना चांदी  रत्न   आदि  सब  भर  दिए  l  एक  बहुत  गहरा  गड्ढा  खुदवाया   विधि -विधान  से  पूजा  की   और  नाग  देवता  को  आमंत्रित  किया   l  दोनों  घड़े  उस  गड्ढे  में  रखवा  दिए   और  नाग  देवता  आकर  उन  घड़ों  की  रक्षा  करने  लगे  l  पूजा  के  बाद  सेठ  ने  उन  नागदेवता  से  निवेदन  किया  कि   तालाब  निर्माण  के  लिए  जितने  धन  की  आवश्यकता  होगी  तब  हम   रस्सी  से  बांधकर  तराजू  उस  गड्ढे  में  डालेंगे   तब  आप  आवश्यक  मुद्रा  उस  तराजू  में  देना   और  जब  व्यापार  से  लाभ  होगा  तब  उतनी  ही  मुद्रा  हम  वापस  कर  देंगे   ताकि  भविष्य  में  तालाब  की  मरम्मत  आदि  कार्यों  के  लिए  कभी  धन  की  कमी  नहीं  रहेगी  l  सेठ  ने  यह  भी  कहा  कि  मेरे  न  रहने  पर  आप  अमुक  व्यक्ति  को   आवश्यक  धन  अवश्य  देना  ताकि  काम   अधूरा  न  रहे  l  सेठ  अब  बहुत  निश्चिन्त  था  , तालाब  निर्माण  के  लिए  जितने  धन  की  आवश्यकता  होती   वह  गड्ढे  में  तराजू  डालकर  प्रार्थना  करता   तब  नाग  देवता    वह  धन  राशि   उस  तराजू  में  रख  देते  l  व्यापार  से  लाभ  होने  पर  सेठ  तोलकर  उतनी  ही  राशि  वापस  कर  देता  l   कुछ  समय  बाद  सेठ  की  मृत्यु  हो  गई  l  जिस  व्यक्ति  को  सेठ  ने  नामित  किया  था  , उसके  मन  में  शुरू  से  ही  लालच  था  , वह  इसी  फिराक  में  था  कि  इस  अपार  संपदा  पर  कैसे  कब्ज़ा  करे  l  उसे  स्वयं  पर  भी  संदेह  था  कि  कहीं  उसके  मन  के  इस  लालच  को  नाग देवता  समझ  जाएँ   और  तराजू  खाली  लौटा  दें  l  इसलिए  पहली  बार  में  ही  ज्यादा  से  ज्यादा  धन  मांग  लिया  जाये l    उसने   सेठ  के  जाने  के  बाद  ईश्वर  की  बहुत  पूजा  प्रार्थना   की    और  फिर  उस  कुएं  के  बराबर  बने  उस  गड्ढे  के  निकट  जाकर  नाग  देवता  से  निवेदन  किया  कि  अब  सेठ  तो  नहीं  रहे   ,  मैं  इस  तालाब  को  इस  बार  पूर्ण  करा  दूंगा  ,  आप  इस  तराजू  में  भरकर   धन  दें  l  उसने  बहुत  ज्यादा  धन  मांग  लिया  l  नाग देवता  विवश  थे  उन्होंने   सोना -चांदी  बहुमूल्य  धातु  से  भरकर    तराजू  दे  दिया  l  इतनी  सारी  बहुमूल्य  संपदा  लेकर वह  व्यक्ति  रातों -रात  गाँव  छोड़कर  भाग  गया  l  रिश्तेदारों  को  भी  लालच  आ  गया  , उन्होंने  भी  व्यापार  से  लाभ  का  एक  हिस्सा  उन  घड़ों  में  भरने  के  लिए  नहीं  दिया  l  नाग देवता  से  छल  करने  का  नतीजा  उन  सब  को  भुगतना  पड़ा  l  धन  की  कमी  के  कारण  वह   तालाब   कभी  पूरा  नहीं  हो  पाया  l  बाद  में  लोगों  ने  कोशिश  भी  की  कि  वह  घड़े  मिल  जाएँ  ,  लेकिन  लक्ष्मी  चल  होती  हैं  न  तो  घड़े  मिले  और  न  ही  नाग  देवता  l   सेठ  की  मेहनत  और  ईमानदारी  की  कमाई  थी   इसलिए  उस  अधूरे   तालाब  में  भी  इतना  जल  था   कि  गाँव  वालों  के  जल  का  संकट  दूर  हुआ  l