20 February 2018

WISDOM ------ मनुष्य के विनाश का सबसे प्रबल कारण है ---- उसका अहंकार

   '  मैं  ही  सब  कुछ  हूँ ,  मेरा  विचार  ही  सबसे  अच्छा  है , मैं  सबसे  अधिक  सुन्दर  हूँ ,  मैं  धनी  हूँ ,  मैं  पंडित  हूँ   आदि  अहंकारिक  भावनाओं  के  कारण  ही  संसार  में  कलह ,  झंझट ,  युद्ध   और  महायुद्ध  की   विभीषिकाएँ  उठ  खड़ी  होती  हैं   l  '
  अपने   इस  अहंकार  की  तुष्टि  के  लिए  ही  मनुष्य  दूसरों  पर  अत्याचार  करता  है  l   पराया  माल   छीनना  ,  हड़पना ,  चोरी  कर  लेना ,  दूसरों  की   मेहनत  का  उचित  पारिश्रमिक  न  देना  ,  मानवीयता  नहीं  है   l  इससे  मनुष्य  का  घोर  आंतरिक  पतन  होता  है  l   मनुष्य  जानता  है  कि  इस  धन  को  वह  अपनी लाश  के  साथ  नहीं  ले  जा  सकता  ,  फिर  भी  उसका  लालच  कम  नहीं  होता  ! 
      संसार  की  क्षणभंगुरता  को   हमेशा   ध्यान  में   रखने  से  ही  यह  संभव  है  कि   मनुष्य  इस  दुष्प्रवृति  से  बचा  रह  सके   l  संकल्प  के  धनी  व्यक्ति  ही  अहंकार  को  कुचलने  का  साहस  कर  पाते  हैं   l