29 December 2018

WISDOM ----- आलोचनाओं के प्रति भी अपना द्रष्टिकोण सकारात्मक हो

  '  मनुष्य  को मात्र  अपने  कर्तव्य  का  पालन  करना  चाहिए   और  आलोचनाओं  पर  केवल  इतना  ध्यान  देना  चाहिए   कि  अपने  व्यक्तित्व  में  कोई  कमी  हो  तो  उसे  सुधार  लिया  जाये  l  '
      जो  अहंकारी  होते  हैं  वे  अपनी  आलोचना   तो  क्या  ,  अपने  प्रति  कहा  गया  एक  शब्द  भी  बर्दाश्त  नहीं  करते    और  अपनी  पूरी    ऊर्जा    इसी  सोच - विचार  में  गँवा  देते  हैं  कि  अपने विरुद्ध  एक  शब्द  भी  बोलने  वाले  को  कैसे  प्रताड़ित  करें  ,  उसकी  हिम्मत   कैसे  तोड़  दें  l
 एक  प्रसिद्ध  शायर  को  एक  तानाशाह  ने  उसकी  बुराई  करने  के  लिए  जेल  में  डाल  दिया  तो  उसने  बदले  में   तानाशाह  के  लिए  दो  पंक्तियाँ  लिखकर  भेंट  में  भेजी ------
     'तुमसे  पहले  जो  शख्स  यहाँ  पर  तख्तनशीं  था
     उसको  भी  अपने  खुदा  होने  पर  इतना  ही  यकीं  था  l '
    आलोचनाओं  के  प्रति  हमारा  रवैया   कैसा  हो  ,  इस संबंध  में  एक  प्रेरक  प्रसंग  है ----
 अब्राहम  लिंकन  के  एक  मित्र  ने  समाचार  पत्र  की  एक  कटिंग  उनके  सामने  रखते  हुए  कहा ---- " देखिए,  लोग  किस  तरह  आपकी  आलोचना  करने  में  लगे  हुए  हैं   और  आप  चुप्पी  ही  साधे  बैठे  हैं   l  इनका  प्रतिवाद   आप  किसी  समाचार पत्र  में  क्यों  नहीं  भिजवाते  ?
लिंकन  ने  उत्तर  दिया  ---- " मित्र  !  यदि  मैं  समाचार पत्र  की  प्रत्येक  आलोचना  को  देखूं  और  उसका  उत्तर  देने  का  प्रयत्न  करूँ    तो  राष्ट्र  के  महत्वपूर्ण  कार्य  करने  का  समय  ही  नहीं  रहेगा  l   मैं  मात्र  अच्छे  ढंग  से  राष्ट्र  की  सेवा  करने  का  प्रयत्न   करता  हूँ  l  यदि  मेरे कार्यों  के  परिणाम  देश  की  जनता  के  हित  में  निकलते  हैं  तो   आलोचकों  की  बातें  स्वत:  ही  निरर्थक  सिद्ध  हो  जाएँगी  और  यदि  इनके  परिणाम  राष्ट्र हित  में  नहीं  निकलते    तो  देवता  भी  आकर  मेरा  पक्ष  क्यों  न  लें  ,  कोई  उनकी  बात  सुनने  को  तैयार  नहीं  होगा   l  "
     मनुष्य  यदि  ईमानदारी  से  अपना  कर्तव्य पालन  करे ,  स्वयं  के  जीवन  की दिशा  सही  हो   तो  हमें  लोगों  द्वारा  अपनी  की  जाने  वाली  बुराइयों  और  आलोचनाओं  की  सफाई  देने  की  जरुरत  ही  नहीं  है ,  सही  वक्त  आने  पर  प्रकृति  स्वयं  गवाही  देती  है   l